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हिन्दू धर्म ध्वज रक्षक है सिख -रोबिन

इतिहास संकलन समिति उदयपुर का आयोजन

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हिन्दू धर्म ध्वज रक्षक है सिख -रोबिन

हिन्दू धर्म ध्वज रक्षक है सिख -रोबिन

उदयपुर . सिखों के पहले गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर बुधवार को इतिहास संकलन समिति उदयपुर की ओर से समरसता के अग्रदूत नानक देव विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता कोटा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति परमेंद्र दशोरा ने की। मुख्य अतिथि पूर्व अध्यक्ष गुरुद्वारा सचखण्ड दरबार तेजेन्द्र सिंह रोबिन थे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए रोबिन ने कहा कि सिख धर्म की स्थापना हिन्दू और सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए की गई थी। गुरु नानक ने हिन्दू और सनातन संस्कृति का आक्रान्ताओं द्वारा हनन होते देख उसमें आई कुरुतियों का विरोध किया और सेवा को सच्चा सौदा बताया। उन्होंने संत और गरीब की सेवा को ही ईश्वर भक्ति माना।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. परमेंद्र दशोरा ने कहा कि गुरु नानक देव ने सम्प्रदायों में विरोध के स्थान पर उनमें समावेशिता का भाव पैदा किया। इससे समाजिक समरसता को बढ़ावा मिला। जनश्रुतियों में यह कथा मशहूर है कि नानक देव ने एक बार मक्का की यात्रा की। थके होने के कारण वे काबे की और पैर करके सो गए। किसी ने कहा कि अरे अज्ञानी काबे की और पैर करके सोता है। इस पर उन्होंने कहा कि तुम ही मेरे पैर उस और कर दो जिस और काबा नहीं हो। जब उस व्यक्ति ने नानक देव के पांव की दिशा बदली तो काबा ने भी उसके अनुसार अपना स्थान बदल लिया। इससे तात्पर्य है कि सच्ची सेवा करने वाले के लिए ईश्वर भी नतमस्तक होता है।
कार्यक्रम में बोलते हुए इतिहास संकलन समिति के क्षेत्रीय संगठन मंत्री छगनलाल बोहरा ने कहा कि नानक देव भारत में सामाजिक समरसता के प्रर्वतक थे। इनसे विनायक दामोदर सावरकर बहुत प्रभावित थे। अपने काला पानी की सजा के दौरान उन्होंने अण्डमान जेल में सिख धर्म के गुरुओं का प्रकार्श पर्व मनाया। साथ ही गुरुग्रन्थ साहिब का मराठी में अनुवाद किया। उन्होंने खालसा नामक एक पत्र भी प्रारम्भ किया।
इतिहास संकलन समिति उदयपुर के के जिला मंत्री चैनशंकर दशोरा ने कहा कि नानक देव में सामाजिक समरसता और गरीबों की सेवा के लिए लंगर परम्परा का आरम्भ किया। उन्होंने किसी धर्म या पंथ का प्रर्वतन करने का दावा नहीं किया। वे सिर्फ सनातन और हिन्दू धर्म में आई कुरितियों को समाप्त करने के समर्थक थे। गुरु परम्परा में दसवें और अंतिम गुरु गोबिन्दसिंह इसे स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि सकल जगत में खालसा पंथ गाजेए जगे धर्म हिंदू सकल भंड भाजे।
इतिहास संकलन समिति उदयपुर के के महानगर मंत्री महामाया प्रसाद चौबीसा ने कहा कि नानक देव की परम्परा में दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना ही हिन्दू धर्म के रक्षार्थ की थी। इसलिए इसे धर्म कहकर हिन्दुओं में विभाजन पैदा करने का कुत्सित प्रयास अंग्रेजों ने किया। कार्यक्रम में विभाग सर संघ चालक हेमेंद्र श्रीमाली, तरुण शर्माए इन्द्रसिंह राणावत आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन दीपक शर्मा ने किया।


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