
तालाब खाली, सूखे कुएं और मजबूर हुआ किसान, आखिर क्यों है ऐसे हाल ...
डॉ सुशील सिंह चौहान/उदयपुर. कस्बे के कमलवाले तालाब में इस बार बरसात में नहीं हुई पानी की आवक ने किसानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। वहीं 30 लाख रुपए खर्च कर तालाब में बरसाती पानी पहुंचाने के लिए नगर पालिका स्तर पर किए गए प्रयास भी बेमानी भरे साबित हुए। पानी की कमी से मजबूर क्षेत्रीय किसान पानी की कमी के बीच दूसरों के खेतों में काला सोना बोने को मजबूर है। इधर, हालात इसलिए भी चिंतनीय बने हुए हैं कि तालाब में पानी की कम आवक एवं जल स्तर कम होने के कारण समीपवर्ती कुओं में अभी से पानी सूखने लगा है। गर्मी से पहले क्षेत्रीय कुओं की इस स्थिति ने अफीम के पट्टाधारियों किसानों को पानी वाले इलाके के खेतों की ओर सोचने को मजबूर कर दिया है।
नहीं मिली सफलता
तालाब में पानी की आवक को बढ़ाने के लिए कस्बे के तुलसी द्वार से तालाब तक प्रस्तावित नाला अधूरा पड़ा है। करीब 30 लाख की लागत वाले नाले के मनमाने निर्माण ने इस खर्च की उपयोगिता को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लोक निर्माण विभाग पर घटिया निर्माण का आरोप लगाते हुए क्षेत्रीय लोगों ने इसकी शिकायत की। इस पर विभाग ने काम रूकवा दिया। सुधार के निर्देश के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। ठेका एजेंसी ने घटिया निर्माण को छिपाने के लिए नाले को ढक कर छोड़ दिया। अब ये नाला सुविधा की बजाय दुविधा बनता दिख रहा है। नाले के निर्माण से नालियों में जमा गंदगी की निकासी भी बाधित हो रही है। समस्या से स्थानीय लोग परेशान हैं। अब लोगों ने पीडब्ल्यूडी से नाले को सुधारने, बाल मंदिर के समीप नाले की चौड़ाई बढ़ाने की बात कही। साथ ही चेताया कि ऐसा नहीं होने पर नाले को फिर से संकरा कर व्यापारियों की समस्या दूर की जाए।
कम आवक से नहीं भरा
पानी की कम आवक से तालाब नहीं भरा है। पानी आवक का मार्ग सुधारने के प्रयास किए गए थे। नियमानुसार नाला नहीं बनने से अधूरा रह गया है। जल्द ही सुधार के कदम उठाए जाएंगे।
अनिल शर्मा, अध्यक्ष, नगर पालिका कानोड़
Updated on:
19 Nov 2018 12:35 pm
Published on:
19 Nov 2018 12:28 pm
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