उदयपुर

कोरोना अटैक के बीच अब संक्रमण की हद का इन्तजार, हर्ड इम्यूनिटी की राह हो सकती है कारगर

- जितने ज्यादा लोग संक्रमित होंगे पैदा होगी हर्ड इम्यूनिटी - अनलॉक के बाद लोग होते जा रहे हैं बेपरवाह

3 min read
Jun 12, 2020
कोरोना अटैक के बीच अब संक्रमण की हद का इन्तजार, हर्ड इम्यूनिटी की राह हो सकती है कारगर

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. कोरोना के डर के बीच अब हर किसी को हर्ड इम्यूनिटी का इन्तजार है, सवाल ये है कि आखिर ये हर्ड इम्यूनिटी है क्या ? हर्ड इम्यूनिटी तब बनती है जब किसी भी वायरस से संक्रमण तेजी से बढ़ता है और करीब 70 से 80 फीसद लोग उससे ग्रस्त हो जाते हैं। यहां अनलोक फस्र्ट फेज शुरू होने के बाद ये कहा जा सकता लॉकडाउन तभी तक कारगर है जब तक लोग घरों में कैद हैं, जैसे ही लोग घरों से निकलेंगे ये संक्रमण उन्हें जकड़ेगा, इसलिए इससे बिना डरे या बिना छिपे अब इसका सामना करना होगा। जितने ज्यादा लोग इससे संक्रमित होंगे, इंसानी जिस्म में इससे लडऩे की उतनी ज़्यादा ताकत पैदा होगी, और यही है हर्ड इम्यूनिटी।

----------

सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता का विकास मेडिकल साइंस की सबसे पुरानी पद्धति के हिसाब से ये माना जाता है कि हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता लोगों को बचाने का अंतिम विकल्प है। फि लहाल आबादी के एक तय हिस्से को वायरस से संक्रमित होने दिया जाए, इससे उनके जिस्म के अंदर संक्रमण के खिलाफ सामूहिक इम्यूनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता पैदा होगी। इससे शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ बनेंगी, जिसे उनके जिस्म से निकालकर वैक्सीन तैयार करने की भी कोशिश की जा सकती है, क्योंकि इससे दोबारा कभी ये वायरस ना तो उन्हें संक्रमित कर सकता है और ना ही दूसरो को।

------

इंग्लैंड और स्वीडन हर्ड इम्यूनिटी पर काम कर रहा है।

- अमेरिका जैसे देशों में जहां कोरोना तबाही मचा रहा है, उनके मना करने के बावजूद स्वीडन अपने देश में हर्ड इम्यूनिटी लागू कर रहा है, जैसे खसरा-पोलिया के लिए होता है। एक बार इसका टीका लगाने के बाद ये हमें दोबारा कभी नहीं होता, वैसे ही कोरोना वायरस के खिलाफ एक बार हर्ड इम्यूनिटी डवलेप हो गई तो फि र कोरोना का वायरस कोई नुकसान नहीं कर पाएगा।

- देश में जहां ज़्यादातर लोगों को मलेरिया और बीसीजी के टीके लगे हुए हैं, यहां हर्ड इम्यूनिटी कारगर साबित हो सकती है, क्योंकि भारतीयों की इम्यूनिटी पश्चिमी देशों के मुकाबले मजबूत है। जहां मलेरिया फैल चुका है, वहां कोविड.19 का असर या तो नहीं है, या फि र बेहद कम है। शरीर में मलेरिया एक बार एक्सपोज़ हो जाता है, तो उसके अंदर पॉथ वे विकसित होकर आयनोस्फेयर पैदा हो जाता है, जिससे ये वायरस कमज़ोर पडऩे लगता है।

-----

उदयपुर में फिलहाल काफी कम यदि आबादी के मुकाबले इसका संक्रमण देखा जाए तो उदयपुर में बेहद कम यानी ना बराबर है, इसलिए कि उदयपुर जिले की जनसंख्या करीब 37 लाख है और शहर की 5.25 लाख।ऐसे में जो संक्रमण की संख्या है वह हर्ड इम्यूनिटी के लिहाज से कम है।

-----

दुनिया के हाल

- इटली उन देशों में शामिल है जहां कोरोना वायरस से खूब तबाह मची, इटली का बर्गामो शहर अब हर्ड इम्यूनिटी के करीब पहुंचता दिख रहा है, बर्गामो में 23 अप्रैल से 3 जून के बीच 9965 लोगों के ब्लड टेस्ट किए गए थे, रिजल्ट में 57 फ ीसदी लोगों में कोरोना से जुड़ा एंटीबॉडी डेवलप हो चुका है। बताया जा रहा है कि 60 फ ीसदी आबादी के कोरोना संक्रमित होने पर हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति बन सकती है।

- एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हर पांच में से एक व्यक्ति संक्रमित है, इससे एंटी बॉडी को विकसित कर चुका है।

- चीन के वुहान शहर में हर 10 लोगों में से एक व्यक्ति संक्रमित है। - ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक पत्रकार वार्ता में हर्ड इम्यूनिटी का जिक्र कर कहा था कि नियंत्रित करने का एक उपाय हो सकता है। - विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे बेहद खतरनाक बताया था, क्योंकि ये तब विकसित होगी जब 70 प्रतिशत से अधिक आबादी इससे ग्रस्त हो जाए, ऐसे में चिकित्सा सुविधाएं कम पड़ जाएंगी।

-----

हर्ड इम्यूनिटी तब पैदा होती है, जब किसी वायरस का संक्रमण बड़ी आबादी को प्रभावित करता है, कोरोना को लेकर ऐसा हो सकता है, इसलिए कि संक्रमितों की संख्या बढऩे पर लोगों के अन्दर सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाएगी।

डॉ लाखन पोसवाल, प्राचार्य आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर

Published on:
12 Jun 2020 08:38 am
Also Read
View All

अगली खबर