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शरद पूर्णिमा पर चंद्र किरणों से बरसेगा अमृत , चांदनी में विराजेंगे ठाकुरजी

Sharad Purnima रात्रि में चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा , मंदिरों में होंगे विविध आयोजन , होगा विशेष शृंगार  

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Buddha Purnima 2021 Vaishakh Purnima 2021 Lunar Eclipse 2021

Buddha Purnima 2021 Vaishakh Purnima 2021 Lunar Eclipse 2021

Sharad Purnima आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को है। इस पूर्णिमा को कौमुदी व्रत, कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का खास महत्व है। इस दिन की लक्ष्मी पूजा सभी कर्जों से मुक्ति दिलाती हैं इसलिए इसे कर्जमुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात में धरती पर विचरण करती हैं। इस मौके पर शहर के कृष्ण मंदिरों में विशेष आयोजन होंगे। ठाकुर जी को सफेद वस्त्रों में विशेष शृंगार कराया जाएगा तो वहीं धवल चांदनी में उन्हें विराजित किया जाएगा।

चंद्रमा की रोशनी में रखी जाएगी खीर

इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण 16 कलाओं के साथ होता है और पृथ्वी पर चंद्रमा का उजियारा फैला होता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बरसात होती है, इसलिए रात्रि में चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा भी है। खासतौर पर चावल की खीर बनाई जाती है। चंद्रमा के नीचे रखी खीर खाने से कई प्रकार की बीमारियां व परेशानियां खत्म होती हैं।

शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी का पृथ्वी आगमन

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की तिथि पर देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं और घर-घर जाकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। शरद पूर्णिमा की तिथि पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। रात भर जागकर माता की स्तुति की जाती है। देवी लक्ष्मी का प्रिय भोग और वस्तुएं अर्पित की जाती है।

होगा सुंदरकांड पाठ, फतहसागर पर आरती

जय हनुमान राम चरित मानस प्रचार समिति ट्रस्ट उदयपुर मेवाड़ की ओर से शरद पूर्णिमा पर रविवार को शाम 4 से 6 बजे तक नौका में दो घंटे तक सुंदरकांड का पाठ होगा और मोतीमगरी के सामने शाम साढ़े सात बजे सागर आरती का आयोजन होगा। समिति के संस्थापक पं. सत्यनारायण चौबीसा ने बताया कि यह आयोजन विगत 16 वर्षों से शहर की झीलें लबालब भरी रहें,उसी क्रम में निरन्तर जारी है। पाठ के दौरान फतहसागर के शुद्धिकरण करने के लिए फतहसागर में चारों धामों का जल का प्रवाह किया जाता है।