
Jaipur Tanker Blast: जयपुर में हुए हादसे ने हर किसी का दिल दहला दिया। एक साथ दर्जनों वाहनों के चपेट में आने और लोगों की मौत होने को लेकर लोग चिंतित हुए नजर आए। उदयपुर से गई बस के भी हादसे में शामिल होने को लेकर यहां के लोग बार-बार यही पूछते रहे कि बस में कौन-कौन सवार थे। जिस किसी को उदयपुर के यात्रियों की जानकारी मिली, वे कुशलक्षेम पूछते रहे। पत्रिका ने यात्रियों के नंबर जुटाकर हाल जाना, वहीं घटना के दौरान बने हालात के बारे में पूछा। ज्यादातर यात्री निशब्द थे और हादसे के दृश्य भुला नहीं पा रहे थे। क्योंकि वे जान बचाने के लिए अंगारों पर दौड़े थे और मौत का तांडव उनके सामने था।
हादसे के चश्मदीद विनोद कुमार भील ने बताया कि हल्ला होने से नींद टूट गई। स्लीपर का कांच खोला तो आग की लपटें नजर आई। खिड़की खोली तो आग की लपटें अंदर तक आई। जैसे-तैसे कूदकर निकला तो मानो आग का दरिया बह रहा था। हाथ-पैर झुलस गए, जान बचाकर खेतों में दौड़ा। कई लोग आग की लपटों से घिरे जान की भीख मांग रहे थे। कई को पूरी तरह से झुलसकर गिरते देखा। जो कम झुलसे और मेरे साथ खेतों में दौड़े, उनके कपड़े की आग बुझाई और फिर जैसे-तैसे उन्हें अस्पताल पहुंचाया। विनोद मूलत: बांसवाड़ा घाटोल के हरेंगजी का खेड़ा के है और जीबीएच हॉस्पिटल में नर्सिंगकर्मी हैं, जो इंटरव्यू के लिए जयपुर जा रहा था।
गुलाबबाग मार्ग स्थित आयुर्वेद रसायनशाला कार्यालय में बतौर कपाउंडर सेवारत ब्राह्मणों की हुंदर निवासी निर्मला चौबीसा पति दयाशंकर चौबीसा के साथ बस से जयपुर जा रही थी। साथ में अन्य कार्मिक व परिवारजन तारा चौबीसा, महेश चौबीसा, नीलम लक्ष्कार, महेश लक्ष्कार भी बस में सवार थे। तीनों दपतियों के साथ बच्चे भी थे। दयाशंकर चौबीसा बताते हैं कि सामने मौत का मंजर देखकर लगा कि बच नहीं पाएंगे। कांच तोड़कर खिड़कियों से कूदे और जैसे-तैसे जान बचा पाए। चारों ओर हाहाकार मचा था। मौत का तांडव देखकर दिल दहल गया। तीनों परिवारों को गहरा आघात लगा। सुरक्षित बच जाने के बाद भी काफी देर तक मौन नहीं टूटा और रुलाई फूटती रही।
उदयपुर में काम करने वाले उत्तरप्रदेश हाल जयपुर निवासी इस्तियाक खान बस से अपने घर जयपुर जा रहा था। इशान ने बताया कि लोगों की चिल्लाने की आवाज सुनकर नींद खुली। बाहर निकला तो सामने मौत को पाया। बस के गेट की तरफ भागा तो आग का गुबार सामने से आया। खिड़की तोड़कर कूदा तो घायल हो गया। बाहर अफरा-तफरी मच रही थी। लपटों से घिरे लोग इधर-उधर भाग रहे थे। जैसे-तैसे खेतों में भागकर जान बचाई।
वैशालीनगर जयपुर मूल के उदयपुर निवासी दिवानसिंह ने बताया कि उसने मौत को इतना करीब से पहली बार देखा। आग से बस के कांच फूट रहे थे। मुश्किल से खिड़की तोड़कर बाहर कूदा तो लगा कि अंगारों पर चल रहा हूं। पैर झुलसे, लेकिन जान बच गई। हादसे की खबर सुनकर बुजुर्ग मां चिंता में बेसुध हो गई। घर पहुंचा तो मां सिने से लिपटकर फूट-फूटकर रोई। दिवानसिंह उदयपुर में मार्केटिंग जॉब करता है।
Updated on:
21 Dec 2024 08:58 am
Published on:
21 Dec 2024 08:52 am
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