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भस्म आरती के नाम पर 6 दर्शनार्थियों से ले लिए 21 हजार, एफआइआर दर्ज

स्थानीय प्रोटोकॉल से भेजे गए थे नाम, टोकन नंबर एम-82 पर बनी परमिशन

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21 thousand were taken from 6 visitors in the name of Bhasma Aarti, FIR registered

21 thousand were taken from 6 visitors in the name of Bhasma Aarti, FIR registered

उज्जैन. महाकाल मंदिर में बुधवार तड़के 4 बजे भस्मआरती में शामिल होने के लिए दुर्ग (छग) से आए एक परिवार के छह सदस्यों से सेङ्क्षटगबाजों ने न सिर्फ भस्म आरती, बल्कि जलाभिषेक की अनुमति के नाम पर 21 हजार रुपए ठग लिए। इसमें महापौर के साथ स्थानीय जनप्रनिधियों के प्रोटोकॉल का उपयोग किया। इससे मिलीभगत का संदेह है।
स्थानीय प्रोटोकॉल से भेजे गए थे नाम, टोकन नंबर एम-82 पर बनी परमिशन
महापौर सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के नाम पर मांगी गई अनुमति
महाकाल भस्म आरती के दर्शन कराए जाने के लिए अब प्रोटोकॉल से जुड़े लोगों का इस्तेमाल होने लगा है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग से आए श्रद्धालु नंदकिशोर शर्मा व उनके परिवारजन से भस्म आरती के नाम पर प्रति व्यक्ति 1500 तथा जलाभिषेक के 2100 प्रति व्यक्ति ले लिए गए। इस हिसाब से भस्म आरती के नाम पर 6 लोगों से 9 हजार और जलाभिषेक के नाम पर 12,600 रुपए लिए गए। प्रशासक संदीप सोनी ने मामले की छानबीन की और सख्ती से पूछताछ के बाद चार लोगों के नाम पर एफआइआर महाकाल थाने में दर्ज कराई है। प्रशासक सोनी ने बताया कि जांच में सामने आया कि घनश्याम शर्मा नामक व्यक्ति से श्रद्धालुओं का संपर्क हुआ। घनश्याम ने गूगल पे से ऑनलाइन भुगतान कराया। इसके बाद घनश्याम ने भस्म आरती टिकट श्रद्धालुओं को दिए। घनश्याम के अलावा धीरज शर्मा, भावेश जोशी तथा सोनू पारीख की भी संलिप्तता मिली। इससे श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची। साथ ही मंदिर की छवि भी धूमिल हुई है। इन चारों के खिलाफ एफआइआर महाकाल थाने में दर्ज कराई है।
महापौर ने कहा- मुझे तो पता ही नहीं
इस मामले में महापौर मुकेश टटवाल के प्रोटोकॉल का इस्तेमाल हुआ है। इनके यहां से छह श्रद्धालुओं के नाम भेजे थे, जिसके आधार पर मंदिर के प्रोटोकॉल कार्यालय से उन्हें टोकन नंबर एम-82 दिया गया, जो कि गर्भगृह दर्शन के लिए प्रोटोकॉल वाले ग्रुप में डाला गया था। इनके अलावा कांग्रेस विधायक मुरली मोरवाल के प्रोटोकॉल का भी इस्तेमाल होने की सूचना है। हालांकि विधायक मोरवाल ने इस संबंध में अनभिज्ञता जताई है। वह बोले- मेरे नाम का उपयोग कैसे कर सकते हैं। इधर, महापौर का भी यही कहना है कि हमारे यहां से किसी के नाम नहीं भेजे गए। यह जांच का विषय है कि आखिर जनप्रतिनिधियों को नहीं पता तो उनके नाम पर किसने अनुमति दी।
मिलीभगत से ठगी
महाकाल मंदिर में जलाभिषेक के लिए 750 प्रति व्यक्ति और भस्म आरती के लिए 200 रुपए प्रति व्यक्ति तथा शीघ्र दर्शन की 250 वाली रसीद राशि तय की गई है। यह राशि ऑनलाइन वेबसाइट पर जमा करना होती है। इसके बाद भी बाहर से आने वाले श्रद्धालु यहां आकर दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं। सेङ्क्षटगबाजों ने अब प्रोटोकाल से जुड़े लोगों के सहारे श्रद्धालुओं से रुपए ऐंठना शुरू कर दिए हैं।