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प्राकृतिक आवास घटने से विलुप्ति के कगार पर लाल मुनिया

पक्षी का नाम : रेड अवडावट (लाल मुनिया), वैज्ञानिक नाम: अमनडावा, जाति : अमनडावा, परिवार : इस्ट्रील्डीडी, कहां से आता है : लाल मुनिया देश के कई हिस्सों में पाई जाती है, लेकिन बहुत ही कम दिखाई देती है, जो अब विलुप्त के कगार पर है

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प्राकृतिक आवास घटने से विलुप्ति के कगार पर लाल मुनिया

प्राकृतिक आवास घटने से विलुप्ति के कगार पर लाल मुनिया

मेनार . लाल मुनिया रेड अवडावट के नाम से भी जाना जाता है। ये पक्षी बहुत ही कम दिखाई देता है। आमतौर पर एक बड़े समूह में रहते हैं, लेकिन प्रजनन के समय जोड़ा बनने पर यह समूह से अलग होकर घोंसला बनाता है। घोंसला घास से बनाया जाता है तथा इसके अंदर घास के मुलायम रेशे व पंखों को रखते है। पक्षीविद् विनय दवे के अनुसार इसका आवास रीफ नामक घास है, जिसको लोगों के द्वारा मकान के छपर के रूप में उपयोग लेने से इनके आवास खत्म होने के कगार पर है, जिससे इसकी प्रजाति पर संकट के बाद मंडरा रहे है।

बनावट
लाल मुनिया में नर व मादा दोनों के शरीर पर सफेद चित्ते होते हैं। इनकी चमकीली लाल चोंच, मटमेले रंग के पंजे, आंखे काली व लाल भूरी होती है। इनका पिछला हिस्सा लाल रंग का होता है, लेकिन नर पक्षी प्रजनन के समय लगभग पूर्ण रूप से लाल रंग का हो जाता है, जिस पर सफेद चित्ते तथा आंख के पास काली पट्टी होती है। ये पक्षी आमतौर पर पानी वाली जगहों, घास के मैदानों, गन्ने के खेतों के आसपास व झीलों के किनारे उगी बड़ी घास के अंदर रहते हैं। जब ये बड़ी घास, सरकंडा आदि में बैठे रहते है। यदि कोई इन्हें कोई परेशान करता है तो ये तेजी से आसमान की तरफ हल्की चहचाहट के साथ उड़ते है। इन पक्षियों का मुख्य भोजन घास के बीज व अनाज है। इन्हें कभी-कभी कीट व कीड़े खाते हुए भी देखा जा सकता है।
खासियत

वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि अपेक्षाकृत कम दिखाई देने वाली रेड अवडावट या लाल मुनिया कम दिखाई देती है। पहले ये आसानी से खेतो में दिख जाती है। यह गोरैया के आकार की सुर्ख लाल रंग व चमकीली तिकोनी छोटी चोंच वाला सुंदर आकर्षक पक्षी है। बिजाहरी पक्षी यह कुछ घास के बीजों को खाती है। किसानों की ओर से गन्ना फसल एवं अन्य विशिष्ट प्रजाति की घास भी कम हो रही है। इसी कारण खेतों में इनका आवास कम होने लगा है। वहीं जलाशयों के सिकुडऩे से इसके आसपास आने वाली घास आदि कम हो रही इसके कारण इसकी संख्या में लगातर कमी आई है। यह छोटे छोटे झुंडों में घास के बीच खाने निकलती है। खेतों में भूमि पर गिरे बीजों को भी खाती है। मंदमंद कलरव करती है। ये पक्षी आमतौर पर पानी वाली जगहों, घास के मैदानों, गन्ने के खेतों के आस.पास व झीलों के किनारे उगी बड़ी घास के अंदर रहते है। पिछले बहुत समय से यह कम दिखाई देने लगी है।