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अहिंसा चर्चा का नहीं चर्या का विषय: प्रो. सुथार

जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जैन गांधी पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी की 150वीं जन्म जयंती एवं विश्व अहिंसा दिवस के पावन प्रसंग पर अहिंसा और पर्यावरण संरक्षण विषयक विभागीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

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अहिंसा चर्चा का नहीं चर्या का विषय: प्रो. सुथार

अहिंसा चर्चा का नहीं चर्या का विषय: प्रो. सुथार

उदयपुर. जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जैन गांधी पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी की 150वीं जन्म जयंती एवं विश्व अहिंसा दिवस के पावन प्रसंग पर अहिंसा और पर्यावरण संरक्षण विषयक विभागीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ज्योति बाबू शास्त्री ने बताया कि कार्यक्रम में संरक्षक के रूप में कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने मार्गदर्शन दिया। अध्यक्षता करते हुए अधिष्ठाता प्रो. सीआर सुथार ने कहा की गांधी व्यक्ति नहीं एक विचार है। आज हम गांधी को लेखों, पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों और व्याख्यानों के द्वारा जानते हैं। प्रो. सुथार ने जैन गांधी के रूप में प्रसिद्ध गणेशप्रसाद वर्णी के बारे में भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस गांधी ने अहिंसा की परिपालना करते हुए अनेक शैक्षिक संस्थाओं का निर्माण करवाया, जो हमसब के लिए अनुकरणीय है। मुख्य अतिथि सहअधिष्ठाता प्रो. दिग्विजय भटनागर ने कहा की वास्तव में जैनपरंपरा की अहिंसा उन मूकप्राणियों की संवेदना को उजागर करने में सहायक है, जिस संवेदना को सुनने व समझने की चेतना लोगों में देखी नहीं जाती। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. ज्योति बाबू जैन ने स्वागत भाषण दिया। डॉ. सुमत कुमार जैन ने विचार व्यक्त करते हुए सन् 1905 में वर्णी द्वारा बनारस में शुरू स्यादवाद महाविद्यालय का इतिहास प्रस्तुत किया। विभाग के अतिथि व्याख्याता डॉ. तपिश कुमार जैन ने भी विचार व्यक्त किए। उक्त संगोष्ठी में उपस्थितजनों ने निर्माणाधीन प्राकृत भवन परिसर में पौधरोपण किया। इस मौके पर डॉ. दीपा सोनी, डॉ. सुरेश सालवी, डॉ. राजकुमार व्यास, डॉ. संगीता अठवाल, डॉ. सतीश अग्रवाल, डॉ. निर्मला जैन, डॉ. रेखा जैन आदि उपस्थित रहे।