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अतिवृष्टि की मार से खरीफ का खराबा, बरसाती पानी भरा रहने से रबी की बुवाई प्रभावित

मानसून लम्बे समय तक सक्रिय रहने से खरीफ की फसलें खराब हो गई है और उनकी कटाई नहीं होने के साथ ही खेतो में पानी भरा रहने से खेत खाली नहीं हो पाए है

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उदयपुर

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Krishna

Nov 08, 2019

Crops spoiled in 45 thousand hectares in bhilwara

Crops spoiled in 45 thousand hectares in bhilwara

उदयपुर. मानसून लम्बे समय तक सक्रिय रहने से खरीफ की फसलें खराब हो गई है और उनकी कटाई नहीं होने के साथ ही खेतो में पानी भरा रहने से खेत खाली नहीं हो पाए है और इसका सीधा असर रबी की बुवाई पर पड़ा है। तिलहनी व दलहनी फसलों की बुवाई का रकबा गत वर्ष के मुकाबले घटकर एक तिहाई से भी कम रह गया है। जिले में प्रतिवर्ष 10 हजार हैक्टेयर में होने वाली सरसो की बुवाई इस बार घटकर 3 हजार 900 हैक्टेयर में ही हो पाई है,जबकि चने की 1310 हैक्टेयर में ही बुवाई हुई है। हांलाकि चने की बुवाई का रकबा अभी कुछ बढ़ सकता है। सरसो, चने व मसूर की बुवाई नवरात्रा के दौरान होती है, लेकिन इस बार लगातार बारिश ने इसकी बुवाई पर ब्रेक लगा दिया है। सरसो की 75 फीसदी और चने की 25 फीसदी बुवाई का रकबा घट गया है। जिले के मावली, वल्लभनगर, भींडऱ, कानोड़, सलूम्बर, कुराबड़, लसाडिय़ा आदि मैदानी इलाको में अभी भी खेतों में बारिश का पानी भरा है। खेत खाली नहीं होने से सरसो, चने, मसूर की बुवाई प्रभावित हुई है, वही गेहंू व जौ की बुवाई में भी देरी हो रही है। किसान खेतों में खड़ी खरीफ फसलों की कटाई कर रबी फसल की बुवाई में जुटे हुए हैं।


अच्छी बारिश से लक्ष्य बढ़ाया

मेवाड़-वागड़ में इस बार बारिश अच्छी होने से कृषि विभाग ने रबी फसल की बुवाई का लक्षय भी 26 हजार हैक्टेयर बढ़ा दिया है। उदयपुर संभाग में इस वर्ष कुल 4 लाख 49 हजार हैक्टेयर में रबी की बुवाई का लक्ष्य तय किया है, जबकि गत वर्ष 4 लाख 23 हजार हैक्टेयर का लक्षय रखा था। रबी में उदयपुर में 1 लाख 15 हजार हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा सरसो व चने की 10-10 हजार हैक्टेयर में बुवाई की जानी थी, लेकिन देर तक बारिश होने से लक्षय बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। अन्य फसलों की 6 हजार हैक्टेयर में बुवाई होगी। इसी तरह बांसवाड़ा में गेहंू की 1 लाख 36 हजार, जौ 96 हजार हेक्टैयर, चना 15 हजार व अन्य फसलों की 5 हजार हैक्टेयर में बुवाई होनी है। डंूगरपुर में गेहंू 64 हजार, जौ 48 हजार, दलहनी फसलें 14 हजार हैक्टेयर में बुवाई होगी। वहीं प्रतापगढ़ में गेहंू 1 लाख 38 हजार, जौ 66 हजार दलहनी 30 हजार, तिलहनी 12 हजार एवं अन्य फसलों की 30 हजार हैक्टेयर में बुवाई की जाएगी।


इनका कहना है

इस बार बारिश का दौर लंबा चलने से सरसो व चने की बुवाई का लक्ष्य प्रभावित हुआ है और अन्य फसलों की बुवाई में भी देरी हो रही है। गत वर्ष के मुकाबले सरसो की 70 फीसदी व चने की 25 से 30 फीसदी बुवाई कम हुई है। गेहंू की बुवाई 30 नवम्बर व चने की अभी 15 नवम्बर तक चलेगी।


केएन सिंह, कृषि उप निदेशक (विस्तार),उदयपुर


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