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प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां दिखने लगी बर्ड विलेज मेनार में

हजारों किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचने लगे परिंदे

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Migratory birds started appearing in Bird Village Manar

प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां दिखने लगी बर्ड विलेज मेनार में

उदयपुर. मेनार.सात समंदर पार कर प्रवासी पक्षियों का मेवाड़ में आना शुरू हो गया है। बर्ड विलेज मेनार में प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां दिखने लगी है। गांव के धंड तालाब
और ब्रह्मसागर पर प्रवासी पक्षी दिखने लगे हैं, लेकिन अभी शुरुआती समय में पक्षी आसपास के स्थानों पर दलों में बंटे हुए हैं। सबसे खास बात यह है कि इस गांव में ग्रामीण बिना किसी सरकारी सहायता के अपने स्तर पर पक्षियों का संरक्षण करते हैं।
मेनार में अब सुबह- शाम इन परिंदों की चहचहाहट गूंजने लगी है। पक्षीविदों की मानें तो जैसे-जैसे वातावरण में ठंडक घुलेगी वैसे वैसे इन जलाशयों पर प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा होगा। इस लिहाज से यह वर्ष बर्ड वाचर के लिए भी बेहतरीन साल साबित होने की संभावना है। वैसे इस बार अधिक प्रवासी पक्षी आने की उम्मीद है क्योंकि शुरुआती दौर में आने वाला वैगटेल पक्षी बड़ी तादाद में बर्ड विलेज में पहुंचा है। इन पक्षियों को मेनार के तालाबों पर मुकम्मल आवास मिल रहा है। ये पक्षी शीत प्रदेशों से उड़ान भरकर 4 से 5 हजार किलोमीटर का सफर तय कर यहां आते हैं। वर्तमान में मेनार में आधा दर्जन प्रजातियों के पक्षी दिखना शुरू हो गए है। पक्षीमित्र चेतन मेनारिया के मुताबिक धंड तालाब पर अभी शुरुआत में फ्लेमिंगो, पेलिकन, कॉमन क्रेन, मार्श हैरियर, ग्रेट कस्र्टेड ग्रेब, नॉब बिल्ड डक, स्पॉट बिल्ड डक, विस्लिंग डक, वैगटेल, ग्रे लेग गुज सहित स्थानीय पक्षियों को देखा जा रहा है।
ये परिंदे आते हैं प्रवास पर
मेनार के धंड तालाब पर अमूमन अक्टूबर माह के अंतिम दिनों में
ही पक्षियों का आना शुरू हो
जाता है। इस दौरान सर्दियों में मेनार क्षेत्र में ग्रेटर फ्लेमिंगो,
बार हेडेड गुज, कॉमन क्रेन,
पोचार्ड, ऑस्प्रे, डॉलमिशीयन पेलिकन, रोजी पेलिकन, रिवर टर्न, ब्ल्यू थ्रोट, रेड नेप्ड आइबिस, इजिप्शयन वल्चर, वूली नेक्टड, पेंटेड स्टार्क, रुडी शेलडक,
ब्लेक आइबीज, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब,
ग्रे लेग गूज, गैडवाल, यूरोशियन विजन, स्पॉट बिल्ड डक, कामन पोचार्ड, टफ्ड डक, पर्पल स्वेप हेन, कामन मोरहेन, कामन कूट, रीवर लेपविंग, मार्श हेरियर, लिटिल
ग्रेब, डारटर, लिटिल कोरमोरेंट, लिटिल इ ग्रेट, ग्रेट इ ग्रेट, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, किंगफिशर, व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर, शॉर्ट इयर्ड आउल सहित आदि देसी-
विदेशी प्रजातियों के परिंदे प्रवास पर आते हैं।
4 से 5 महीने तक रहता है प्रवास : मेनार के दोनों जलाशय पर भोजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने से ये प्रतिवर्ष आते है। खास बात यह है कि मेनार क्षेत्र में किसी भी जलाशय पर मत्स्य पालन नहीं किया जाता और न ही इन जलाशयों के पानी को सिंचाई के लिए उपयोग में लिया जाता है।
इनके लौटने का क्रम यहां की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। अमूमन ये मार्च-अप्रेल माह में चले जाते हैं। इस साल मई- जून माह में भी कुछ पक्षियों को मेनार जलाशय पर देखा गया था। सर्दी के मौसम में ये करीब 4 से 5 महीने तक यहीं रुकते हंै। ये सिर्फ फीडिंग के लिए यहां आते हंै।
इनका कहना है
&देसी विदेशी प्रजातियों के पक्षी लगभग पहुंच चुके हैं, अभी ये बिखरे हुए है। इन पक्षियों में कई दुलर्भ पक्षी भी आते हैं। मेनार में पक्षियों के संरक्षण के आवास व संरक्षण भी ग्रामीण अपने स्तर पर कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन पक्षियों में विविधता व बहुलता बहुत अच्छी है। यहां आने वाले पक्षियों की संख्या स्थायी नहीं रहती है।
सतीश शर्मा, पक्षीविद्, उदयपुर