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मधुबन स्थित राहत हॉस्पिटल का मामला…कमेटी की जांच रिपोर्ट- इलाज में नहीं रही लापरवाही

इंजेक्शन नहीं, गैंगरीन के कारण काला पड़ा था नवजात का पांव... मधुबन स्थित राहत हॉस्पिटल में नवजात बच्ची के उपचार में लापरवाही के आरोपों को जिला प्रशासन

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उदयपुर . मधुबन स्थित राहत हॉस्पिटल में नवजात बच्ची के उपचार में लापरवाही के आरोपों को जिला प्रशासन की जांच कमेटी ने खारिज कर दिया है। जांच रिपोर्ट प्रशासनिक स्तर पर हाथीपोल थाना पुलिस को भिजवा दी गई है।

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जांच कमेटी के अनुसार 750 ग्राम वजनी नवजात बालिका का पैर गैंगरीन रोग के कारण काला पड़ा था। इंजेक्शन लगाने से पैर काला पडऩे के आरोप गलत हैं। रिपोर्ट के अनुसार नवजात बच्ची सात माही होने के अलावा कम वजनी थी। चिकित्सकों ने उसका जो उपचार किया वह सही पाया गया। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस स्तर पर आरोपितों के प्रति कार्रवाई सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है।

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दूसरी ओर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, मेडिकल प्रेक्टिशनर सोसायटी, राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन, ऑल राजस्थान इन-सर्विस डॉक्टर्स एवं रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से पुलिस महानिरीक्षक को सामूहिक ज्ञापन देकर हॉस्पिटल में तोडफ़ोड़ और महिला चिकित्सक से मारपीट मामले में मुस्तैदी दिखाने की मांग की गई है। संगठनों के प्रतिनिधि डॉ. सुनील चुघ, डॉ. आनंद गुप्ता, डॉ. तरुण व्यास, डॉ. राहुल जैन, डॉ. राजवीरसिंह एवं डॉ. दीपाराम पटेल के साथ हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरविंदरसिंह की ओर से मामले में थाना पुलिस की ओर से आरोपितों के खिलाफ एफआईआर में कई धाराएं लगाने में ढिलाई बरतने सहित अन्य धाराओं को शामिल किए जाने की मांग की गई। चिकित्सक संगठनों के अनुसार उन्हें अनजान लोगों से लगातार धमिकयां मिल रही हैं।

दूसरी ओर आईएमए अध्यक्ष डॉ. सुनील चुघ, महासचिव डॉ. आनंद गुप्ता, आरएमसीटी महासचिव डॉ. राहुल जैन, अरिस्दा के डॉ. तरुण व्यास, रेजिडेंट यूनियन अध्यक्ष डॉ. राजवीरसिंह एवं महासचिव डॉ. दीपाराम पटेल ने सामूहिक ज्ञापन देकर कलक्टर से तोडफ़ोड में लिप्त आरोपितों को मेडिकल प्रोटक्शन एक्ट २००८ के तहत शीघ्र गिरफ्तार करने की बात कही। समुचित लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखते हुए चिकित्सकों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग दोहराई।