
CBSE 10th 12th Exam 2018
उदयपुर . जिन बच्चों की सीखने की रफ्तार काफी धीमी है, उसमें तेजी लाने के लिए सीबीएसई नई तैयारी कर रहा है। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अब देशभर के विशेष बच्चों के लिए विशेष नीति तैयार करेगा। बोर्ड ने एक समिति का गठन किया है जिसका उद्देश्य है समावेशी शिक्षा की मजबूती। समिति इसका खाका तैयार करेगी।
स्कूलों से मांगे हैं सुझाव : सीबीएसई ने सम्बद्ध स्कूलों से सुझाव मांगे हैं। बोर्ड विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए स्कूलों में अनुकूल माहौल बनाने व उन्हें शिक्षा का समान व समावेशी अवसर देने की जरूरत महसूस कर रहा है। हाल ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षा से जुड़े विभिन्न घटकों के साथ विचार-विमर्श किया था, ताकि ऐसे बच्चों की मदद के लिए कार्य योजना तैयार हो सके।
नहीं होगा भेदभाव : 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि बच्चों के साथ स्कूल में भेदभाव नहीं होगा व सभी को शिक्षा का समान अवसर मिलेगा। सीबीएसई समय-समय पर सलाह जरूर देता है, लेकिन जो विषय बने हुए हैं, इसे लेकर यह तैयारी की जा रही है। एमएचआरडी ने वर्ष 2009-10 से इसे शुरू किया था। यह योजना ऐसे विशेष बच्चों के लिए एकीकृत योजना का स्थान लेगी। इसका मकसद प्राथमिक पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की माध्यमिक पढ़ाई समावेशी व सहायक माहौल में हो सके। बोर्ड के अतिरिक्त निदेशक डॉ. विश्वजीत साहा के अनुसार नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम 1995 और राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 में नवीं और 12वीं कक्षा में पढऩे वाले बच्चों को शामिल किया है, जो इनकी परिभाषा के अनुसार दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, कुष्ठ रोग उपचारित, श्रवण शक्ति की कमी, गति विषय निशक्तता, मंदबुद्धिता, मानसिक रुग्णता, आत्म विमोह और प्रमस्तिष्क घात में से किसी एक से प्रभावित हो, इनमें बालिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इससे उन्हें माध्यमिक स्कूलों में पढऩे और अपनी योग्यता का विकास करने के लिए सूचना व मार्गदर्शन सुलभ हो, योजना में हर राज्य में समावेशी स्कूलों की स्थापना की कल्पना भी की गई है।
Published on:
23 Jan 2018 03:29 pm
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