उदयपुर

भले ही शहरी का हिस्सा, लेकिन सफाई के लिए दो पाटों में

- एक दूसरे पर पल्ला झाडऩे में लगे स्थानीय निकाय- शहर से सटी ग्राम पंचायतों की कोई नहीं सुन रहा: ना निगम, ना यूआईटी - जिला प्रशासन के पास भी कोई प्रस्ताव या योजना नहीं

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Nov 08, 2021
राजस्थान में पहला स्थान बरकरार

भुवनेश पंड्या

ये वे क्षेत्र है, जो भले ही शहर का हिस्सा ही है, लेकिन यहां सफाई को लेकर ना नगर निगम जिम्मेदार हैं और ना ही नगर विकास प्रन्यास। इसलिए कि जब भी यहां के लोग निगम या यूआईटी पहुंचते हैं तो दोनों एक दूसरे का या ग्राम पंचायतों का परिक्षेत्र बताकर उन्हें टरका देते हैं। हालात ये हैं कि इन क्षेत्रों में खाली प्लॉट्स गंदगी से अटे पड़े हैं, तो यहां कचरा जहां-तहां सड़कों पर दिन भर पसरा रहता है। अधिकांश क्षेत्रों में नालियां तक नहीं है और ना ही रोशनी का प्रबन्ध। स्मार्ट सिटी उदयपुर का हिस्सा होकर भी देहाती माहौल में ये लोग जीने को मजबूर है।

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उदयपुर. नगर विकास प्रन्यास और नगर निगम की क्षेत्राधिकार की लड़ाई का खमियाजा आमजन भुगत रहा है। आलम यह है कि इन लोगों को ना तो माकूल सफाई का मिल पा रही है और ना ही बिजली की व्यवस्था। अन्य विकास कार्य भी नहीं हो रहे हैं। जहां एक ओर यूआईटी कहती है कि उसने कॉलोनी बसाकर इसे निगम को सौंप दिया तो निगम सफाई देता है कि वहां के प्लाट्स बेचकर बटुआ यूआईटी ने भरा और अब काम की बारी आई तो वे वहां से भाग रहे हैं। ये हालात उन ग्राम पंचायतों के हैं, जो कहने को तो ग्राम पंचायत हैं, लेकिन शहर का हिस्सा है। शहर से सटे हुए ये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां विकास के नाम पर ना तो नगर निगम तैयार है और ना ही यूआईटी। दोनों के पास अपनी -अपनी दलीलें हैं, लेकिन आम लोगों की सुनवाई नहीं।

नहीं आते कचरा लेने वाले वाहन
- इन क्षेत्रों में डोर-टू डोर कचरा संग्रहण के लिए वाहन भी नहीं आते। यदि इन क्षेत्रों में कोई रसूखदार होटल व्यवसायी इन वाहनों को बुलाता भी है तो ये वाहन चालक वहां से कचरा जरूर उठा लेते हैं, लेकिन किसी घर से वे कचरा नहीं उठाते। शहर के गोवद्र्धन विलास क्षेत्र से लेकर देवाली ग्राम पंचायत, डाकन कोटड़ा, धोल की पाटी, शोभागपुरा क्षेत्र सहित कई ऐसे इलाके हैं, जहां के हालात खराब हैं। इसे लेकर कोई एजेंसी आगे नहीं आ रही। ग्राम पंचायतें भी यहां की स्थितियां बेहतर नहीं कर पा रही है।

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ये बोले जनप्रतिनिधि

हमारे यहां तो नहीं आती कोई संग्रहण की गाड़ी
देवाली ग्राम पंचायत के सरपंच सत्यनारायण गमेती ने बताया कि कचरा वाहन की जरूरत हैं, पंचायत के पास सफाई का बजट नहीं है, क्योंकि यहां की जनसंख्या कम है। यूआईटी को लिखकर दिया है। कॉलोनी पूरी यूआईटी की बसी हुई है, लेकिन यहां ना तो बिजली की व्यवस्था हैं और ना ही कोई वाहन आ रहा है। आखिर करें भी तो क्या ?

- जयसमन्द मार्ग पर शहर से सटी डाकनकोटड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच मंागीलाल मीणा ने बताया कि सफाई वाली गाडिय़ों की जरूरत है, लेकिन यहंा तो किसी का ध्यान नहीं है। पहले जरूर प्रस्ताव तैयार कर उच्चाधिकारियों को दिया, लेकिन कुछ हुआ नहीं। अब ग्राम पंचायतें स्वास्थ्य मिशन के लिए प्रस्ताव तैयार कर जिला परिषद को भेज रही है। यदि निगम या यूआईटी यहां गाड़ी भेजती है तो बेहतर होगा, फिलहाल परेशानी बढ़ती जा रही है।
- शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर धोल की पाटी के सरपंच पूरण गमेती ने बताया कि सफाई की अभी तक तो गाड़ी नहीं आ रही है, नालियों की यहां ज्यादा समस्या है, निगम के सफाईकर्मी लगेंगे तो बेहतर होगा। साथ ही यदि यहां कचरा लेने के लिए वाहन आएगा तो सफाई अच्छे तरीके से हो सकेगी।

- शोभागपुरा ग्राम पंचायत की सरपंच जसोदा डांगी ने बताया कि सफाई के वाहन नहीं आ रहे हैं। कॉलोनी में यूआईटी के वाहन आ रहे हैं, लेकिन पूरे क्षेत्र में नहीं आ रहे। हमने कई बार मांग रखी, लेकिन यहां हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। सफाईकर्मी भी यूआईटी ने भेजने के लिए कहा था, लेकिन कोई नहीं आता। यूआईटी में भी प्रार्थना पत्र दिया है, लेकिन कोई सुनता नहीं है। क्षेत्रवासी गंदगी से परेशान है। 100 फीट रोड पर भी नहीं आ रहे।
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- नगर निगम क्षेत्र को बढ़ाने की जरूरत है। यूआईटी क्षेत्र को डवलप कर निगम को हेंडओवर कर देती है। लेकिन निगम तय क्षेत्र बढ़ा नहीं रहा है, ऐसे में वहां पर सफाई व अन्य बिजली की समस्याएं है। निगम को अब दायरा बढ़ाना चाहिए, ताकि इन सटें हुए क्षेत्रों में मूलभूत सुविधांए मिल सके।
अरुणकुमार हसीजा, सचिव, नगर विकास प्रन्यास उदयपुर

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यूआईटी हमें हेंडओवर करें ऑफिशियली

यूआईटी इन समीपस्थ ग्रामीण क्षेत्रों को हमें ऑफिशियली हेंडओवर क्यों नहीं करता। विकास के नाम पर प्लाट्स बेचकर पैसा वो कमा रहे हैं और जब काम की बारी आ रही है तो हमें कहते हैं। यदि वहां पर निगम से काम करवाना है तो उस क्षेत्र को हमें सौंपे तो हम काम भी करवाएंगे, सफाई की गाड़ी भी भेजेंगे व बिजली की व्यवस्था करेंगे। आखिर मलाई तो वह खा रहे हैं और काम हम पर थोंप रहे हैं, ऐसा तो नहीं हो सकेगा।
जीएस टांक, महापौर, नगर निगम उदयपुर

Published on:
08 Nov 2021 07:41 am
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