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आखिर कैसे हो मजदूर मस्त, जब रोजी रोटी से हो त्रस्त

आखिर कैसे हो मजदूर मस्त, जब रोजी रोटी से हो त्रस्त

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मोहम्मद इलियास/उदयपुर

दिन अस्त मजदूर मस्त वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी। लेकिन हकीकत में मजदूरों की जिंदगी ऐसी नहीं है। काम मिल जाए तो मजदूरी बराबर नहीं मिलती और कई बार तो काम ही नहीं मिलता। ऐसे में मजदूर मस्त रहे तो आखिर कैसे? उदयपुर के 60 किलोमीटर की परिधि के पहाड़ी क्षेत्रों में छितराई टपरियों में रहने वाले सैकड़ों श्रमिक प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी के लिए शहर की दूरी नापते हैं, लेकिन आधे से ज्यादा मजदूर रोजाना बैरंग घर लौटते हैं। मजदूरी नहीं मिलती तो रात फाकाकशी में गुजारते हैं।
जिले में करीब 1.80 लाख रजिस्टर्ड मजदूरों में से करीब 1.29 लाख मजदूर तो अकेले निर्माण कार्यो से जुड़े हैं। जिनमें से आधे को भी प्रतिदिन मजदूरी नहीं मिल पाती। हालांकि ऐसे 31 हजार निर्माण श्रमिकों को सरकार ने विभिन्न योजनाओं में करीब 41.19 करोड़ की वित्तीय सहायता दी है।

जिले में झाड़ोल, कोटड़ा के अलावा 40 किलोमीटर की परिधि में रहने वाले यह मजदूर प्रतिदिन गांवों से मुंह अंधेरे घर छोड़कर शहर के मल्लातलाई, हाथीपोल, बेकनी पुलिया, प्रताप नगर, पारस तिराहे पर झुंड बनाकर टकटकी लगाए बैठते हैं कि उन्हें कोई ठेकेदार या मकान मालिक ले जाएगा, लेकिन कई बार उन्हें मजदूरी नहीं मिलती और बैरंग लौटना पड़ता है।

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केस-1

मंडी में नहीं मिल रहा अब काम

टीडी निवासी एक श्रमिक ने बताया कि वह प्रतिदिन सविना मंडी में मजदूरी के लिए आता है, लेकिन अब किसान का माल काफी कम आने से वे दुकानों के अलावा निर्माण कार्याे के लिए रेतीे स्टैंड व आसपास क्षेत्र में खड़े रहते हैं। मजदूरी मिलने पर कभी मंडी में तो कभी कमठाने में काम करते हैं। छुट्टी वाले दिनों व मंडी बंद होने पर उन्हें उस दिन बिना मजदूरी के निकालना पड़ता है।

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केस-2

काम के मुताबिक जो मिल जाए वो पैसे लेते हैं

झाड़ोल के सांडोल माता निवासी एक श्रमिक ने बताया कि पहले वह कमठाने में ठेकेदार के यहां काम करता था, लेकिन कम मजदूरी के लोग मिलने पर उन्हें काम नहीं होना बताकर निकाल दिया। अब मार्बल फैक्ट्री, कमठाना व मंडी में जो भी काम मिलता है, वहां काम कर गुजर बसर करते हैं। पहले 350 मजदूरी मिलती थी, लेकिन अब काम मिलने पर जो मिल जाए वो लेते हैं।

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जिले में इतने मजदूर

उदयपुर जिले में कुल रजिस्टर्ड मजदूर- 1.80 लाख

निर्माण कार्यों में रजिस्टर्ड मजदूर- 1.29 लाख

वर्तमान सरकार में पंजीकृत निर्माण श्रमिक- 32156

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योजना का नाम कुल सहायता

- निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना- 29153 29.95 करोड़

- दुर्घटना में मृत्यु या घायल में सहायता योजना- 357 7.17 करोड़

- प्रसूति सहायता योजना - 1525 2.92 करोड़

- शुभशक्ति योजना- 99 54.45 लाख
- सििलकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों के लिए सहायता योजना -25 50 लाख
- निर्माण श्रमिक औजार/टूल किट सहायता योजना- 425 8.47 लाख
- निर्माण श्रमिक जीवन व भविष्य सुरक्षा योजना- 4 24177
कुल- 31588 कुल वित्तीय सहायता- 41.19 करोड़
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