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प्रदेश में देवस्थान की जमीनों पर सैकड़ों कब्जे, कोई धणी-धोरी नहीं

देवस्थान विभाग devsthan vibhag के अधीन मंदिरों की करीब 7104.84 हेक्टेयर कृषि भूमि है जिसमें से करीब आधी भूमि पर पुजारियों के साथ अन्य लोगों ने कब्जा कर रखा है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते प्रभु मूर्ति के नाम दर्ज इन जमीनों को कब्जा land Occupation मुक्त करवाने और इनकी मेढ़बंदी करने की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसका नतीजा है कि भगवान की जमीनों पर लगातार कब्जे बढ़ते जा रहे हैं। देवस्थान विभाग के 10 कार्यालयों के अधीन 139 मंदिर हैं। इनकी करीब 7104.84 हेक्टेयर कृषि भूमि है। इसमें से मंदिरों के कब्जे में 3811.35 हेक्टेयर भूमि है। प्रभु मूर्ति के नाम दर्ज करीब 3293.49 हेक्टेयर कृषि भूमि पर पुजारियों और अन्य ने कब्जा कर रखा है।

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प्रदेश के बाहर की धर्मशालाओं में बीपीएल कार्ड धारकों को नहीं चुकाना पड़ेगा शुल्क

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धीरेन्द्र जोशी/उदयपुर . देवस्थान विभाग Devasthan Department के अधीन मंदिरों की करीब 7104.84 हेक्टेयर कृषि भूमि है जिसमें से करीब आधी भूमि पर पुजारियों के साथ अन्य लोगों ने कब्जा कर रखा है। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते प्रभु मूर्ति के नाम दर्ज इन जमीनों को कब्जा land occupation मुक्त करवाने और इनकी मेढ़बंदी करने की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसका नतीजा है कि भगवान की जमीनों पर लगातार कब्जे बढ़ते जा रहे हैं। देवस्थान विभाग के 10 कार्यालयों के अधीन 139 मंदिर हैं। इनकी करीब 7104.84 हेक्टेयर कृषि भूमि है। इसमें से मंदिरों के कब्जे में 3811.35 हेक्टेयर भूमि है। प्रभु मूर्ति के नाम दर्ज करीब 3293.49 हेक्टेयर कृषि भूमि पर पुजारियों और अन्य ने कब्जा कर रखा है।

देवस्थान विभाग के अधीन वृंदावन में भी सहायक आयुक्त कार्यालय है। मंदिरों tamples की परंपराओं को निर्वहन एवं मंदिरों की भूमि के संरक्षण का जिम्मा इन कार्यालयों पर है, लेकिन करीब 906.53 हेक्टेयर भूमि को पुजारियों और अन्य अतिक्रमियों ने अपने नाम पर नामांतरण करवा लिया है।

जागीरी की जमीन का बेचान संभव नहीं
देवस्थान विभाग के मंदिरों में कई पुजारी वंशानुगत सेवा करते हैं। मंदिरों की कृषि भूमि के साथ ही पुजारियों को जागीरी भूमि प्रदान की गई थी। इस पर पुजारी अपने गुजारे के लिए खेती करते हैं। इनका पुजारी किराये व गिरवी नहीं दे सकते हैं या बेचान नहीं कर सकते हैं।


नामांतरणों का देवस्थान को पता ही नहीं

देवस्थान विभाग की कृषि और चरागाह की भूमियों में से काफी भूमियों का नामांतरण पुजारियों और अतिक्रमियों ने अपने नाम से करवा लिया है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने निर्देश भी दिए थे। उस समय अधिकतर भूमि का नामांतरण रद्द करवाकर 1985 के पूर्व की स्थिति में लाया गया, लेकिन कई भूमियां इस प्रक्रिया से वंचित रह गई। इनमें से कई भूमियों पर लोगों ने कब्जे कर रखे हैं और धीरे-धीरे इनको खुर्द-बुर्द भी कर रहे हैं।


सरकार ने सर्कुलर निकाल कर राजस्व अधिकारी को देवस्थान की भूमियों के लिए अधिकृत किया गया है। इसमें भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 के तहत तहसीलदार और पटवारी कार्रवाई कर सकेंगे। इस संबंध में अब तक कार्रवाई शुरू नहीं हुई हैं। ऐसे में हमने कलक्टर को पत्र लिखकर राजस्व अधिकारियों की बैठकों में इस बिंदू को शामिल करने के कहा है। दिनेश कोठारी, अतिरिक्त आयुक्त, देवस्थान


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