
कोर्ट (फाइल फोटो पत्रिका)
उदयपुर। राजकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय बांसवाड़ा के छात्र से प्रैक्टिकल और ट्यूटोरियल में अंक बढ़ाने की एवज में रिश्वत मांगने वाले तत्कालीन व्याख्याता भरत लाल टेलर को अदालत ने दोषी करार दिया। विशिष्ट न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) न्यायालय के पीठासीन अधिकारी मनीष अग्रवाल ने अभियुक्त को एसीबी की दो अलग धाराओं में एक-एक वर्ष के साधारण कारावास और 20 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
वर्ष 2010 में पॉलिटेक्निक कॉलेज बांसवाड़ा में विद्युत शाखा के द्वितीय वर्ष के छात्र ललित नागर से आरोपी व्याख्याता भरतलाल टेलर ने सेशनल और प्रैक्टिकल अंकों में बढ़ोतरी के बदले 1600 रुपए की मांग की थी। छात्र द्वारा विरोध करने पर आरोपी ने अंक काटने की धमकी दी। छात्र ने पहले 200 रुपए दिए जबकि शेष 800 रुपए देने के लिए आरोपी ने उसे अपने घर बुलाया। इससे परेशान होकर छात्र ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो बांसवाड़ा चौकी में शिकायत दर्ज कराई। सत्यापन की पुष्टि होने के बाद एसीबी ने 20 मई 2010 को आरोपी को छात्र से 800 रुपए रिश्वत लेते पकड़ा।
सुनवाई के दौरान विशिष्ट लोक अभियोजक राजेश पारीक ने तर्क दिया कि आरोपी एक लोकसेवक होकर छात्र से रिश्वत मांगने का दोषी है, इसलिए उसे कठोर दंड दिया जाना जरूरी है। न्यायालय ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए लिखा कि वर्तमान में लोक सेवकों द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन न कर भ्रष्ट आचरण अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। ऐसी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाया जाना नितांत आवश्यक है। अदालत ने कहा कि शिक्षक द्वारा अपने ही संस्थान के छात्र से अंक बढ़ाने के बदले रिश्वत लेना गंभीर अपराध है और ऐसे मामलों में दंड दिया जाना न्यायोचित होगा।
Published on:
17 Dec 2025 09:20 pm
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