
फलासिया. उदयपुर जिले के आदिवासी बहुल झाड़ोल उपखंड क्षेत्र की ढाई लाख से ज्यादा की आबादी को हाईवे का इंतजार है। नेशनल हाईवे ५८-ई नाम वाली इस सिंगल पट्टी सडक़ का कायाकल्प नहीं हो रहा। सात साल पहले तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री ने इसे नेशनल हाईवे घोषित किया था। दो साल पहले प्रदेश के गृहमंत्री भी इसे अपनी जिम्मेदारी बता चुके हैं, जबकि महज १० माह पूर्व केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्री ने एक माह की अवधि में प्रक्रिया पूरी कर निर्माण शुरू कराने के निर्देश दिए थे। हालात ये हैं कि इस दिशा में एक कदम भी नहीं उठाया जा सका है। क्षेत्रवासियों ने अब 28 अगस्त को उदयपुर आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आस लगाई है।
कागजों में प्रमोट होती रही ग्रामीण सडक़
यह सडक़ १३ साल पहले ग्रामीण मार्ग ही थी, जिसे जिला संपर्क सडक़ में तब्दील कर दिया गया। वर्ष २००४ में तत्कालीन भाजपा विधायक बाबूलाल खराडी की सिफारिश पर तत्कालीन भाजपा सरकार ने इसे स्टेट हाईवे घोषित कर दिया। फिर कांग्रेस सरकार के समय हरित राजस्थान सडक़ योजना का नाम देते हुए महानरेगा योजना के तहत बजट आवंटित किया गया था।
मई २०१० में केन्द्रीय पंचायती राज व ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. सी.पी. जोशी ने शिलान्यास कर निर्माण शुरू कराया। सडक़ परिवहन मंत्री बनने के बाद डॉ. जोशी ने २९ मार्च २०११ को कोटड़ा में सडक को उदयपुर से ईडर वाया झाड़ोल-फलासिया नेशनल हाईवे बनाने की घोषणा की थी। वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद जोर-शोर से जीपीएस सर्वे भी शुरू हुआ, लेकिन डेढ़ साल तक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व लोक निर्माण विभाग जिम्मेदारी लेने से बचते रहे। यह देख जून २०१४ में सरकार ने लोक निर्माण विभाग की एनएच विंग पाली को इस सडक़ का जिम्मा सौंप दिया और फरवरी २०१५ में उदयपुर में विंग शुरू होने के बाद जिम्मेदारी उदयपुर के पास आ गई।
चाहिए ८१५ करोड़, धैला भी मंजूर नहीं
उदयपुर एनएच विंग सूत्रों के अनुसार यह हाईवे बनवाने के लिए गजट नोटिफीकेशन जारी करवाने की प्रकिया पर काम चल रहा है। इसके अलावा १० मीटर चौड़ी सडक़ बनवाने के लिए उदयपुर से झाड़ोल तक ४३० करोड एवं झाड़ोल से आगे गुजरात तक ३८५ करोड़ रुपए का प्रस्ताव भिजवा रखा है, लेकिन स्वीकृति नहीं मिल पाई है। मंजूरी मिलने पर इस सडक़ की उदयपुर से खोखरा बॉर्डर वाया झाड़ोल-फलासिया-सोम तक की दूरी महज ९१ किलोमीटर रह जाएगी और लगभग सभी गांवों से बायपास निकाल दिया जाएगा।
केन्द्रीय मंत्री की बात भी नहीं सुन रहे अफसर तो
सत्तापक्ष के नेता मोदी को अब तक का सबसे प्रभावशाली प्रधानमंत्री बताते हैं। उन्हीं की सरकार के मंत्री के आदेश की पालना १० माह बाद भी नहीं हो रही। क्या प्रधानमंत्री के सामने दुखड़ा रोने पर झाड़ोल वासियों को हाईवे मिलेगा? सत्ता पक्ष के पदाधिकारी एक-दूसरे से लडऩे और गुटबाजी से उबरें तो क्षेत्र की इस सबसे बड़ी समस्या का समाधान दिलवाएं।
हीरालाल दरांगी, विधायक, झाड़ोल, प्रस्ताव भेज रखा है, मंजूरी नहीं मिली
हाईवे निर्माण के बजट का प्रस्ताव भेज रखा है। स्वीकृति नहीं मिल पाई है। हाईवे गजेट नोटिफिकेशन प्रक्रिया ३-डी जल्द जारी करवाने का प्रयास करेंगे।
एस.के. गुप्ता, एसई, हाईवे प्राधिकरण
०७ : साल पहले तत्कालीन मंत्री डॉ. जोशी ने नेशनल हाईवे घोषित किया
०४ : साल पहले परिवर्तन यात्रा लाई मौजूदा मुख्यमंत्री ने निर्माण का वादा किया
०२ : साल पहले प्रदेश के गृहमंत्री कटारिया ने यह काम अपना जिम्मा बताया
१० : माह पूर्व उदयपुर आए गडकरी ने हाईवे प्राधिकरण को एक माह में प्रक्रिया पूर्ण कर निर्माण के निर्देश दिए।
हकीकत : न तो मंत्रालय ने सडक़ बनवाने के लिए बजट स्वीकृत किया, न ही विभागीय अधिकारी गजेट नोटिफिकेशन की प्रक्रिया तक पूरी करवा पाए हैं।
०७ : साल पहले तत्कालीन मंत्री डॉ. जोशी ने नेशनल हाईवे घोषित किया
०४ : साल पहले परिवर्तन यात्रा लाई मौजूदा मुख्यमंत्री ने निर्माण का वादा किया
०२ : साल पहले प्रदेश के गृहमंत्री कटारिया ने यह काम अपना जिम्मा बताया
१० : माह पूर्व उदयपुर आए गडकरी ने हाईवे प्राधिकरण को एक माह में प्रक्रिया पूर्ण कर निर्माण के निर्देश दिए।
हकीकत : न तो मंत्रालय ने सडक़ बनवाने के लिए बजट स्वीकृत किया, न ही विभागीय अधिकारी गजेट नोटिफिकेशन की प्रक्रिया तक पूरी करवा पाए हैं।
Published on:
27 Aug 2017 05:43 pm
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