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व्याख्याता भर्ती परीक्षा: उम्मीदों पर आचार संहिता ना फेर दे पानी, जानिए क्या मांग कर रहे हैं शिक्षक संगठन

Lecturer Recruitment Exam: व्याख्याता बनने का सपना संजोए युवाओं का इंतजार लंबा होता जा रहा है। परिणाम जारी नहीं होने से इनकी नियुक्तियां फिलहाल अधर में है।

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क/उदयपुर। Lecturer Recruitment Exam: व्याख्याता बनने का सपना संजोए युवाओं का इंतजार लंबा होता जा रहा है। परिणाम जारी नहीं होने से इनकी नियुक्तियां फिलहाल अधर में है। अब उन्हें आचार संहिता का डर सता रहा है।

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जानकारी के अनुसार राजस्थान लोक सेवा आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में 26 विषयों के व्याख्याताओं की परीक्षा आयोजित की थी। इनमें से 15 विषयों के करीब 5300 पदों के लिए अभ्यर्थियों को परिणाम जारी होने का इंतजार है। आयोग ने अब तक केवल 11 विषयों के 668 अभ्यर्थियों का परिणाम ही जारी किया है। जबकि शेष 15 विषयों के परिणाम का इंतजार है। यदि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले परिणाम जारी नहीं किया गया तो इन युवाओं को नौकरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। आचार संहिता लगने के बाद ऐसे काम सरकार की ओर से नहीं किए जा सकते। नई सरकार के गठन के बाद ही इस पर विचार होगा। ऐसे में युवा परिणाम जारी करने की मांग सरकार से कर रहे हैं।

शिक्षक संगठन कर रहे मांग : राजस्थान के शिक्षक संगठन मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन भेजकर शेष विषयों के व्याख्याता भर्ती परीक्षा परिणाम जारी करने व नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की मांग कर चुके हैं। अगर 29 सितंबर तक शेष विषयों के परिणाम जारी नहीं किए तो संगठनों की ओर से आंदोलन किया जाएगा।

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यूं चली भर्ती प्रक्रिया
राजस्थान लोकसेवा आयोग की ओर से 26 विषयों के 6 हजार व्याख्याताओं की भर्ती निकाली गई थी। इसके लिए अप्रेल 2022 में विज्ञापन जारी किया गया। 11 से 21 अक्टूबर के बीच परीक्षाएं करवाई गई। इसके बाद आयोग ने नवंबर 22 से जनवरी 23 के बीच उत्तर कुंजी जारी की। अप्रेल-23 से जुलाई-23 के बीच प्रोविजनल परिणाम जारी कर दिया गया। इसके बाद अब तक केवल कम भर्ती वाले 11 विषयों के ही फाइनल परिणाम जारी किए जा सके। इनमें केवल 668 अभ्यर्थी ही चयनित हुए हैं, जबकि अभी भी अधिक रिक्तियों वाले विषयों के 5300 पदों का परिणाम जारी होना बाकी है। अक्टूबर में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के आसार जताए जा रहे हैं। अगर इससे पहले नियुक्तियां नहीं होती हैं, तो अभ्यर्थियों को रोजगार मिलने का इंतजार लंबा हो जाएगा। ऐसे में ये नियुक्तियां फिर लटक जाएगी और अगली सरकार बनने के के बाद ही इस पर फैसला हो पाएगा।