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84 महादेव सीरीज : शिव के वरदान से प्रकट हुए थे मार्कंडेश्वर महादेव

चौरासी महादेवों की शृंखला में 36वें क्रम पर श्री मार्कंडेश्वर महादेव का मंदिर आता है। इनके दर्शन-पूजन करने से मनुष्य सुख-समृद्धि से युक्त होकर परम गति को प्राप्त होता है। 

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Lalit Saxena

Sep 08, 2016

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उज्जैन. चौरासी महादेवों की शृंखला में 36वें क्रम पर श्री मार्कंडेश्वर महादेव का मंदिर आता है। इनके दर्शन-पूजन करने से मनुष्य सुख-समृद्धि से युक्त होकर परम गति को प्राप्त होता है। श्रावण-भादौ मास में पत्रिका डॉट कॉम के जरिए आप 84 महादेव की यात्रा का लाभ ले रहे हैं।
पुत्र कामना से हिमालय पर की तपस्या
वर्षो पूर्व मृकण्ड नाम के एक ब्राम्हण हुआ करते थे। वे वेदों के अध्ययन में सदा लीन रहते थे। समय बीतता गया और उन्हें चिंता होने लगी थी कि उनके यहां पुत्र नहीं है। उन्होंने पुत्र की कामना से हिमालय पर जाकर कठोर तप प्रारंभ कर दिया। उनके तप के कारण सृष्टि में अकाल पडऩे व सूर्य चंद्र के अस्त होने की स्थिति बनने लगी।



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ब्राह्मण की तपस्या से प्रसन्न हुए शिव
इस पर माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि यह आपका भक्त है जो तप कर रहा है। आप इसकी मनोकामना पूर्ण करें। शिवजी ने कहा हे पार्वती आपके कहने पर मैं इसकी तपस्या जरूर पूर्ण करूंगा। आप ब्राम्हण से कहें कि वह महाकाल वन में पत्तनेश्वर के पूर्व में स्थित पुत्र देने वाले शिवलिंग का पूजन करें। इस प्रकार की आकाशवाणी सुनने के बाद ब्राम्हण महाकाल वन गया और शिवलिंग का पूजन अर्चन आरंभ किया। शिव-पार्वती ने शिवलिंग से प्रकट होकर ब्राम्हण को पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया।

तुम्हारे नाम से विख्यात होगा यह शिवलिंग
शिव के वरदान से वहां महामुनि मार्कण्डेय प्रकट हुए। इस पर वे तुरंत ही शिव की आराधना करने बैठ गए। मार्कण्डेय को तप करते देख शिवजी ने कहा कि जिस शिवलिंग की तुम पूजन कर रहे हो, अब वह तुम्हारे नाम से संसार भर विख्यात होगा। मार्कण्डेय के पूजन करने से शिवलिंग मार्कण्डेश्वर के नाम से विख्यात हुआ। जो भी मनुष्य इस शिवलिंग का पूर्ण श्रद्धा से पूजन करेगा वह सदा सुखी ओर परमगति को प्राप्त होगा।

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