
उदयपुर . राज्य के 20 उपखण्ड अब भी उच्च शिक्षा की सुविधा से वंचित हैं। केन्द्र सरकार ने इन उपखण्डों को इसलिए पिछड़े की श्रेणी में डाला है, क्योंकि यहां कोई सरकारी या निजी महाविद्यालय नहीं है। सरकार प्रति वर्ष सूची को अद्यतन करती है। गत वर्ष इसमें राज्य के 16 जिलों के 32 उपखण्ड शामिल थे। हालांकि इस बार इनमें से 10 उपखण्डों पर उच्च शिक्षा के लिए निजी या सरकारी कॉलेज खोल दिए गए हैं।
पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित
उदयपुर जिले के बडग़ांव मुख्यालय की जनसंख्या करीब दस हजार है। इसी प्रकार से विभिन्न ब्लॉक की जनसंख्या मिलाकर पांच लाख से भी अधिक है। ऐसे में इतनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों से विद्यार्थियों को अन्य स्थानों पर पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है, खास तौर पर वहां की छात्राओं पर इसका प्रभाव पड़ता है, क्योंकि कई परिवार अपनी बेटियों को घर से कुछ दूर भी पढ़ाई के लिए भेजना नहीं चाहते।
ये हैं पिछड़े उपखण्ड
उदयपुर जिले का बडग़ांव, अजमेर जिले का टाडगढ़, बारां के किशनगंज व शाहबाद, बाड़मेर जिले का शिव, भीलवाड़ा जिले के कोटड़ी, बदनोर, फुलियाकलां व हमीरगढ़, चित्तौडगढ़़ जिले के गंगरार, बड़ीसादड़ी व भूपालसागर, डूंगरपुर जिले का बिच्छीवाड़ा, जैसलमेर का फतेहगढ़, झालावाड़ का असनावर, जोधपुर जिले का शेरगढ़, करौली का मण्डरायल, कोटा जिले का कनवास व दीगोद, सवाई माधोपुर जिले का मलारना डूंगर उपखण्ड शामिल है।
शिक्षा क्षेत्र में भी सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी: पालीवाल
उदयपुर. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ आनंद पालीवाल ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी है। केन्द्र को उच्च शिक्षा को दुरुस्त करने के लिए बदलाव जरूरी है।
पालीवाल मंगलवार को एबीवीपी कार्यालय नचिकेता भवन पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वर्ष 2016 की रिपोर्ट के अनुसार 799 विश्वविद्यालयों में से 540 राज्य विश्वविद्यालय हैं एवं करीब 40 हजार महाविद्यालय हैं। इन महाविद्यालयों में शिक्षकों, आधारभूत संरचना एवं पुस्तकालय में पुस्तकों की कमी है। ऐसे में सरकार शिक्षा क्षेत्र में जीएसटी काउंसलिंग की भांति क्रांतिकारी नई योजनाएं लाकर सीबीसीएस एवं सेमेस्टर पद्धति को लागू करे। रूसा विश्वविद्यालय की योजना से दिग्भ्रमित तथा संबंधित महाविद्यालय के नियमन में विफल रहा है। ऐसे में फेल रूसा को हटाकर विश्वविद्यालय की स्वायत्तता एवं यूजीसी की भूमिका को स्थापित करना चाहिए। पालीवाल ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखते हुए वन्य संस्कृति एवं परंपरा को जीवित रखने का काम जनजातीय समाज ने किया है। जनजाति संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का प्रयास किया जाए तथा शैक्षणिक संस्थाओं में छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति का नाम जनजाति महापुरुषों के नाम पर रखा जाए। इस अवसर पर संगठन मंत्री पूरण सिंह, महानगर मंत्री सोहन डांगी, प्रदेश सहमंत्री गजेन्द्र सिंह राणा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य जयेश जोशी, प्रह्लाद सिंह सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
Published on:
13 Dec 2017 07:28 pm
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