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साफ-सुथरी और फास्ट बसों से सुधर सकती है रोडवेज की स्थिति

निजी बसों की तर्ज पर संचालित की जाए रोडवेज बसें

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बस स्टैंड पर खड़ी बसें

उदयपुर. बीते दौर में आरामदायक व सुरक्षित सफर की दृष्टि से प्रदेश में नंबर एक रही राजस्थान रोडवेज बसों की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है। नई बसों की कमी व खटारा बसों के कारण रोडवेज की बसों में सफर करने से यात्री कतराने लगे हैं। कई नियमित यात्री जो कभी रोडवेज बसों में ही सफर करना पसंद करते थे अब निजी बसों से सफर करते हैं। उदयपुर डिपो में करीब दस साल पहले करीब 125 रूटों पर बसों का संचालन किया जाता था। अब यह घटकर 80 से 85 रूटों पर सिमट गया है। इनमें भी रोडवेज की बसों की संख्या लगातार घट रही है। ऐसे में अनुबंधित बसों के सहारे इन रूटों पर बसों को चलाया जा रहा है। वर्तमान में रोडवेज की जो बसें चल रही है, इनमें से कई बसें आए दिन बीच सड़क पर खराब हो जाती है। चलती बसों में इंजन से अधिक चेसिस की आवाजें आती है। गंदी और धूल से सनी बसों में यात्री मजबूरी में ही सफर करते हैं।

लोगों का भरोसा कायम

सुनील सनाढ्य ने बताया कि रोडवेज पर यात्रियों का भरोसा आज भी कायम है। इसके चालक काफी कुशल होते हैं, ऐसे में दुर्घटनाएं भी काफी कम होती है। उस समय यात्रियों की काफी भीड़ रहती थी, लेकिन बसों की कमी और खराब स्थिति के चलते लोग निजी बसों में सफर करना पसंद कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि रोडवेज में चालकों और परिचालकों की भर्ती करने के साथ ही नई बसें खरीदी जाए।

स्लीपर और एसी बसें भी चलाएं

राजेश खत्री ने बताया कि सिल्वर लाइन, गोल्डन लाइन बसों की कमी है। पुराने सभी रूटों पर रोडवेज की बसों को पुन: शुरू किया जाए। निजी संचालक स्लीपर, एसी बसों से अच्छा लाभ ले रहे हैं तो रोडवेज क्यों नहीं ले सकती। कई राज्यों की बस सेवा राजस्थान रोडवेज के मुकाबले काफी बेहतर िस्थति में है। ऐसे में उन राज्यों की तर्ज पर नियमों में फेर बदल कर रोडवेज को घाटे से उबारा जा सकता है। दूर दराज के गांवाें में भी बसों का संचालन किया जाना चाहिए।

एक्सपर्ट व्यू

रोडवेज में यात्री भार बढ़ाने के लिए शीघ्र 200 बसों की खरीद करनी चाहिए। स्टाफ की भर्ती भी बेहद जरूरी है। गुजरात परिवहन निगम की तर्ज पर पैसेंजर फाल्ट लागू किया जाना चाहिए। जिन रूटों पर रोडवेज बसों की तादाद ज्यादा थी वहां अब निजी बसों का संचालन हो रहा है। ऐसे में इन पर अंकुश लगाना चाहिए। लाभ वाले रूटों पर किसी भी स्थिति में बस बंद नहीं करनी चाहिए।

- दिनेश उपाध्याय, अध्यक्ष, राजस्थान परिवहन निगम संंयुक्त सेवानिवृत्त कर्मचारी महासंघ

सेंट्रलाइज हो फ्लाइंग सिस्टम

रोडवेज की बसों की जांच का सिस्टम सेंट्रलाइज होना चाहिए। हर बस पर जीपीएस और अन्य आधुनिक संसाधनों की मदद से निगाह रखी जाए। फ्लाइंग टीम में ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों को नियुक्त किया जाए। इसके साथ ही टीम की कार्यप्रणाली की भी मॉनिटरिंग हो। इससे राजस्व का रिसाव रूकेगा और उसकी बढ़ोतरी होगी। रोडवेज बसों में सरकार द्वारा यात्रियों को दी जा रही छूट की राशि तय समय पर दी जाए।

- लक्ष्मीनारायण नागदा, सेवानिवृत्त कर्मचारी, उदयपुर डिपो


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