जुलाई का एक पखवाड़ा गुजर गया है, लेकिन जिले के अधिकांश स्कूलों में बच्चों को पूरी किताबें शिक्षा विभाग नहीं दे पाया है। आधी अधूरी किताबों से पढ़ाई नहीं हो पा रही है। अध्याय जोडऩे हटाने के चलते किताबों की प्रिंटिंग में देरी का हवाला दिया जा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि जो विषय स्कूल में है ही नहीं उन स्कूलों में उसकी किताबें भेज दी गई। कई जगह तो नोडल केन्द्रों से स्कूलों में पुस्तकें नहीं भेजी गई।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने विज्ञान संकाय की जो किताबें प्रकाशित करवाई उसमें गलतियों की भरमार है। विज्ञान संकाय के छात्र गुरूजी से इनको सुधारने में लगे हुए हैं। स्थिति यह है कि इनके अलावा भी पहली से 10वीं तक की किताबों में खामियां सामने आ रही है। जिससे छात्रों को गलत और अधूरी जानकारियां मिलेंगी।
पहली बार सरकारी स्कूलों की किताबों में क्यूआर कोड दिए गए ताकि शिक्षक इसे मोबाइल से स्केन कर विस्तृत जानकारी हासिल कर बच्चों को पढ़ाएं। यह नवाचार दिखावा साबित हो रहा है। बच्चों को तो छोड़ो, शिक्षकों को इस क्यूआर कोड के बारे में नहीं बताया गया। पड़ताल में पता चला कि कक्षा 9 और 10वीं गणित व विज्ञान की किताब के आलावा एक भी किताब का कंटेंट दीक्षा एप पर उपलब्ध ही नहीं है।
माध्यमिक निदेशक कार्यालय ने शिक्षकों के कक्षा में मोबाइल उपयोग पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए। जबकि किताबों में क्यूआर कोड देकर डिजिटल लिटरेचर की सुविधा दे रहे हंै, तमाम विभागीय जानकारी इसी पर मांग रहे हैं फिर यह फरमान जारी कर क्या साबित करना चाह रहे है यह समझ से परे है। इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही है।