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जहां कोई नहीं जाता वहां जन औषधि केन्द्र

स्लग...प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों के हाल - मिली ागत में मरीजों को ाासा नुकसान

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प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों के हाल

प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों के हाल

भुवनेश पंड्या

एक्सक्लूसिव

उदयपुर . मरीजों की जेब से चांदी कूटने के लिए कैसे-कैसे ोल होते हैं, वह कोई यहां के अधिकारियों से लेकर व्यवस्था सं ाालने वाले जि मेदारों से सी ो। प्रशासन ने स्वीकृत प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र को महाराणा ाूपाल हॉस्पिटल में नहीं ाोलकर एेसी जगह ाोल दिए, जहां गिने-चुने मरीज ही जाते हैं। इसको लेकर जि मेदार एक- दूसरे के मत्थे ठीकरा फोड़ते दि ो। पत्रिका की पड़ताल में सामने आई ये गड़बड़ी:

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यहां दवाएं मिलती हैं सस्ती दर पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को जन औषधि योजना शुरू की थी। इसमें सरकार की ओर से उच्च गुणवत्ता वाली जैनरिक दवाएं बाजार मूल्य से काफी कम में मिलती हैं। राज्य सरकार की मु यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के साथ -साथ केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र ाोल कर सस्ती दर पर उच्च गुणवत्ता की दवा देने की शुरुआत की थी। इस केन्द्र पर ब्रांडेड दवाइयां ५० से ९० प्रतिशत कम दर पर मिलती हैं, लेकिन उदयपुर में इस योजना को पलीता लग गया।
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तो ाोल दिया देहली गेट पर

जन औषधि केन्द्र को महाराणा ाूपाल हॉस्पिटल में ाोलना था, लेकिन इसे उप ाोक्ता ांडार ने वहां के बजाय देहली गेट पर ाोल दिया। इस केन्द्र पर कोई स्थायी बोर्ड तक नहीं है। बोर्ड के नाम पर एक लैक्स लटका र ाा है, जो गंदा होने के साथ ही धुंधला हो गया है। एेसे में अब इस केन्द्र पर गिनी-चुनी दवाइयां उपलब्ध हैं। साथ ही दिन ार में दस से १५ रोगी ही दवा लेने पहुंचते हैं। केन्द्र सं ााल रहे जीएस सालवी ने बताया कि यह केन्द्र करीब दो साल से चल रहा है।
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विरोधा ाासी बयान

हॉस्पिटल में जगह नहीं दी
प्रधानमंत्री ाारतीय जन औषधि परियोजना के जोनल प्र ाारी (राजस्थान, गुजरात व उत्तरप्रदेश) सचिन सोनी की दलील है कि इस केन्द्र को महाराणा ाूपाल हॉस्पिटल में ाोलने के लिए अधिकारियों से ाूब मिले। पूर्व कलक्टर बिष्णुचरण मल्लिक, आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ डीपी सिंह और तत्कालीन अधीक्षक डॉ विनय जोशी से ाी आग्रह किया, लेकिन हॉस्पिटल में जगह नहीं दी गई। इस केन्द्र पर दवाएं ५० से ९० प्रतिशत तक कम दर पर उपलब्ध होती है। यह केन्द्र सुबह नौ से रात नौ बजे तक ाोलने का नियम हैं, लेकिन देहली गेट वाला दस से पांच बजे तक ही ाुल रहा है।

हमने जगह दे दी थी, पर ाोला नहीं

हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ ला ान पोसवाल का कहना है कि उन्होंने इस औषधि केन्द्र को ाोलने के लिए जगह दे दी थी, लेकिन उसे ाोला नहीं गया। हमने छाबड़ा कॉटेज के समीप स्टोर उपलब्ध करवाया था।

आचार संहिता के कारण परेशानी
सहकारी उप ाोक्ता ांडार के महाप्रबंधक आशुतोष ाट्ट का कहना है कि केन्द्र ाूपाल हॉस्पिटल में ही ाोलना है। आचार संहिता के कारण अटक गया। जल्द ही इसे वहां शि ट करना चाह रहे हैं। चुनावों के बाद बाहर जाने से यह काम नहीं हो पाया। सैन्ट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग से बनाई जाने वाली दवाएं यहां सस्ती दरों पर मिलती हैं।
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गुणवत्ता में कोई कमी नहीं
जैनेरिक दवाइयां ब्रांडेड या फार्मा की दवाइयों के मुकाबले सस्ती होती हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता में किसी तरह की कमी नहीं है। जन औषधि केंद्र शुरू करने के लिए कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। केन्द्र इसके लिए 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद भी करती है। केंद्र का संचालन करने के लिए दवा की एमआरपी पर टैक्स के अलावा 20 फीसदी का मुनाफा मिलता है।

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राजस्थान में यहां हैं केन्द्र

जोधपुर, बीकानेर, कोटा, डूंगरपुर, अजमेर और उदयपुर में ये केन्द्र ाुले गए। उदयपुर में यह केन्द्र सहकारी उप ाोक्ता ांडार के माध्यम से ही ाोला गया है। मेडिकल के जानकार ने बताया कि यदि ये केन्द्र यहां ाोला जाता है, तो उप ाोक्ता ांडार की अन्य केन्द्रों की दवाओं पर इसका असर पड़ेगा, इसलिए इसे जान-बूझकर हॉस्पिटल में नहीं ाोल देहलीगेट पर ाोला गया।


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