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करोड़ों के ‘सीएसआर’ में सरकार का दखल नहीं, राज्य सरकार के पास उपलब्ध नहीं ब्योरा

राज्य सरकार के पास सीएसआर का ब्योरा रखने एवं निगरानी का नहीं अधिकार

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उदयपुर . प्रदेश में कई बड़े उद्योग संचालित हैं। सीएसआर के दायरे में आने वाले उद्योगों को अपनी कमाई की तय हिस्सा सीएसआर यानी (कॉरपोरेट सोश्यल रिस्पोंसिबिलिटी) के तहत सामाजिक सरोकार में खर्च करना होता है, लेकिन किस उद्योग या फर्म ने कितनी राशि खर्च की या कितना पैसा किस क्षेत्र में समाज हित में लगा दिया, इसकी जानकारी या ब्योरा राज्य सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। साथ ही सरकार सीएसआर में किस उद्योग ने कितना पैसा खर्च किया, यह मॉनिटरिंग भी नहीं कर सकती है।


ये है नियम: भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के तहत बनाए गए नियमों व अधिसूचनाओंं के अनुसार प्रत्येक कंपनी जो सीएसआर के दायरे में आती है, उनकी ओर से गत तीन वर्षों के शुद्ध लाभ की औसत राशि का दो प्रतिशत सीएसआर फण्ड में गठित सीएसआर के निर्णयानुसार उपयोग किए जाने का प्रावधान है। कम्पनी अधिनियम 2013 के प्रावधानों के अनुसार कंपनी की ओर से खर्च की जाने वाली राशि यानी सीएसआर की मॉनिटरिंग का राज्य सरकार को अधिकार प्राप्त नहीं है।

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तो कैसे पता चले ?
आमतौर पर जिस क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग संचालित होता है, उसकी सामाजिक जिम्मेदारी मानी जाती है कि वह कानून के आधार पर सीएसआर राशि उस क्षेत्र के लिए खर्च करें, लेकिन कई उद्योग ऐसा नहीं करते है। मगर राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई दखल नहीं किया जाता कि वह उस राशि को तय समय में खर्च करें। यदि जिस जिले या क्षेत्र में उद्योग संचालित है, उस राज्य की सरकार को मॉनिटरिंग का अधिकार नहीं होता है, तो कोई उद्योग क्यों किसी राशि को खर्च करेगा। यदि नहीं करता है, तो सरकार इस पर सीधे तौर पर दखल नहीं कर सकती।


कंपनी एक्ट-2013 में जो संशोधन हुआ है, इस आधार पर राज्य सरकार सीएसआर की मॉनिटरिंग नहीं कर सकती। हमारे पास कितनी राशि खर्च हुई इसकी जानकारी रखना अनिवार्य नहीं है।
केएल मीणा, उद्योग आयुक्त राजस्थान