5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प​​त्रिका की मुहिम पर पिछोला से निकाली जा रही पेट्रोल डीजल की नावें बाहर

पत्रिका की मुहिम पर पिछोला से निकाली जा रही पेट्रोल डीजल की नावें बाहर

2 min read
Google source verification
pichlo.jpg

नए ठेके के बाद पेट्रोल डीजल की समस्त नावों को बाहर निकालने के लिए निगम की ओर से दिए गए 24 घंटे बाद भी पुराने ठेकेदार ने नावें बाहर नहीं निकाली। निगम टीम के पहुंचते ही नावों को झील के बीचोंबीच खड़ा कर दिया और एक-दो दिन में निकालने का समय मांगा। अब एक दो दिन में नाव बाहर नहीं निकलने पर निगम जेसीबी से नावों को बाहर निकालने की कार्रवाई करेगी। इधर, निगम ने झील में सोलर बैट्री संचालित नावों को उतारने के लिए टेंडर में शामिल एक ठेकेदार को ब्लेक लिस्टेड करने के बाद दूसरे को आमंत्रित किया है।
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने झीलों को प्रदूषणमुक्त करने के लिए इको फ्रेंडली नाव चलाने को लेकर सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित की थी। जिसके बाद नगर निगम ने होटल संचालकों के नए अनुबंध रद्द किए और सरकारी ठेके में इको फेंडली नावों के तहत सोलर बैट्री से संचालित नावों का नया टेंडर किया। सर्वाधिक बोलीदाता ठेकेदार द्वारा निविदा शर्ताें का उल्लंघन करने पर निगम ने उसे ब्लैक लिस्टेड कर दूसरे बोलीदाता को बुलवाया।

--

नाव नहीं निकालने पर टीम पहुंची मौके पर

निगम ने झील में अब तक चल रही पेट्रोल डीजल की नावों को बाहर निकालने के लिए पुराने ठेेकेदार को नोटिस देकर 24 घंटे का समय दिया था। बुधवार को समय बीतने के बावजूद नावें झीलों से बाहर नहीं निकालने पर निगम की टीम मौके पर पहुंची। इस पर ठेकेदार ने नावों को झील में बीचोंबीच व अन्य जगह पर रखते हुए एक दो दिन में निकालने का समय मांगा। निगम गुरुवार या शुक्रवार को नाव संचालक के विरुद्ध कार्रवाई कर सकती है।

---

होटल वालों की मनमर्जी, सरकार भी नहीं कर रही पाबंद

झील में सरकारी नावों के अलावा होटल उद्यमियों की 50 से ज्यादा पेट्रोल डीजल की नावें चल रही है। जिनको बाहर निकालने के लिए निगम ने बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास कर इनके अनुबंध रद्द कर दिए, लेकिन राज्य झील विकास प्राधिकरण ने निगम के आदेश की परवाह नहीं की और होटल संचालकों की नावों पर लगाम नहीं लगाई। प्राधिकरण ने नई बोट नीति बनने तक इन नावों को यथावत चलने के आदेश दिए, नई बोट नीति में प्रशासन ने शहरवासियों, झील प्रेमियों से सुझाव के बाद प्रारुप बनाकर उसे जयपुर मुख्यालय भिजवाया दिया लेकिन प्राधिकरण ने वहां पर होटल संचालकों को फायदा पहुंचाते हुए उसमें फेरबदल कर दिया। हाइकोर्ट द्वारा भी इको फ्रेंडली नावों के सुझाव के कारण अब के प्राधिकरण ने इसे कोर्ट में पेश नहीं की, इस कारण अभी भी होटल संचालकों की पेट्रोल डीजल की नावें चल रही है।