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चिरंजीवी व आरजीएचएस योजना में इलाज किया बंद, मरीजों पर पड़ा आर्थिक भार

सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा निजी अस्पतालों में बेहतर इलाज व सुविधाएं उपलब्ध है, लेकिन सरकार की ओर से लाए गए राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में गत 11 फरवरी से निजी अस्पताल संचालकों ने राज्य सरकार की चिरंजीवी व आरजीएचएस योजना में शामिल लाभार्थियों को इलाज की सुविधा देना बंद कर दिया है।  

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चिरंजीवी व आरजीएचएस योजना में इलाज किया बंद, मरीजों पर पड़ा आर्थिक भार

चिरंजीवी व आरजीएचएस योजना में इलाज किया बंद, मरीजों पर पड़ा आर्थिक भार

टोंक. सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा निजी अस्पतालों में बेहतर इलाज व सुविधाएं उपलब्ध है, लेकिन सरकार की ओर से लाए गए राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में गत 11 फरवरी से निजी अस्पताल संचालकों ने राज्य सरकार की चिरंजीवी व आरजीएचएस योजना में शामिल लाभार्थियों को इलाज की सुविधा देना बंद कर दिया है। निजी चिकित्सालयों में योजना के मरीजों को नि:शुल्क परामर्श व उपचार की सेवाएं बंद है। ऐसे में योजना में बीमा राशि जमा होने के बावजूद मरीजों को निजी अस्पतालों को पैसे देकर इलाज करवाना पड़ रहा है। जिससे मरीज व परिजनों पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ रहा है।

13 सरकारी व 15 निजी योजना में शामिल:
टोंक जिले में सरकार की चिरंजीवी व आरजीएसएस योजना में इलाज के लिए 13 सरकारी व 15 निजी अस्पताल पंजीकृत है। जिनमें टोंक में पांच, दो मालपुरा, सात देवली व एक निजी अस्पताल निवाई का शामिल है।
योजना में बीमित परिवार: प्रमुख चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल 323000 परिवार चिरंजीवी योजना में बीमित है। जिनमें से योजना लागू होने के बाद से अब तक 48000 परिवारों ने योजना में लाभ लिया है।

ये बोले लाभार्थी
&हड़ताल से पहले निजी अस्पताल में चिरंजीवी योजना में मां का आपरेशन करवाया था, घर आने के बाद दो बारा दिखाने गए तो योजना में देखने से मना कर दिया।
मोहम्मद अनवर, टोंक

&बेटी को डायलिसीस के लिए पहले निजी अस्पताल में ले गए थे, लेकिन चिकित्सकों ने चिरंजीवी योजना में इलाज के लिए मना कर दिया। अब बेटी को भर्ती कराया है।
हेमराज, ग्राम नाहरी, बूंदी
&पिता के खून की जांच और पांव में सूजन के इलाज के लिए निजी अस्पताल में गए थे, लेकिन चिरंजीवी योजना बंद में इलाज बंद होना बताया। बोले के भुगतान करना पड़ेगा।
बजरंगी देवी, ग्राम देवरी, उनियारा

&गत दिनों से सांस की तकलीफ हो रही थी। पहले प्राइवेट अस्पताल में गए तो पता चला वहां चिरंजीवी योजना में नि:शुल्क इलाज नहीं होगा। अब हम क्या करें।
घांसीलाल, ग्राम संडीला

&जिले के निजी असपतालों में प्रतिदिन ओपीडी में 500 व आईपीडी में 100 मरीजों को परामर्श व उपचार दिया जाता है। अब राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी अस्पताल संंचालकों ने चिरंजीवी व आरजीएचएस योजना के तहत इलाज सुविधा देना फिलहाल बंद कर रखा है।
डॉ.राजीव बंसल, अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन टोंक