
'लक्ष्मी के चेहरे पर दरिदंगी की 'छपाक : तेजाबी हमले में पल-पल घुटती बेटियां
भुवनेश पंडया
उदयपुर. वो दिन शायद वह कभी भूल ही नहीं सकती, क्योंकि उस दिन के बाद से उसका सबकुछ बदल गया था, उसका चेहरा और बची-खुची जिदंगी भी। अब आइना उसे रोज याद दिलाता है कि खिली-खिली उम्र की इस दहलीज पर वो कुम्हलाई सी दिखने लगी है, शायद हर किसी के लिए ऐसा ना भी हो, लेकिन वह खुद को देख हर दिन उस धीमी मौत की मानिन्द घुटने लगती है। आम तौर पर उसके चेहरे को जो टकटकी लगा देखते हुए हसीन होने का खिताब देते थे, अब वे उसे देख मुंह फेर लेते हैं। मन से भले ही वह आज भी चमचमाता हीरा ही हो, लेकिन उसका चेहरा अब वो नहीं रहा जो हर किसी को अपनी ओर बरबस खींच लेता था, लोग देखते तो उसे आज भी हैं, लेकिन बड़ी अजीब सी प्रतिक्रिया के साथ। यह उन तमाम बेटियों की दास्तान है जो तेजाबी हमले का शिकार हुई, उनके चेहरे आज भी उस एसिड सी दरिंदगी की छाप समेटे नजर आते हैं। देश में पिछले तीन वर्षोंे में हुए साढ़े चार सौ तेजाबी हमले एसी ही कहानियां कहते हैं। ----कुछ दिन बाद रिलीज होने वाली दीपिका पादुकोण अभिनीत छपाक फिल्म चाहे एक लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी हो, जिस पर एसिड अटैक हुआ था, लेकिन देश के कौने-कौने में कई ऐसी लक्ष्मियां पल-पल कभी हारती कभी जीतती नजर आती हैं। एसिड अटैक का दर्द क्या होता है यह तो वही जान सकता है जो इस खौफ के मंजर से गुजर चुका हो। ऐसे ही एक खौफ की दास्तां बयां होती है। दिल्ली की लक्ष्मी अग्रवाल की रियल स्टोरी है, लक्ष्मी दिल्ली के एक मध्यम परिवार की लड़की थीं, 7वीं कक्षा में पढऩे वाली लक्ष्मी एक किताब की दुकान पर काम करती थी। साल 2005 में जब वह महज15 साल थी तब एसिड अटैक हादसे का शिकार हुई। लक्ष्मी का कसूर इतना था कि उसने खुद से दोगुने उम्र के एक व्यक्ति का प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया था। इस बात से नाराज उस व्यक्ति ने लक्ष्मी से बदला लेने के लिए उस पर तेजाब फेंक दिया था। इस हादसे की वजह से लक्ष्मी का पूरा चेहरा बुरी तरह झुलस गया।
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तेजाब अटैक पर सरकार के कदम..
.गृह मंत्रालय ने आईपीसी के प्रावधानों को लागू करने के लिए कदम उठाने, तेजाब के हमलों के मामलों को तेजी से निपटाने और पीडि़तों को उपचार व क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए 20 अप्रेल 2015 को एक एडवाजरी जारी की है। मंत्रालय ने तेजाब की बिक्री को नियमित करने के लिए 30 अगस्त 13 को भी सभी राज्यों को मॉडल प्वाइजन रूल्स प्रचारित करउन्हें अधिसूचित करने को कहा है। - आईपीसी की धारा 166 बी अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 357 सी के साथ के अनुसार किसी भी तेजाब हमले से पीडि़त को सार्वजनिक व निजी किसी भी अस्पताल में किसी भी बहाने से उपचार करने के लिए मना नहीं किया जा सकता। नियम नहीं मानने पर दो चिकित्सालय व संचालक के खिलाफ एक वर्ष तक की सजा या जुर्माना दोनों है। सीआरपीसी की धारा 357 में यह भी प्रावधान है।
- सीआरपीसी की धारा 357 ए के अनुसार पीडि़तों को पीडि़त क्षतिपूर्ति स्कीम के तहत भुगतान किया जाएगा। - राज्य पीडि़त क्षतिपूर्ति स्कीम की सहायता एक बारगी अनुदान के रूप में जारी की गई। इसमें निर्भया निधि से 16-17 में 200 करोड़ रुपए की वित्तीय सहयता जारी की गई। - केन्द्र सरकार के वन स्टॉप सेंटर यानी ओएससी और महिला हैल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल) नियमानुसार कार्य करने के निर्देश हैं। - 24 घंटे में पीडि़त को तत्काल सहायता के निर्देश हैं।
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वर्ष 2015 से 17 तक : पूरे देश में हुए है तेजाब से हमले,
उत्तरप्रदेश व प. बंगाल में आंकड़े शर्मनाक हैं।
राज्य- 2015-2016-2017
राजस्थान- 0-2-3
आन्ध्रप्रदेश- 11-03-02
असम- 01-08-03
बिहार- 05-02-04
गोवा- 00-01-00
गुजरात- 03-06-04
हरियाणा- 03-08-04
हिमाचल प्रदेश- 01-00-02
जम्मू-कश्मीर- 00-00-01
कर्नाटक- 01-02-02
केरल- 05-09-09
मध्यप्रदेश- 05-04-05
महाराष्ट्र- 06-02-02
मणिपुर- 00-00-01
ओडिशा- 05-12-11
पंजाब-02-05-04
तमिलनाडु-07-01-03
तेलंगाना- 01-00-01
त्रिपुरा- 00-01-00
उत्तरप्रदेश- 51-44-41
उत्तराखंड- 00-00-03
प.बंगाल- 20-40-35
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कुल- 140-160-148
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ये राज्य मिसाल- अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, अंडमान निकोबार, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली, दमन दीव, लक्षद्वीप, पुदुचेरी में तीन वर्षों में एक भी एसी घटना नहीं हुई।
Published on:
05 Jan 2020 09:06 pm
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