
Controversy over the side, the woman beat up the roadways driver, the
धीरेंद्र जोशी/उदयपुर. यात्रियों को सुविधाएं देने के मामले में कभी देश भर में सबसे अच्छी स्थिति में रहने वाले राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की हालत इन दिनों खराब हो चली है। वोट बैंक पक्का करने के लिए सरकारों की ओर से की जाने वाली घोषणाओं और छूट का लाभ देकर जनता को सुरक्षित सफर करवाने वाली रोडवेज को लेकर न तो जनप्रतिनिधि गंभीर है और न ही अधिकारी। कुछ नियमों में संशोधन से रोडवेज की हालत में काफी सुधार हो सकता है, लेकिन इन नियमों को लागू करने से अधिकारी और नेता क्यों घबरा रहे हैं यह समझ से परे है? रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए इससे जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने कारगर उपाय सुझाए हैं। इन्हें लागू करने से इसकी स्थिति में काफी सुधार हो सकता है।
लागू हो पेसेंजर फाल्ट
गुजरात स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की तर्ज पर राजस्थान रोडवेज में भी पेसेंजर फाल्ट लागू किया जाना चाहिए। इससे यात्री पूरी राशि देकर टिकट लेकर ही बैठेगा। जब यात्री टिकट लेकर ही बैठेगा तो राजस्व में चोरी की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी।
- लक्ष्मीनारायण नागदा, राजस्थान रोडवेज मजदूर संघ इंटक
बस स्टैंड के बाहर से हटे निजी बसें
प्रदेश के प्रत्येक बस स्टैंड के बाहर से निजी वाहन सवारियां भरते हैं, जबकि तीन किलोमीटर के दायरे में निजी वाहन नहीं होने चाहिए। इसे लेकर प्रशासन और सरकारें गंभीर नहीं है। लोक परिवहन निगम भी बस स्टैंड के बाहर से यात्रियों को भरती है।
- लाभचंद खटीक, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कार्यसमिति सदस्य, इंटक
अनाधिकृत निजी वाहन हो जब्त
रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए नई बसों की खरीद की जानी चाहिए। जो निजी बसें रोडवेज के आगे-पीछे चल रही है। उन पर लगाम लगाई जाए। निजी बसें और जीपे अनाधिकृत रूप से हाइवे पर चल रही है उन पर कार्रवाई हो। एक परमिट पर कई निजी बसें चलाई जा रही है। उन्हें भी जब्त किया जाए।
- दिनेश उपाध्याय, सचिव, राजस्थान परिवहन निगम सेवानिवृत्त संयुक्त कर्मचारी महासंघ, उदयपुर शाखा
Published on:
04 Nov 2019 02:34 pm
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