
पुकार रहे झील किनारे प्यासे घाट...हमें भी संवार लीजिए साहब
प्रमोद सोनी / उदयपुर. ये वो घाट हैं, जो हमारी संस्कृति और विरासत को सहेजे हुए हैं। आस्था की इन गहरी सीढि़यों पर पहुंच मन जैसे स्वत: ही नतमस्तक हो जाता है। झीलों को अपना मुकाम देने वाले ये घाट अनदेखी में सूखे गले सी प्यास लिए बैठे हैं। आखिर कब कोई इनकी ओर देखेगा। लेकसिटी में झीलों के किनारे घाट की कमी नहीं है। लबालब पिछोला झील की खूबसूरती में ये घाट चार चांद लगाते हैं। इनमें से कई घाट तो दिनभर पर्यटकों व शहरवासियों से आबाद रहते हैं, लेकिन विडम्बना है कि इन घाटों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। झील किनारे छोटे मोटे करीब २० घाट हंै। इनमें से कई घाट पर आने- जाने में परेशानी होती है। गणगौर घाट : पिछोला झील के एेतिहासिक हैरिटेज गणगौर घाट को देखने पर्यटक व शहरवासी आते हैं, लेकिन इस घाट के बाहर पार्किंग होने से यहां आने वाले पर्यटकों को परेशानी होती है। यहां त्रिपोलिया है। इस घाट को पवित्र घाट माना जाता है। यहां मेवाड़ उत्सव के तहत गणगौर पूजा होती है, लेकिन देखरेख के अभाव में त्रिपोलिया पर जगह- जगह दरारें पड़ी हुई है। वहीं घाट पर मवेशियों का डेरा है। गणगौर घाट से सटा बोरस्ली घाट है। जो गणगौर घाट से एक छोटी सी गुफ़ ानुमा गली से जुड़ा हुआ है। इन दिनों इस घाट के बाहर गली में सीवरेज कार्य होने व घाट पर जीर्णोद्धार चलने से जगह-जगह पत्थर उखड़े हुए हैं। वहीं कई जगह सीवरेज का पानी झील मंे समा रहा है। ब्रह्मपोल बाहर पिछोला का एक आखिऱी घाट है। इस घाट पर जाने के रास्ते पर घास उग आई है व यहां आज भी लोग कपड़े धोते हैं। इनको रोकने वाला कोई नही हैं। इस घाट पर क्षेत्र के लोग गाडि़यां भी धोते दिखे, वहां उनको रोकने वाला कोई नही था। साथ ही घाट के समीप झील में गंदगी भी पड़ी मिली। घाट के पत्थर भी टूटे हुए हैं। नाथी घाट: इस घाट पर जगह - जगह पत्थर टूटे हुए हैं, वही घाट पर सीवरेज का लिफ्टिंग प्लांट लगा हुआ है। इस घाट पर कहीं भी बैठने की जगह नहीं है। छोटे से दरवाजे में से होकर घाट पर जाते हैं। इसके पास ही नालियों का पानी भी झील में जाता है। पंचदेवरिया घाट गणगौर घाट के ठीक सामने मंदिर भी बना हुआ है। इस घाट पर एक निजी होटल की जेठी लगी हुई है। वहीं आसपास का सीवरेज व होटलों का पानी सीधा झील में जाता है। इस घाट पर खड़े होकर सामने की ओर देखने पर बनारस सा दृश्य साकार हो उठता है। इस घाट के किनारे भी कार्इं जमी हुई है। मांजी का घाट अमराई घाट के नाम से जाना जाता है। इस घाट के सौन्दर्यकरण का कार्य एनएलसीपी के तहत किया गया था। आज जगह-जगह से इस घाट पर जालियां टूटी पडी है। घाट पर दिनभर युवाओं का जमावड़ा लगा रहता है। वही असामाजिक गतिविधियां होती है। घाट के पास ही पार्क का निर्माण किया गया, जो रख रखाव के अभाव में उजाड़ हो रहा है। वही सुविधाघर बना हुआ है, जो गंदा पड़ा है व गंदगी फैल रही है। नाव घाट : कुछ वर्षों पहले तक नाव घाट से ही नावें चलाई जाती थी, जो टूरिस्ट्स को पिछोला में भ्रमण करवाती थी। अब यह घाट प्राइवेट कर दिया गया है। अब नावों का संचालन लाल घाट से होता है। लाल घाट: यहां से नावों का संचालन किया जाता है। घाट के किनारें सीवरेज बहती रहती है। वही घाट पर दो पहिया व चार पहिया पार्किग बनी हुई है। वही घाट के पास झील में जगह-जगह काईं जमी हुई है।भीम परमेश्वर घाट: यह घाट दाईजी की पुलिया व चांदपोल के बीच है। इस घाट पर बनी तबारियांे पर रेस्टोरेंट खुल गए हैं। वहीं रेस्टोरेंट संचालक घाट पर कुर्सियां लगा देते हैं, जिससे घाट संकरा हो जाता है।
Updated on:
24 Sept 2019 12:33 pm
Published on:
24 Sept 2019 10:54 am
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