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आयड़ का 5 किमी क्षेत्र संवारने में दो साल बीते, काम अब भी अधूरा

आयड़ नदी सदा बहे इसके लिए बरसों से चल रहे प्रयास फाइलों से बाहर निकले लेकिन अभी काम की चाल गति नहीं पकड़ पाई है। 75 करोड़ में संवरने वाली 5 किलोमीटर नदी का यह काम एक साल ढीला हो गया है।

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आयड़ का 5 किमी क्षेत्र संवारने में दो साल बीते, काम अब भी अधूरा

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Ayad River Update: आयड़ नदी सदा बहे इसके लिए बरसों से चल रहे प्रयास फाइलों से बाहर निकले लेकिन अभी काम की चाल गति नहीं पकड़ पाई है। 75 करोड़ में संवरने वाली 5 किलोमीटर नदी का यह काम एक साल ढीला हो गया है। पहले एनजीटी का डंडा फिर लगातार पानी की आवक से काम रुक गया है। अब नदी में पानी को दूसरी तरह खाली कर बीच चैनल का काम चल रहा है। स्मार्ट सिटी अधिकारियों का कहना हे कि सब कुछ ठीक रहा तो फरवरी तक यह काम पूरा हो जाएगा। इस नदी को संवारने के लिए पहले 900 करोड़ का प्रोजेक्ट था, जो कम होते होते अब अब 75 करोड़ में सिमट गया है। इस बजट में पहले चरण में नदी का 5 किलोमीटर का हिस्सा संवरेगा। इस हिस्से को संवारने के लिए स्मार्ट सिटी ने पहल करते हुए इसके टेंडर भी जारी कर दिए। यह काम 8 माह में पूरा करना था लेकिन अब यह एक साल आगे खिसक गया। आयड़ नदी बेड़च की सहायक नदी है। यह बनास, चम्बल और यमुना की भी सहायक मानी जाती है। पिछोला व फतहसागर का फैलाव जल इस नदी में से होकर उदयसागर झील में गिरता है। अब तक गंदे नाले व सिवरेज गिरने से यह नदी गंदी हो गई। नदी को संवारने के लिए बरसों से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अब इस पर अंतिम मुहर लग पाई।

कई नदियों व तालाबों का पानी आयड़ में, बरसों से हो रही प्रदूषित

आयड़ नदी का उद्घम गोगुंदा कस्बे के पास के पहाड़ों के दक्षिण पूर्वी ढलानों में है। वहां से करीब 30 किलोमीटर बहने के बाद साइफन तिराहे के पास शहर में प्रवेश करती है और सेवाश्रम पुल के पास गिर्वा में जुड़ जाती है। इसकी सह नदियों पर मदार बड़ा व मदार छोटा तालाब बने हुए हैं और थूर पर एनिकट है। यहां से मदार नहर निकलती है, जो फतहसागर को भरती है। साइफन से सेवाश्रम पुल तक इस नदी की लंबाई करीब 6 किलोमीटर है। सेवाश्रम पुल के बाद लगभग 15 किलोमीटर लंबाई में बहने के बाद यह नदी उदयपुर के पूर्व में स्थित उदयसागर में प्रवेश करती है। उदयसागर भरने के बाद यह नदी इसके नीचे स्थित कई बांधों को भरती हुई चित्तौडगढ़ में गोमती नदी में मिलती है, जो आगे जाकर पहले चम्बल, यमुना और अंत में गंगा में मिलते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। आयड़ नदी में कई नदियों का संगम होने के बावजूद इसका पानी लगातार गिरने वाले प्रदूषित नालों के चलते गंदा हो गया है और आसपास भूजल प्रभावित हो गया है।

फैक्ट फाइल

ये हो रहे काम

● नदी के बीचोंबीच बन रही नहर, लगातार बहेगा साफ पानी

● एफसीआई गोदाम के निकट एसटीपी से लिफ्ट कर पानी को नहर के ऊपरी हिस्से से लाकर छोड़ा जाएगा, जिससे साफ पानी सदा बहेगा।

● नहर के पास तीस फीट चौड़ाई वाले हिस्से में हर 100 फीट पर पत्थर लगाए जा रहे तथा हर 50 फीट पर कच्चा हिस्सा रहकर घास लगाई जाएगी।

● पत्थर के ऊपर के हिस्सा पूरी तरह से पगडंडी रास्ता है जो वॉक के लिए रहेगा।

● इस पंगडंडी रास्ते व पत्थर के पास घास वाले हिस्से में पौधे लगेंगे। बैठने के लिए कई जगह बैंच लगेगी।

● 5 किमी के नदी के अधिकांश हिस्से में हाइमास्ट लाइटें होंगी।

● 5 किलोमीटर के पूरे मार्ग में करीब सात एनिकट होंगे, इनमें सर्वाधिक एनिकट आयड़ पुलिया पर लेकसिटी मॉल के निकट होंगे।


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