
मंदिर और पाठशाला के पास खोल दी शराब की दुकानें
भुवनेश पण्ड्या
उदयपुर. मंदिरों और स्कूलों के निकट शराब की दुकानें खोलने की पाबंदी के बावजूद राज्य के अधिकांश जिलों में 62 स्थानों पर ये शराब की दुकानें खोल दी गई। एक के बाद इस कारस्तानी के चि_े सरकार से लेकर आबकारी विभाग तक पहुंचे तो पता चला कि नशे की 'मादकताÓ में नियमों का ही धुआं निकल गया। अधिकारियों से लेकर जांच अधिकारियों की नाक के नीचे ये खेल हो गया। सरकार के पास पहुंचे मामलों के बाद विभाग ने जरूर इस पर कार्रवाई के कागज दौड़ाए।
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ये होना जरूरी
राजस्थान आबकारी अधिनियम 1956 धारा 75 के तहत धार्मिक स्थानों व विद्यालयों से निर्धारित दूरी पर ही शराब ठेका संचालित करने का प्रावधान है। प्रदेश में धार्मिक स्थानों और विद्यालय आदि के पास शराब के ठेके संचालित कर आबकारी नियमों का उल्लंघन करने पर सरकार के पास विभिन्न जिलों से शिकायतें भी पहुंची हैं।
आबकारी अधिकारी तय करते हैं लोकेशन
राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर घोषित आबकारी एवं मद्य संयम नीति के तहत मदिरा दुकानों का आवंटन किया जाता है तथा क्षेत्र के लिए आवंटित दुकान का लोकेशन राजस्थान आबकारी नियम 1956 के नियम 75 के अनुकूल पाए जाने पर संबंधित जिला आबकारी अधिकारी की ओर से किया जाता है।
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जिलेवार शिकायतें
जिला- प्राप्त शिकायत
अजमेर- 5
अलवर- 4
बांसवाड़ा-2
बारां- 5
चूरू- 8
धौलपुर- 1
डूंगरपुर- 3
जालोर- 5
झुंझुनूं- 11
जोधपुर- 1
कोटा- 9
पाली- 1
सिरोही- 7
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ये है नियम-कानून
- देशी मदिरा, विदेशी मदिरा या भारत निर्मित विदेशी मदिरा या हैम्प औषधियों के खुदरा विक्रय का लाइसेंसधारी अपनी दुकान केवल संबंधित जिला आबकारी अधिकारी की ओर ये अनुमोदित स्थान पर ही रखेगा।
- ये दुकानें महाविद्यालयों, सीनियर माध्यमिक विद्यालय, सभी स्तर के कन्या शिक्षण संस्थानों, अस्पताल, पूजा स्थल, सार्वजनिक मनोरंजन के स्थान, कारखाना या श्रमिक या हरिजन कॉलोनी से 200 मीटर की दूरी के अन्दर नहीं खोली जा सकती।
- खुदरा विक्रय के लिए दुकान जिला आबकारी अधिकारी की पूर्व अनुमति के बगैर एक से दूरे स्थान पर बदली नहीं जा सकती।
- जिला आबकारी अधिकारी पर्याप्त कारणों को लेखबद्ध करने के बाद किसी दुकान को एक से दूसरे स्थान पर बदल सकेगा। दुकान बदलने के लिए लाइसेंसधारी को कोई क्षतिपूर्ति देय नहीं होगी।
- यदि आबकारी आयुक्त चाहे तो पर्याप्त कारणों को लिखने के बाद अपवाद मान कर परिस्थितियों में तय शर्तों में छूट प्रदान की जा सकेगी।
कहते हैं अधिकारी
यदि शराब की दुकान नियमों से गलत तरीके से खोली गई है तो तत्काल उसकी लोकेशन जिला अधिकारी बदल सकते हैं। उनके पास ये अधिकार होता है। देवालय या स्कूल के दो सौ मीटर के दायरे में ये दुकान नहीं होनी चाहिए। ये जरूरी है कि जो पूजन स्थल है वह देवस्थान विभाग में पंजीकृत हो। हालांकि कई बार जन भावनाओं की कद्र कर भी निर्णय लिया जाता है।
हेमेन्द्र नागर, जिला आबकारी अधिकारी, उदयपुर
Published on:
09 Dec 2019 08:53 pm
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