
उदयपुर. दशहरी, लंगड़ा, केसर, बादामी और हापुस...। ये नाम सुनकर केवल आम ही याद नहीं आते बल्कि इनका बेहतरीन स्वाद लेने के लिए मन भी ललचा उठता है। देश में आम की करीब 50 से भी अधिक किस्में उगाई जाती हैं और जब आम की बात आती है तो मेवाड़ भले कैसे पीछे रह सकता है। यहां तो आम के पेड़ ही मेवाड़ की पहचान रखते हैं। उदयपुर के गुलाबबाग के आमों का स्वाद भी मशहूर है, वहीं, यहां के कृषि विवि ने बांसवाड़ा को आमों का ‘स्वर्ग’ ही बना दिया है।
52 तरह की आमों की किस्में उगाई जा रही
बांसवाड़ा अब फलों के राजा आम का हब बन चुका है। यहां आम की कई प्रजातियों की प्रतिवर्ष बंपर पैदावार होती है और इस कारण यहां के किसानों की जिंदगी बदल चुकी है। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विज्ञान केन्द्र बांसवाड़ा में एक बड़े क्षेत्र में आमों की खेती की जाती है। अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके शर्मा ने बताया कि राजस्थान में आमों का क्षेत्र साढ़े चार हजार हेक्टेयर है, उसमें से साढ़े तीन हजार हेक्टेयर मेवाड़-वागड़ में है। वर्ष 2007 से यहां आम का उत्पादन किया जा रहा है और इसके कई उत्पाद भी बनाए जाने लगे हैं। इससे लगभग 5000 किसान जुड़े हुए हैं और इससे हो रहे मुनाफे ने किसानों की जिंदगी बदल दी है। यहां लगभग 52 तरह की आम की किस्मों दशहरी, चौसा, तोतापुरी, मल्लिका, किशन भोग, बोम्बे ग्रीन, केसर, राजस्थान केसर, बैगनपाली, अल्फांजो, बजरंग आदि कई तरह की किस्में उगाई जाती हैं। यहां के बजरंग आम की किस्म ऐसी है, जिसमें साल में दो बार आम आते हैं। यहां से ना केवल राज्य में बल्कि अन्य राज्यों में भी ये आम पहुंच रहे हैं।
उदयपुर में 4 माह में हर दिन 150 टन होता है आम का उठाव
फल-सब्जी व्यापारी एसोसिएशन के महासचिव और करीब 25 सालों से आम के व्यवसायी धर्मवीर सलूजा ने बताया कि आम का सीजन अप्रेल से जुलाई तक होता है। इन 4 माह में हर दिन करीब 150 टन आम का उठाव होता है। उदयपुर के गुलाबबाग में आम उगाए जाते हैं। पहले सहेलियों की बाड़ी में भी आम उगाए जाते थे, इसके आम भी मण्डी में बिकने आते थे। गुलाबबाग में प्रमुखत: लंगड़ा आम होता है, जिसका स्वाद शहरवासी सालों से लेते आ रहे हैं। उदयपुर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से देशी कैरियां आती हैं, जो अचार, मुरब्बा आदि के लिए अधिक इस्तेमाल की जाती हैं। यहां अन्य राज्यों से लगभग 15 तरह के आमों की किस्में आती हैं। इनमें महाराष्ट्र से रत्नागिरी, गुजरात से केसर, आंध्रा से तोतापुरी व बादाम आते हैं।
Published on:
28 Jul 2021 10:00 am
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