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फर्जीवाड़ा कर जारी किया आबादी पट्टा, सरपंच-सचिव के खिलाफ एसीबी में प्राथमिकी दर्ज

locationउदयपुरPublished: Apr 06, 2019 11:56:11 am

महेन्द्रसिंह मेवाड़ ने भूखण्ड का कर दिया बेचानक्षेत्रफल कम बता सरकार को लगाया 18 लाख का चूना

FIR filed in ACB against Sarpanch secretary

फर्जीवाड़ा कर जारी किया आबादी पट्टा, सरपंच-सचिव के खिलाफ एसीबी में प्राथमिकी दर्ज

चन्दनसिंह देवड़ा/उदयपुर . राजसमंद जिले की भीम ग्राम पंचायत में आबादी भूमि पर स्थित आबकारी विभाग के गोदाम को हटा एक वर्ष पूर्व महेन्द्र सिंह मेवाड़ को जारी किए गए पट्टे में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ जिसका खुलासा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ( एसीबी) की जांच में हुआ है। एसीबी ने सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी एवं एक अन्य को इस मामले में प्रथमदृष्टया पद का दुरुपयोग कर लाभ पहुंचाने में लिप्त मानते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया है।
एसीबी इंटलीजेंस यूनिट के पुलिस निरीक्षक रोशनलाल ने बताया कि भीम सरपंच गिरधारीसिंह रावत, ग्राम विकास अधिकारी मुरलीधर पण्ड्या एवं अन्य ने षड्य़ंत्रपूर्वक 23 मई 2018 को पंचायत क्षेत्र के आबादी खसरा नम्बर 10515 रकबा 110 बीघा 4 बिस्वा में से पट्टा उदयपुर निवासी महेन्द्रसिंह मेवाड़ के नाम जारी किया जबकि इस भूमि पर आबकारी विभाग का गोदाम बना हुआ था। इस जर्जर भवन को छोडक़र विभाग ने अन्यत्र दूसरा गोदाम बना लिया तो कतिपय लोगों ने इस भवन को खुर्द-बुर्द कर एक ही दिन में यह पट्टा जारी करवा लिया। खास बात यह है कि महेन्द्रसिंह मेवाड़ ने इस पट्टेशुदा भूखण्ड को ताल निवासी दिलखुश कटारिया को बेच दिया जिसमें भूखण्ड का क्षेत्रफल भी कम बताया जिससे सरकार को स्टाम्प ड्यूटी के रूप में 18 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। भूखण्ड का बाजार में कीमत 2 करोड़ रुपए आंकी गई लेकिन इसे भी कम बताया गया।

जांच में सामने आई कई अनियमितताएं
पट्टा जारी करवाने वाले महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने इस भवन में वर्षों से अपने परिवार का निवास बताते हुए शपथ-पत्र दिया लेकिन पट्टा 23 मई 2018 को जारी हुआ जबकि इसमें स्टाम्प 4 जून 2018 को लगाए और 8 जून को नोटरी हुआ जिससे फर्जीवाड़ा साबित होता है।
पंचायत सचिव और सरपंच ने पंचायती राज अधिनियम-1996 के 157 (1) के बिंदु संख्या 1 का उल्लंघन किया गया।
पट्टे के लिए आवेदक ने एक भी ऐसा दस्तावेज पेश नहीं किया जिससे साबित हो कि वहां उनका पैतृक निवास रहा हो। इस भूमि पर बरसों तक आबकारी विभाग का गोदाम संचालित था। केवल एक शपथ-पत्र पर पट्टा जारी कर दिया गया।
पट्टा आबादी भूमि में जारी किया गया या अन्य भूमि में इसका कोई प्रमाण मिसल रिकार्ड में मौजूद नहीं है। केवल आबादी भूमि की जमाबंदी लगा दी गई। पटवारी ने कोई मौका तस्दीक तक नहीं करवाई। एफआईआर के बाद अब विस्तृत जांच के लिए अधिकारी नियुक्त होगा जिसके बाद कई लोग आरोपी बनेंगे।

प्रथमदृष्टया नामजद आरोपी सरपंच और सचिव को बनाया गया है। पट्टे के फर्जीवाड़े में अन्य लोगों के साथ लाभार्थी महेन्द्रसिंह की भूमिका क्या रही, इसकी विस्तृत जांच होने के बाद नामजद कर लिया जाएगा।
रोशनलाल, निरीक्षक, एसीबी इंटेलीजेंस यूनिट उदयपुर
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