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विद्यार्थियों को न सिलेबस का पता और न ही हो रही पढ़ाई

प्रदेश के उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) शुरू की गई। इसके माध्यम से सभी प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी महाविद्यालयों में इस पद्धति के अनुरूप ही पढ़ाई करवाई जानी थी, लेकिन अभी तक इस पर काम नहीं हो सका है।

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विद्यार्थियों को न सिलेबस का पता और न ही हो रही पढ़ाई

विद्यार्थियों को न सिलेबस का पता और न ही हो रही पढ़ाई

उदयपुर. प्रदेश के उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) शुरू की गई। इसके माध्यम से सभी प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी महाविद्यालयों में इस पद्धति के अनुरूप ही पढ़ाई करवाई जानी थी, लेकिन अभी तक इस पर काम नहीं हो सका है। इस कारण न केवल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय से जुड़े व इससे संबद्ध पांच हजार से अधिक विद्यार्थियों बल्कि प्रदेश के कॉलेजों में भी पढ़ाई का इंतजार है। हालत तो ऐसे हैं कि विद्यार्थियों को ना तो सिलेबस का पता है और न ही पढ़ाई का। कॉलेजों का सत्र शुरू हुए करीब दो माह बीत गए लेकिन प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू नहीं होने से इनका भविष्य अधर में है। जानकारी के अनुसार सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षण संस्थाओं में लागू करने के आदेश जारी किए, विश्वविद्यालयों में इसको लेकर प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज गए, लेकिन इस नीति के तहत किस प्रकार पढ़ाई होगी। इस संबंध में विश्वविद्यालयों को मार्गदर्शन नहीं मिल पाया है। ऐसे में विद्यार्थी असमंजस की स्थिति में है। यही नहीं विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मसले को गंभीरता से नहीं ले रहा है। जिसके कारण विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा जिले के हजारों विद्यार्थी भी इस परेशानी से जूझ रहे हैं।

क्या है एनईपीराष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) एक प्रकार की सार्वभौमिक शिक्षा की पद्धति है जो पूरे भारत में एक समान शिक्षा व्यवस्था को दर्शाती है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को वैश्विक स्तर पर शैक्षिक रूप से महाशक्ति बनाना तथा भारत में शिक्षा का सार्वभौमिककरण कर शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी करना है।

सेमेस्टर स्कीम के तहत होनी है पढ़ाई

जानकारी के अनुसार इसी सत्र से यूजी प्रथम वर्ष में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई शुरू करवानी है। इसके तहत सेमेस्टर सिस्टम लागू होगा। इसी के आधार पर विद्यार्थी अध्ययन करेंगे। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है, आपको बता दें कि एकेडमिक कौंसिल ने सिलेबस तो अप्रूव कर सरकार को भिजवा दिया, लेकिन इस पर निर्णय किया जाना बाकी है। ऐसे में विद्यार्थियों का भविष्य फिलहाल अधर में नजर आ रहा है।

इसलिए हो रही देरी

जानकारी के अनुसार पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ड्राफ्ट तैयार कर राज्यपाल को भेजा गया। यहां से स्वीकृत भी हो गया। लेकिन बाद में सरकार ने नए सिरे से इसका ड्राफ्ट मांगा। इस कारण कॉलेजों ने दुबारा तैयार कर इसे भेजा। ऐसे में एनईपी के तहत प्रथम वर्ष के लिए तैयार ड्राफ्ट को लागू करने में देरी हो रही है। जिसका सीधा असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।