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पर्याप्त क्रू और स्टाफ नहीं है, तो टिकट बेचे ही क्यों?

बेंगलूरु. हवाईअड्डे पर लंबी कतार, सूटकेस के ढेर, परेशान, हलकान यात्री, एयरलाइन के कर्मचारियों से झुंझलाए यात्रियों की तीखी बहस और फिर निराशा। बेंगलूरु के हवाईअड्डे पर इतने बड़े पैमाने पर यह नजारा पहली बार देखा जा रहा है। कम समय में गंतव्य तक पहुंचने के लिए चुकाई जानेवाली भारी-भरकम कीमत फिलहाल भारी परेशानी और […]

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बेंगलूरु.

हवाईअड्डे पर लंबी कतार, सूटकेस के ढेर, परेशान, हलकान यात्री, एयरलाइन के कर्मचारियों से झुंझलाए यात्रियों की तीखी बहस और फिर निराशा। बेंगलूरु के हवाईअड्डे पर इतने बड़े पैमाने पर यह नजारा पहली बार देखा जा रहा है। कम समय में गंतव्य तक पहुंचने के लिए चुकाई जानेवाली भारी-भरकम कीमत फिलहाल भारी परेशानी और फजीहत का कारण बन गई है। लोग निराश होकर, दर्दनाक अनुभव लेकर लौट रहे हैं तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो तीन गुना-चार गुना ज्यादा किराया देकर दूसरी उड़ान से गंतव्य तक पहुंच रहे हैं। इनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं। इंडिगो की उड़ान रद्द होने पर हवाईअड्डे पर भारी फजीहत झेलने वाले कुछ लोगों ने पत्रिका से अपनी परेशानी साझा की।

अब करें तो क्या

समय के अभाव के कारण फ्लाइट से बेंगलूरु तो जल्दी आ गया लेकिन अब वापस नहीं जा पा रहा हूं। फ्लाइट के टिकट कटाने में पैसे तो फंसे ही है। बार - बार एयरपोर्ट पर आने से समय के साथ भाड़े के रुपए भी खर्च हो रहे हैं। यह कहानी बिहार के मुजफ्फरपुर के निवासी पंडित प्रभात मिश्र की है। मिश्र ने बताया कि तीन दिसम्बर को पटना से बेंगलूरु पहुंचे थे। 4 दिसम्बर को हेब्बाल में भूमिपूजन संपन्न कराकर फ्लाइट का पता लगाया तो उस दिन सभी उड़ानें रद्द दिखा रही थी। 5 दिसम्बर को इंडिगो की फ्लाइट की 15 हजार की टिकट बुकिंग की थी। एयरपोर्ट पहुंचे तो पता चला कि उड़ान रद्द कर दी गई है। दूसरी फ्लाइट में टिकट करना चाहा तो उसकी कीमत देख आंखें फटी की फटी रह गई। बेंगलूरु से पटना का किराया करीब 75,488 रुपए दिखा रहा है और यात्रा का समय करीब 22 घंटे का है। अब करें तो क्या।पटना के एक अन्य यात्री विकास कुमार ने बताया कि बहन की शादी 6 दिसम्बर को है। उड़ान रद्द होने से अब शायद समय पर नहीं पहुंच सकूंगा। इसके अलावा अन्य यात्रियों ने बताया कि उड़ान रद्द होने से दो दिनों में एयरपोर्ट आने व जाने में काफी रुपए खर्च हो गए हैं।

18 घंटे तक हवाईअड्डे पर फंसे रहे

बेंगलूरु से तीन दिसंबर को बागडोगरा के लिए रवाना हुए कमल तातेड़ यह सोचकर घर से निकले थे कि कुछ ही घंटों में गंतव्य पर पहुंच जाएंगे लेकिन उनकी उड़ान रद्द होते-होते आखिरकार,18 घंटे बाद कोलकाता के लिए रवाना हुई। उन्होंने बताया कि सुबह 6:30 बजे ही एयरपोर्ट पहुंच गए थे। रास्ते में जब टोल के पास आए तब मैसेज मिला कि आपकी फ्लाइट कैंसिल है, फिर भी हमलोग जाकर बाहर इंडिगो के काउंटर पर लाइन में करीब 2 घंटे खड़े रहे। बताया गया कि बागडोगरा की कोई फ्लाइट नहीं मिल सकती। आखिर घंटों मशक्कत के बाद, लंबी लाइन में लगकर काफी जोर शोर मचाया तो रात्रि 8:45 की कोलकाता की टिकट दी गई लेकिन वो भी लगातार लेट हो रही थी। अंत में लगभग 18 घंटे के बाद 12:15 बजे रात्रि को कोलकाता तक की फ्लाइट ने उड़ान भरी। यह परेशानी भूलना मुश्किल है।

यात्रियों के भरोसे का खुला शोषण

इंडिगो की बदइंतजामी का खौफनाक अनुभव झेलने वालों में बेंगलूरु के फैशन डिजाइनर संजय चोरडि़या भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह 8:50 बजे रांची से बेंगलूरु के लिए निर्धारित इंडिगो की नियमित ढाई घंटे की उड़ान हमारे लिए एक भयावह सफर में बदल गई। शुरुआत कई घंटों की देरी से हुई और अंत में दोपहर 4 बजे जाकर यह उड़ान रद्द कर दी गई। बेंगलरु पहुंचने की मजबूरी थी, इसलिए हमने मजबूरन कनेक्टिंग फ्लाइट्स का विकल्प चुना। इंडिगो ने रांची-कोलकाता-चेन्नई-बेंगलूरु का जटिल रूट दिया। 6.30 बजे कोलकाता पहुंच तो गए लेकिन न कोई सही सूचना, बस बहाने और भ्रामक घोषणाएं यात्रियों को परेशान करती रहीं। आखिरकार 9.30 बजे रवाना होने वाली फ्लाइट रात 4 बजे रवाना की गई। लगभग 24 घंटे जागते हुए चेन्नई पहुंचे तो पता चला कि बेंगलूरु वाली कनेक्टिंग फ्लाइट भी रद्द कर दी गई है। अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था। अंततः हमें अपने खर्च पर सड़क मार्ग से सफर करके शाम 7 बजे बेंगलूरु पहुंचना पड़ा। यह सिर्फ बदइंतजामी नहीं, बल्कि एक यात्री उत्पीड़न था। सवाल यह है कि जब उन्हें पता था कि पर्याप्त क्रू और स्टाफ नहीं है, तो टिकट बेचे ही क्यों? सवाल यह भी है कि डीजीसीए क्या कर रहा था। इंडिगो की समस्या का पता होते ही अन्य एयरलाइंस कंपनियों ने रातों-रात किराए पांच गुना बढ़ा दिया। सरकार व नियामक तंत्र चुप क्यों रहे।

फिर किसी क्षेत्र में ऐसे हालात नहीं बनें

बेंगलूरु से जोधपुर के बीच अक्सर हवाईयात्रा करने वाले ट्रेड एक्टिविस्ट सज्जनराज मेहता ने कहा कि भारत में हवाई भाड़े के लिए एक डीरेगुलेटेड सिस्टम है। एयरलाइंस डिमांड और सप्लाई, ऑपरेशनल लागत, सीटों की उपलब्धता और उस रूट पर कॉम्पिटिशन के आधार पर किराया तय करने के लिए स्वतंत्र हैं। जिसका खमियाजा आज आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

डायनामिक प्राइसिंग की वजह से इस तरह के संकट के समय में कीमतों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होती है। घरेलू क्षेत्र में लगभग एकाधिकार के चलते इंडिगो प्रबंधन ने सरकार के दिशा-निर्देशों का समय पर पालन नहीं किया। सबक लेकर एकाधिकार से ऐसी विषम परिस्थितियों को अन्य क्षेत्र जैसे मोबाइल, इंटरनेट, रेलवे इत्यादि में पनपने से रोकने पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए।