जो दवा नहीं, बाजार से खरीद देते कॉनफैड व सहकारी भंडारों की ओर से पेन्शनर्स को जीवन रक्षक दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है। जो दवाईयां कॉनफैड के विक्रय केन्द्रों पर उपलब्ध नहीं होती है, उनका अनुपलब्धता प्रमाण पत्र (एनएसी) जारी किया जाता है। जिसके आधार पर बाजार से खरीद की गई दवाईयों के क्लेम का पुनर्भरण कॉनफैड की ओर से पेन्शनर्स को कर दिया जाता है। कॉनफैड एवं राज्य के जिला सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डारों की वर्तमान में आरपीएमएफ योजनान्तर्गत कोष कार्यालयों की ओर कुल राशि 17464.50 लाख भुगतान के लिए बकाया है।
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उदयपुर 2147.39 अजमेर 593.29
भीलवाड़ा 653.00 बीएनके ब्यावर 192.45
नागौर 61.32 टोंक 22.36
भरतपुर 248.00 अलवर 587.57
स.माधोपुर 66.23 करौली 3.91
धौलपुर 49.93 बीकानेर 270.00
चूरू 125.27
हनुमानगढ 104.77 दौसा 23.46
सीकर 119.04 झुन्झुनूं 49.73
जोधपुर 917.11 जालौर 50.08
सिरोही 86.98 पाली 47.78
जैसलमेर 83.49 बाड़मेर 40.25
कोटा 3645.03 झालावाड़ 319.75
बूंदी 187.80 बारां 67.07
चित्तौडगढ़़ 417.45 बांसवाड़ा 167.11
डूंगरपुर 52.45
प्रतापगढ़ 3.46 कॉनफैड 5885.95
—————- 17464.50 कुल बकाया राशि
कुल बकाया राशि में पेंशनर बिल राशि, एनएसी क्लेम पेटे बकाया राशि, पेंडिंग बिल राशि जो कोषालय को भेजे जाने हैं। ये पूरी राशि शामिल है।
बड़ी राशि अटकी हुई हमारा और राज्य में सभी भंडार का करोड़ों रुपया बकाया है, उदयपुर से ही करीब 19 करोड़ रुपए राशि अटकी हुई है। वित्त से स्वीकृति के बाद यहां कोष कार्यालय से यह बजट जारी होता है। पैसा जारी भी होता है तो ऊंट के मुंह में जीरा मिलता है। ऐसे में बड़ी राशि अटकी हुई रहती है। पेंशनर्स की दवाइयों के लिए सरकारी बजट पहले दस हजार रुपए वर्षभर की थी, इसे बढ़ाकर वार्षिक 20 हजार कर दिया है। जो दवाइयां लिखी है, देना अनिवार्य है। भंडार उसे मना नहीं कर सकता।
राजकुमार खांडिया, जनरल मैनेजर, सहकारी भंडार उदयपुर
जैसे-जैसे सरकार हमें राशि उपलब्ध करवाती है, हम ये राशि उन्हें जारी कर देते हैं। कुछ समय पहले जो राशि हमें मिली थी, वह तो हमने जारी कर दी है। अगली राशि आने पर तत्काल जारी करेंगे।