उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन ने काफी तैयारी के साथ सत्र 2016 नए कोर्स (एमए जिओग्रॉफी) की शुरुआत की, लेकिन यह कोर्स दूसरे सत्र में भी विवि अधिकारियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। कोर्स में प्रवेश के दूसरे सत्र (2017) में स्थिति और बिगड़ गई। कोर्स की शुरुआत (2016) के दौरान 6 प्रवेश हुए थे, लेकिन अब सिर्फ एक आवेदन हुआ। उस आवेदक ने भी एडमिशन फीस जमा नहीं की। इसके बाद अब अधिकारी इस कोर्स को बंद करने की मंशा बना रहे हैं।
कुलपति के विशेष प्रयास से शुरू हुआ
विवि कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे ने विवि में नए कोर्स को शुरू करने की पहल की। इसमें पहले से लंबित बीए-एलएलबी ऑनर्स, बीएड, दूरस्थ शिक्षा आदि पाठ्यक्रम शामिल हैं। करीब दो साल गुजरने के बाद कोई पाठ्यक्रम जमीनी हकीकत नहीं बन सका। इस बीच सत्र 2016 में कुलपति ने एमए जिओग्रॉफी शुरू करने की घोषणा की। आनन-फानन में सेल्फ फाइनेंस रूप में कोर्स शुरू किया गया, लेकिन विवि के नए कोर्स को विद्यार्थियों ने पूरी तरह नकार दिया।
सरकारी में 900, विवि में 15 हजार फीस
विवि प्रशासन ने एम जिओग्रॉफी कोर्स शुरू किया तो इसकी फीस करीब 15 हजार रुपए वार्षिक निर्धारित हुई, जबकि उक्त कोर्स शहर के सरकारी कॉलेजों में संचालित होता है। यहां पर सिर्फ 900 रुपए फीस है। इसी के साथ शासन के स्मार्ट फोन सहित अन्य सरकारी योजना का लाभ अलग से मिल जाता है। दूसरी तरफ विवि में फीस जमा करने से लेकर अन्य काम के लिए प्रतिदिन ऑनलाइन लिंक का विवाद बना रहता है, इसलिए विद्यार्थी विवि कैम्पस की तरफ रुख नहीं करता है।
प्रयास करेंगे
पाठ्यक्रम में आवेदन की संख्या शून्य है, इसलिए इस सत्र में भी कोर्स शुरू होना संभव नही है। अगले सत्र में प्रवेश संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास करेंगे।
शैलेंद्र कुमार शर्मा, विवि कुलानुशासक व प्रभारी एमए जिओग्रॉफी