उज्जैन. शहर में कल आई तेज आंधी-तूफान से करीब 150 से ज्यादा छोटे-बड़े पेड़ धाराशायी हो गए हैं। इन पेड़ों में अधिकांश वे पेड़ नीचे गिरे जिनकी जड़ों को कांक्रीट से या डामर से ढंक रखा था। यह पेड़ जब गिरे तो जड़ सहित उखड़ गए थे। सांदीपनि आश्रम, छोटा सराफा सहित शहर में अन्य क्षेत्रों में गिरे पेड़ों में सभी जड़ से उखडऩा सामने आया है। यही नहीं, कई पेड़ों की जड़े पहले से कमजोर होने से टेड हो चुके थे, वो तेज हवा सहन नहीं कर सके और जड़ समेत उखड़ गए।
ऊपर से हरे-भरे, नीचे जड़ खराब तेज हवा के कारण देवास रोड पर एक पेड़ जड़ सहित उखड़ कर गिरा था। सोमवार को अंकपात क्षेत्र में माधव कॉलेज के रास्ते पर गिरा पेड़ भी जड़ समेत नीचे गिरा था। वहीं छोटा सराफा में भी पीपल के पेड़ भी जमीन से ही उखड़ा था। पिछले दिनों फ्रीगंज में गिरा पेड़ तने ही टूट कर नीचे आ गिरा था। यह सभी पेड़ हरे-भरे थे। इनको देखकर ऐसा नहीं लगता कि यह गिरने जैसे है। बावजूद इसके यह तेज हवा में ही जमीन पर आ टपके। इन सभी पेड़ों के आसपास जमीन को पक्का कर दिया था।
भारी-भरकम पेड़, छंटाई भी नहीं
तेज अंधड़ में पेड़ों के गिरने के पीछे इनकी जड़े व तने खोखले होने के अलावा इनकी छंटाई नहीं होना भी है। इनकी छंटाई नहीं होने से यह भारी हो गए हैं। ऐसे में पहले से ही तने व जड़ कमजोर होने से हवा का दबाव सहन नहीं कर पाते और गिर पड़ते है। निगम की ओर से इन पेड़ों की समय रहते छंटाई नहीं होने से यह नौबत बन रही है
वृक्षों को बचाने आगे आएं, हमें बताएं अगर आपके घर के आसपास लगे वृक्षों को सीमेंट या डामरीकरण से ढंक दिया है तो आप भी इसे सहेज सकते हैं। इसके लिए पेड के आसपास तीन फीट मे क्यारी या मुंडेर बनाई जा सकती है।
निगम से शिकायत, कार्रवाई नहीं
शहर में वृक्षों के आसपास सीमेंट व डामरीकरण किए जाने से इनके तने खोखले होने और जड़ों को कमजोर होने के लिए बकायदा नगर निगम से शिकायत की जा चुकी है। निगम अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। पिछले साल भी तेज बारिश में बड़ी संख्या में पेड़ धाराशायी हुए थे। उस समय वृक्ष मित्र सेवा समिति की ओर से अपर आयुक्त आदित्य नागर को ज्ञापन सौंपकर वृक्षों को बचाने की मांग की थी लेकिन निगम ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। समिति के अजय भातखंडे के मुताबिक निगम शहर के पेड़ों के आसपास एक मीटर के दायरे को खुलवा दे तो काफी पेडों का बचाया जा सकता है।