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छात्र नेतागिरी की पौध के हाथों में वर्तमान सत्ता की डोर

कैंपस से कॉलेज तक धमक अब राजनीति के धुरंधरछात्र राजनीति से शुरुआत कर सत्ता के गलियारों तक पहुंचे दिग्गज भी खूब मुख्यमंत्री से लेकर कई चेहरे, ऐसे जो कॉलेजों में थे छात्र नेता

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ashok Gahlot press conference

कैंपस से कॉलेज तक धमक अब राजनीति के धुरंध

यूनिवर्सिटी के कैंपस से लेकर कॉलेजों में जिन चेहरों की किसी जमाने में धमक थी, अब वे सत्ता के गलियारों में बैठे हैं। छात्र राजनीति से पनपी ये पौध वर्तमान में सत्ता की डोर थामे हैं। ये राजनीति के वे दिग्गज चेहरे हैं, जिन्हें आज हर कोई जानता है। लोकसभा हो या विधानसभा, मंत्री हो या मुख्यमंत्री जो भी हो, चुनावी दंगल में बड़े-बड़े के दांव खेलने वाले ये खिलाड़ी किसी जमाने में छात्र राजनीति का हिस्सा रहे हैं। इन राजनेताओं के विद्यार्थी काल में ही राजनीति का बीजारोपण किशोरावस्था में हो गया था, जो आज वट वृक्ष बनकर पल्लवित हो रहा है। कॉलेज या इसके आसपास का माहौल उनमें ऐसे राजनेता की जमीन तैयार कर चुका था, जिससे आज बड़ा राजनीतिक चेहरा बन कर उभरा है।

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत-मुख्यमंत्री गहलोत एनएसयूआई की राजनीति से निकले और तीसरी बार सीएम बने हैं। वे 1973 से 1979 के बीच राजस्थान एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की इस यूथ विंग को मजबूती प्रदान की। इसके बाद वह पहली बार 1979 में जोधपुर जिला शहर के अध्यक्ष बने थे। मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। 1973-74 के छात्रसंघ के चुनाव से अशोक गहलोत ने अपनी राजनीतिक पारी शुरुआत की और अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरे, लेकिन पन्नेसिंह रातड़ी ने उन्हें हरा दिया था।

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गजेन्द्रसिंह शेखावत-

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत 1992 में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बने थे। लेकिन इससे ठीक एक साल पहले पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने उन्हें हरा दिया था। 2014 में पहली बार सांसद का चुनाव लड़ा और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एवं जोधपुर पूर्व राजपरिवार की बेटी चंद्रेश कुमारी को बडे़ अंतर हराया और केंद्र में राज्यमंत्री बने. इसके बाद 2019 में उन्होंने अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को भी बडे़ अंतर से हराया. इस बार मोदी सरकार में उन्हें सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया गया. शेखावत राजस्थान में अब भाजपा का बड़ा चेहरा हैं।

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हरीश चौधरी-वर्ष 1991 में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव जीतने वाले बाड़मेर के हरीश चौधरी 2009 सांसद बने थे. 2018 में बायतू से विधायक निर्वाचित होने के बाद अशोक गहलोत सरकार में वह 2021 तक राजस्वमंत्री बने। कांग्रेस की ओर से उन्हें पंजाब का प्रभारी बनाने के बाद उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया।

-------गुलाबचंद कटारिया-

- राज्य के पूर्व गृहमंत्री कटारिया ने 1973-74 में जब वकालात की पढ़ाई शुरू की तो वह विद्यार्थी परिषद से जुडकऱ छात्र नेताओं को टिकट आवंटन में भूमिका निभाने लगे थे। आपातकाल 1975-77 में वे प्रदेश में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेशाध्यक्ष बने। डीआईआर से जुडऩे के बाद वे जेल भी गए। उदयपुर शहर से आठ बार विधायक रहे कटारिया कई बार विभिन्न मंत्री पदों पर रहे। वर्तमान में वे राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।

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डॉ सीपी जोशी

विधानसभा अध्यक्ष डॉ जोशी प्राइमरी स्कूल से लेकर स्नातकोत्तर तक चार बार प्रेसिडेंट बने। 1950 से 1960 के दशक में नाथद्वारा से स्कूलिंग के दौरान ही प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में प्रेसिडेंट बन गए थे। उदयपुर एमएलएसयू में महाराणा भूपाल कॉलेज से बीएससी में सीआर बने थे। एमएससी करने के दौरान 1968-69 में वाइस प्रेसिडेंट व एमएससी फाइनल में 1969-70 में प्रेसिडेंंट बने। बाद में स्कूल ऑफ एमए साइकॉलोजी में पढ़ाई के दौरान वे सीधे चुनावों में 1974 में फिर से प्रेसिडेंट बन गए। इसके बाद राजनीति में सक्रिय रहते हुए कई बार केन्द्र व राज्य सरकार में मंत्री रहे।

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अर्जुनलाल मीणा, सांसद

भीलवाड़ा के माणिक्यलाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय से एमकॉम करने के दौरान 1989 में जनजाति छात्र संगठन के जिलाध्यक्ष बने थे। इसी बीच, वह विद्यार्थी परिषद से भी जुड़ गए। आठवीं ऋषभदेव में पढ़े और हायर सैकण्डरी फतह स्कूल से। वहां भी राजनीतिक क्रिया-कलापों में उनकी महती भूमिका होती थी। 1992 में सांख्यिकी निरीक्षक बनने के बाद भी छात्र नेता उदयपुर बुलाकर राय लेते थे। शुरू से ही जनजाति छात्रों की लीडरशिप में खूब सक्रिय रहे।

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सीपी जोशी, सांसद उदयपुर-चित्तौडगढ़़

छात्र काल से ही ग्रामीण राजनीति से सक्रिय रहे जोशी ने बताया कि पहली बार प्रथम वर्ष में ही 1993 में सीआर कक्षा प्रतिनिधि बने थे। द्वितीय वर्ष में महाराणा प्रताप कॉलेज चित्तौडगढ़़ के वाइस प्रेसिडेंट बने और वर्ष 1995 में वह पीजी महाविद्यालय के प्रेसिडेंट बन गए थे। मूलत: भादसोड़ा गांव के निवासी जोशी पहले ऐसे छात्र नेता थे जो स्नातक विद्यार्थी काल में स्नातकोत्तर कॉलेज के प्रेसिडेंट बने थे।

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ये नेता भी आए छात्र राजनीति से- बीडी कल्ला, राजेन्द्र राठौड, कालीचरण सर्राफ, रघु शर्मा, महेश जोशी, अशेाक लाहोटी, प्रतापसिंह खाचरियावास, नरपतसिंह राजवी, हनुमान बेनिवाल, सतीश पुनिया, धीरज गुर्जर सहित कई ऐसे नेता थे जो छात्र राजनीति से आए और सत्ता तक पहुंचे।

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