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उदयपुर। दुर्गम पहाड़ी के बीच गोरमघाट
जाने का एक ही साधन टे्रन है। बारिश के मौसम में हर कोई वहां का मनोरम नजारा देखना
चाहता है। वन विभाग ने ईको ट्यूर के तहत वहां ले जाने के लिए प्रबंध किए, तो अस्सी
से ज्यादा लोगों ने गोरमघाट के लिए बुकिंग करवा दी है। इसके अलावा कई प्रतीक्षा में
है। सबसे खास बात यह है कि गोरमघाट पहुंचने से पहले ही रेलगाड़ी की सवारी के दौरान
प्रकृति के अलग-अलग दृश्य और घाटा सेक्शन के बीच मनारेम नजारा दिखाई देता है।
पुराने छोटे-छोटे रेलवे स्टेशन ओर धीमी गति से चलती गाड़ी में सवारी कर इस स्थान पर
पहुंचा जाता है।
उदयपुर से वन्यजीव विभाग की ओर से ईको ट्यूर के लिए दो
अगस्त का कार्यक्रम घोषित किया। जैसे ही बुकिंग शुरू की, तो शुक्रवार शाम तक 80
जनों की बुकिंग हो गई है। कई लोग दो अगस्त वाले टूर में ही जाने के लिए प्रतीक्षा
सूची में नाम जुड़वाने को तैयार हैं। गौरम घाट राजसमंद जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल
है। पहाडियों और हरियाली से घिरे गोरमघाट वन्यजीव अभयारण्य भी है। वहां कुछ पुराने
स्टेशन अंग्रेजों के जमाने की याद दिलाते हैं। वैसे भी रेलगाड़ी की गति तेज नहीं
होती। जैसे ही घाट सेक्शन आता है, गाड़ी बहुत धीमी हो जाती है। गोरमघाट स्टेशन के
नजदीक पहुंचने पर बंदर, रोजड़े, लोमड़ी व और विविध प्रकार की चिडिया दिखाई देती
हैं।
कामलीघाट से रेलगाड़ी का सफर : गोरमघाट जाने के लिए कामलीघाट तक बस या
अपने वाहन से पहुंचा जाता है। वहां से मावली-मारवाड़ ट्रेन में सवार होना होता है।
यह ट्रेन सुबह करीब साढ़े दस बजे रवाना होती है और वापसी में करीब साढ़े तीन बजे
गोरमघाट से निकलती है। उप वन संरक्षक सुहेल मजबूर ने बताया कि वन भ्रमण के तहत अगले
9 अगस्त को 40 व्यक्तियों को सीतामाता अभयारण्य के आरामपुरा, जाखम डेम ले जाया
जाएगा।
लोगों को मेवाड़ के अभयारण्यों एवं गोरमाघाट, मेनाल झरना आदि ईको
ट्यूरिज्म साइट दिखाने के लिए यह भ्रमण शुरू किया गया है। दो अगस्त के गोरमघाट के
लिए बुकिंग होने के बाद बड़ी संख्या में लोग प्रतीक्षा में हैं। गोरमघाट के लिए फिर
से कार्यक्रम तय किया जाएगा। राहुल भटनागर, सीएफ (वन्यजीव)
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