
पधारो म्हारे देश...विदेशी पावणों को लुभा रहा पचेवर का विलेज वॉक, भा रही बाजरे की रोटी-केर का साग
पचेवर. हर साल हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। बड़ी संख्या में सैलानियों के आने से इस प्राचीन धरोहर को विश्व में प्रसिद्धि मिल रही है। गढ़ की देखरेख मधुलिका ङ्क्षसह की ओर से किया जा रहा है। यहां पर्यटक विलेज वॉक कर ग्रामीण जीवन से रूबरू होते हुए यहां कि हस्तशिल्प कला का भी भरपूर आनन्द लेते नजर आ रहे है।
चूल्हे पर पकी सब्जी रोटी भा रही:
यहां पम्पा सागर तालाब, छतरियां, हरियाली और गांव में बने कच्चे-पक्के मकान देखकर तथा किले सहित आस-पास घूमकर पर्यटक मोहित हो जाते हैं। किले के वैभव को चार चांद लगाते प्राचीन भव्य द्वार, बाल्कनियों अपार्टमेंट बेहतरीन और प्राचीन भित्ति चित्र के साथ सजी हुई है। यहां पर्यटकों को चूल्हे पर पकी बाजरे और मक्का की रोटी तथा केर सांगरी की सब्जी का स्वाद चकने को मिलता है।
जीप सफारी में निहारते हैं गांव का प्राकृतिक सौन्दर्य:
कस्बे के आसपास के इलाके में जीप सफारी से खेत-खलिहान और गनवर गांव स्थित पहाड़ी तक जाया जा सकता है। इसके साथ ही यहां फोटोग्राफी, बैलगाड़ी का आनंद लेते है। गनवर की पहाड़ी प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान रखती है। खासकर बरसात के दिनों में तो पहाड़ी का सौंदर्य देखते ही बनता है। पहाड़ी पर स्थित गणेश जी का मन्दिर भी आकर्षण का केन्द्र है। पर्यटक सूर्यास्त के मनोहारी नजारे जो अपने कैमरे में कैद कर लेते है।
पर्यटकों को आकर्षित करती है कलाकृतियां
कस्बे में राजस्थानी हैंडीक्राफ्ट टेराकोटा के मशहूर कलाकार मोहन लाल कुम्हार विभिन्न हस्त कलाकृतियां बनाते हैं। यहां पर मिट्टी से बनी भगवान की मूर्तियां, खिलौने, घरेलू बर्तन व अन्य सजावटी सामान की कलाकृतियां शहरों में राजस्थानी हैण्डीक्राफ्ट टेराकोटा के नाम से महशूर है। टेराकोटा कला राजस्थान की प्रसिद्ध हस्तकलाओं में से एक है। टेराकोटा की इन कलाकृतियों को देखकर विदेशी सैलानी भी आकर्षित हो जाते है। गांव में गाडिय़ा लुहार हनुमान अपनी धातु कला के लिए पहचान रखते है। धातु से विभिन्न प्रकार के बने जीव-जन्तु व बर्तन को पर्यटक खरीदारी करते नजर आते है।
चौबुर्जा किले का रोचक इतिहास
पूर्व राज परिवार से जुड़ी मधुलिका ङ्क्षसह ने बताया कि एक हजार वर्ष पूर्व महाराजा केशर ङ्क्षसह ने पचेवर गांव बसाया था। रियासत काल में गांव पर खंगारोत राजपूतों का शासन था। ठाकुर अनूप ङ्क्षसह खंगारोत एक कुशल योद्धा थे। उन्होंने बहुत से युद्ध लड़े, जिनमें मराठों से रणथम्भौर के किले पर कब्जा कर पुन: जयपुर शासक को संभाला दिया था। उनके अनुकरणीय साहस और महाराजा सवाईमाधोङ्क्षसह के प्रति वफादारी के एवज में 1758 ईस्वी में पचेवर की मिल्कियत उनको सौंपी गई थी।
Published on:
18 Oct 2023 06:13 pm
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