जांच में सामने आई कई अनियमितताएं
पट्टा जारी करवाने वाले महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने इस भवन में वर्षों से अपने परिवार का निवास बताते हुए शपथ-पत्र दिया लेकिन पट्टा 23 मई 2018 को जारी हुआ जबकि इसमें स्टाम्प 4 जून 2018 को लगाए और 8 जून को नोटरी हुआ जिससे फर्जीवाड़ा साबित होता है।
पंचायत सचिव और सरपंच ने पंचायती राज अधिनियम-1996 के 157 (1) के बिंदु संख्या 1 का उल्लंघन किया गया।
पट्टे के लिए आवेदक ने एक भी ऐसा दस्तावेज पेश नहीं किया जिससे साबित हो कि वहां उनका पैतृक निवास रहा हो। इस भूमि पर बरसों तक आबकारी विभाग का गोदाम संचालित था। केवल एक शपथ-पत्र पर पट्टा जारी कर दिया गया।
पट्टा आबादी भूमि में जारी किया गया या अन्य भूमि में इसका कोई प्रमाण मिसल रिकार्ड में मौजूद नहीं है। केवल आबादी भूमि की जमाबंदी लगा दी गई। पटवारी ने कोई मौका तस्दीक तक नहीं करवाई। एफआईआर के बाद अब विस्तृत जांच के लिए अधिकारी नियुक्त होगा जिसके बाद कई लोग आरोपी बनेंगे।
प्रथमदृष्टया नामजद आरोपी सरपंच और सचिव को बनाया गया है। पट्टे के फर्जीवाड़े में अन्य लोगों के साथ लाभार्थी महेन्द्रसिंह की भूमिका क्या रही, इसकी विस्तृत जांच होने के बाद नामजद कर लिया जाएगा।
रोशनलाल, निरीक्षक, एसीबी इंटेलीजेंस यूनिट उदयपुर