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घर से बाहर निकलें तो कोरोना का भय, अंदर रहें तो मौत से डराती दीवारें , क्यों है ऐसा यह गांव

पुर के 4100 से ज्यादा मकानों में दरारें हैं। इसमें जर्जर मकानों की प्रशासन ने सूची बना रखी है। इनके मकानों में इतना नुकसान हुआ कि ये लोग अब खतरे में जी रहे हैं। पुर के मकानों का मुद्दा इतना चर्चित हो चुका है कि यहां के लोगों ने कई बार कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया।

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रहस्यमयी दरारों से नहीं मिली राहत, जांच एजेसिंयों का काम अधूरा ,- कोरोना ने अटकाई भूखंड आवंटन प्रक्रिया

भीलवाड़ा. ‘घरों से बाहर निकलें, तो कोरोना का डर। अंदर रहें तो ये दरारें नींद भी नहीं लेने दे रही। दरारें देख लगता है कि पता नहीं, कब मकान ढह जाएगा।’ यह पीड़ा है पुर के पलोड़ मोहल्ले के बाशिंदे मनीष पलोड़ की। पलोड़ का कहना था, कोरोना में अब समय निकालना मुश्किल हो रहा है। दरअसल, कोरोना लॉकडाउन के चलते पुर के लोग दोतरफा दर्द झेलने को मजबूर हैं। हालात ये हैं कि अब कई लोगों के लिए समय गुजारना मुश्किल हो गया। पुर के 4100 से ज्यादा मकानों में दरारें हैं। इसमें जर्जर मकानों की प्रशासन ने सूची बना रखी है। इनके मकानों में इतना नुकसान हुआ कि ये लोग अब खतरे में जी रहे हैं। पुर के मकानों का मुद्दा इतना चर्चित हो चुका है कि यहां के लोगों ने कई बार कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पुर आकर जायजा ले चुके हैं। एक दर्जन पूर्व मंत्री व कई विधायक यहां लोगों का दर्द सुन चुके हैं। हालांकि अभी पुरवासियों को राहत नहीं मिली। पुर में नुकसान के बदले प्रशासन ने इनको रामप्रसाद लढ़ा नगर व नया पुर में भूखंड देने की योजना बनाई, लेकिन कोरोना के चलते यह काम अटक गया।

जांच भी अधूरी

पुर में दरारों का कारण पता लगाने के लिए आइआइटी रुडक़ी, एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च नागपुर की टीमें जांच कर रही हैं। इन टीमों ने यहां जिंदल सॉ लिमिटेड में ब्लास्टिंग भी कराई है। हालांकि जांच रिपोर्ट ाआनी बाकी है।

मीठू की सिलाई दुकान झुकी
सदर बाजार में मीठूलाल टेलर की दुकान पूरी झुक गई है। दुकान बंद है, लेकिन ढहने का खतरा है। वे खुद ही सीमेंट लगाकर थामने की कोशिश कर रहे हैं। महावीर सिंघवी की दुकानों की पट्टियां टूट गई हैं। वे बोले, लॉकडाउन का क्या मुसीबत थी कि अब नई परेशानी आ गई।

इशाक मोहम्मद के घर की पट्टियां टूटी

नीलकंठ रोड निवासी इशाक मोहम्मद सोरगर के मकान की दो पट्टियां और टूट गई। अब घर में समय निकालना मुश्किल हो रहा है। बाकी पट्टियां कब टूटकर गिर जाए, पता नहीं है। कोरोना से ज्यादा दरारों से डर लग रहा है। घनश्याम कुम्हार के भी घर में नुकसान हुआ है।

१० माह से सामुदायिक भवन आसरा
चंद्रसिंह नाहटा का मकान जर्जर हो चुका था। ऐसे में प्रशासन ने खाली करा दिया। नाहटा पिछले १० माह से सामुदायिक भवन में रह रहे हैं। उन्होंने बताया, खुद का घर छोडक़र यहां रह रहे हैं। यहां कोई सुविधा नहीं है। पूरा परिवार परेशान है।