15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

PATRIKA CAMPAIGN: मिलिए अंगद और जयरामाकृष्णा से, आईआईएमयू से निकले इन युवाओं ने लाखों का वेतन छोड़ चुनी ऐसी राह, जिसके जरिए कर सकें सेवा का काम

उदयपुर . उदयपुर से निकले इन युवाओं ने केवल देश से अपनी जड़ें जुड़ी रखने और देश को सेवाएं देने के लिए विदेश से मिले ऑफर तक ठुकरा दिए।

2 min read
Google source verification
PATRIKA CAMPAIGN: story of angad abrol and jayrama krishna udaipur

उदयपुर . आईआईएम उदयपुर से निकले इन युवाओं ने केवल देश से अपनी जड़ें जुड़ी रखने और देश को सेवाएं देने के लिए विदेश से मिले ऑफर तक ठुकरा दिए। इनमें से एक ने तो बकायदा विदेश में तीन साल तक काम किया और लाखों रुपए का वेतन भी पाया, लेकिन आखिर उसे अपनी माटी खींच कर ले ही आई। आईए मिलते हैं 2013-15 के बैच से निकले अंगद अबरोल और 2014-16 के बैच से पास आउट जयरामाकृष्णा से। अंगद दो कंपनियों को चला रहे हैं तो जयरामाकृष्णा ने अकेले अपने दम पर सफलता के नए सोपान चढ़ रहे हैं।

सौंधी महक लाई खींच मुझे

अपने देश की सौंधी महक यहां खींच कर ले आई, यह कहते हैं अंगद। आस्ट्रेलिया के सिडनी में वार्षिक 35 लाख रुपए पाने वाले अंगद अबरोल का कहना है कि वह अपने माता-पिता के साथ रहकर अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। अपने घर में काम कर देश की उन्नति में कुछ भी योगदान देने का उद्देश्य बनाया।

READ MORE: मिलिए मृत्युंजय यादव से, लाखों के पैकेज को ठुकरा चुनी अपनी अलग राह

वर्तमान में नोएडा (दिल्ली) में दो कंपनियों को चला रहे हैं, पहली लॉजिस्टिक कंपनी में वह सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का ऑनलाइन ऑर्डर लेते है, तो अब एक अन्य कंपनी में आर्टिफिशियली ऐसे उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जो मैनेजमेंट के कई कार्यों में मदद करते हैं। अंगद की एक कंपनी का सालाना टर्न ओवर करीब दो करोड़ रुपए है। बकौल अंगद उनकी दोनों फर्मों में करीब 25 कार्मिक कार्यरत हैं।

सभी का वेतन वार्षिक चार से 15 लाख रुपए तक हैं। चंडीगढ़ से आईटी इंजीनियरिंग की। इसके बाद उन्होंने आईआईएमयू से एमबीए किया। उसका कहना है कि अपने देश में कई अवसर हैं, कही बाहर जाकर काम करने की क्या जरूरत। अपने ज्ञान का लाभ यहीं मिले तो बेहतर है।

READ MORE: ये है रोहित जायसवाल, दो वर्ष में पहुंचा इनका सालाना टर्न ओवर 1 करोड़

अकेले ही जमे हुए हैं...

जयरामाकृष्णा अभी अकेले ही मेहनत कर रहे हैं हैदराबाद में। अपने भाई सूर्यब्रह्मम के साथ मिलकर हैदराबाद में प्रबंधन परामर्शदाता फर्म की नींव रखी है। करीब साढ़े सात लाख रुपए की शुरुआती नौकरी को ठुकरा कर एमबीए किया, ताकि वह मैनेजमेंट के गुर सीख सकें। उच्चतम गुणवत्ता, सबसे कम लागत और सुरक्षित तरीके से सबसे कम समय में लोगों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

केवल एक लाख रुपए लगाकर अपना काम शुरू करने वाले जयरामाकृष्णा आज सफलता की ओर बढ़ रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि उन्होंने कभी नौकरी की सोची ही नहीं, एमबीए करने के दौरान लाखों रुपए के ऑफर उन्हें मिले, लेकिन वे नहीं गए। वे अभी तक किसी भी प्लेसमेंट के लिए साक्षात्कार में भी नहीं बैठे। उनके दिमाग पर केवल अपना काम शुरू करने का जुनून सवार था।