
रुद्रेश शर्मा
Udaipur News : उदयपुर . एक वक्त था जब मेवाड़ के जंगलों में भी बाघों की दहाड़ सुनाई देती थी। लेकिन धीरे-धीरे देश के अन्य जंगलों की तरह मेवाड़ से भी बाघ विलुप्त हो गए। अब राष्ट्रीय बाघ परियोजना (एनटीसीए) की ओर से कुभलगढ़ टाइगर रिजर्व को सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद एक बार फिर यह उमीद जगी है कि ये जंगल फिर बाघों के पनाहगाह बनेंगे। यह टाइगर रिजर्व 4 जिलों उदयपुर, पाली, राजसमंद, सिरोही में फैला होगा। हालांकि राज्य सरकार की ओर से धीमी गति से चल रही प्रक्रिया के कारण इसके मूर्त रूप लेने की मियाद लबी होती जा रही है।
एनटीसीए की सैद्धांतिक सहमति मिले करीब नौ माह गुजर चुके हैं। अब राज्य सरकार की ओर से विशेषज्ञ समिति का गठन होना है। इसकी अंतिम रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार की ओर से ही कुभलगढ़ टाइगर रिजर्व (Kumbhalgarh Tiger Reserve) की अधिसूचना जारी होगी। लेकिन एनटीसीए की सहमति के बाद पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव के चलते इस प्रक्रिया में विलब हो रहा है। माना जा रहा है कि 4 जून को लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद राज्य सरकार इस दिशा में आगे कदम बढ़ा सकती है।
211 हैक्टेयर में शाकाहारी वन्य प्राणियों का पुनर्वास केन्द्र
प्रे-बेस (पूर्वाधार) की समस्या को दूर करने के लिए सादड़ी के पास मोडिया वनखण्ड में लगभग 211 हैक्टेयर का शाकाहारी वन्यप्राणियों का रिहेबिलिटेशन और रिलोकेशन केन्द्र बनाया जा चुका है। उसमें प्रे-बेस बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। रणकपुर, ठंडीबेरी से कुछ आगे छोटी ओदी के पास व जवाई में पुराने प्राणी रिहेबिलिटेशन व रिलोकेशन केंद्र बने हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ सुधार कर इनको जंगली सूअर, खरगोश, सांभर, चीतल, चिंकारा आदि का प्रजनन केंद्र बनाकर प्रे-बेस बढ़ाने का कार्य किया जा सकता है।
करौली-धौलपुर परियोजना की जारी हो चुकी अधिसूचना
22 अगस्त, 2023 को एनटीसीए ने कुभलगढ़ बाघ संरक्षण परियोजना (टाइगर रिजर्व) के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। इसी अवधि में एनटीसीए की सिफारिश के बाद धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व को विशेषज्ञ समिति के परामर्श के बाद राज्य सरकार ने अधिसूचित कर दिया, लेकिन कुभलगढ़ के मामले में उतनी तेजी नहीं दिखाई जा रही है।
अधिसूचना से पहले बनानी होगी समिति
अधिसूचना की प्रक्रिया से पहले राज्य सरकार को वन विभाग के उच्चाधिकारियों और विशेषज्ञों की समिति का गठन करना है, जो प्रस्तावित कुभलगढ़ टाइगर रिजर्व का दौरा करेगी। इस समिति में सीसीएफ, डीसीएफ सहित चार से पांच वन्यजीव विशेषज्ञ शामिल होंगे। इनकी रिपोर्ट के बाद ही राज्य सरकार टाइगर रिजर्व की अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी करेगी।
अभी प्रदेश में ये टाइगर रिजर्व
2 सरिस्का बाघ परियोजना
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कुभलगढ़ में आवास की बनावट, पानी की उपलब्धता, बाघिनों के लिए पर्याप्त प्रसव स्थल और लोगों का बाघों के साथ पुराना रिश्ता ऐसे कारक हैं, जो यहां बाघ लाने के लिए सकारात्मक माहौल बनाते हैं। यहां पर्यटकों की कोई कमी नहीं रहेगी। होटल, गाइड, वाहन संचालक, संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाएं, छोटे दुकानदार, होम स्टे से जुड़े स्थानीय लोग आदि इससे लाभान्वित होंगे। यदि बाघ की वापसी होती है तो यह एक बड़ा कार्य होगा। राज्य सरकार को इसमें तेजी दिखानी चाहिए।-राहुल भटनागर, सदस्य, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
पांच दशक पहले तक गूंजती थी दहाड़
मेवाड़ के जंगलों में पांच दशक तक पहले बाघों की दहाड़ सुनाई देती थी। लेकिन, बढ़ती जनसंख्या के दबाव में 1960 से 1970 के बीच बाघों को मेवाड़ से लगभग समाप्त कर दिया। यह जीवित विरासत हमसे छिन गई। हालांकि, बाघ समाप्त हो गए, लेकिन अब भी राजसथान में सर्वश्रेष्ठ वन हमारे पास हैं। इनमें टॉडगढ़-रावली, भैंसरोडगढ़, बस्सी, जयसमंद, सीतामाता, सज्जनगढ़, फुलवारी की नाल, कुम्भलगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र शामिल हैं।
Published on:
21 May 2024 12:13 pm
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