
उज्जैन. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के रामघाट की तस्वीर फिर से बदलने वाली है। आने वाले दिनों में रामघाट उस स्वरूप से मिलता-जुलता नजर आएगा जैसा वह प्राचीन समय में था। घाट पर पहले जैसे ही काले पत्थर होंगे तो मंदिर भी एक रूप में नजर आएंगे। इसके लिए प्राचीन झलक के साथ रामघाट का पुनरुद्धार किया जाएगा, जिसमें यहां के प्राचीन महत्व खबसूरती और जन सुविधा को विशेष तरजीह दी जा रही है।
बदलते समय के साथ रामघाट भी अपने मूल स्वरूप से अलग हो गया है। कहीं घाट पर अलग-अलग प्रकार के पत्थर लग गए है तो वहीं मंदिरों के रंग भी आपस में भिन्न है। बीते दशकों में घाट पर जो नए निर्माण हुए वह इसकी प्राचीनता से मेल ही नहीं खाते हैं। इस तरह घाट का अपना प्राचीन मूल स्वरूप ही बदल गया है। इसलिए पुरानी धरोहर के संरक्षण व संवर्धन के कार्य में अब रामघाट को उसके मूल स्वरूप में लौटाया जाएगा। प्रयास होगा कि पूरा घाट एक स्वरूप में नजर आए। निर्माण के दौरान जहां जैसा रंग था, वैसा ही वह दोबारा नजर आए।
इसके लिए स्मार्ट सिटी के मृदा फेज-2 (सिटीज) प्रोजेक्ट में रामघाट के संवर्धन और विकास कार्य को भी शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत रामघाट को उसके मूल स्वरूप में लाया जाएगा। इस पर करीब 15 करोड़ 67 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसमें इतिहासविद, पुरातत्व विशेषज्ञ आदि विषय विशेषों की मदद ली जाएगी। इसके साथ ही कुछ जनसुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी। स्मार्ट सिटी कंपनी ने इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है जो इस महीने के अंत में खोला जाएगा। निर्माण एजेंसी तय होती है तो डेढ़ वर्ष में रामघाट का पुनरुद्धार कार्य पूरा करने की योजना है।
जनता को मिलेगी सुविधाए
रामघाट पर जनसुविधा की काफी कमी है वर्तमान मे यहां पेयजल के. हो है। हलके * रामघाट पर जनसुविधा की काफी कमी है। वर्तमान में यहां पेयजल के लिए इक्का-दुक्का प्याऊ ही हैं। इसके अलावा चैंजिंग रूम, शौचालय आदि की भी कमी है। प्रोजेक्ट अंतर्गत पांच प्लाजा प्लाजा विकसित किए जाएंगे। इससे चैंजिंग रूम, शौचालय, निर्मालय सामग्री प्रबंधन जैसी जनसुविधा बढ़ाई जाएंगी। सुविधाघर इस प्रकार बनाने की योजना है, जिन्हें बारिश के मौसम में अन्यत्र शिफ्ट किया जा सके ताकि बाढ़ में यह खराब न हो। साथ ही घाट व आसपास के क्षेत्र का आकर्षण बढ़ाया जाएगा। यहां फसाड लाइटिंग आदि कार्य किए जाएंगे।
कहीं एरन तो कहीं ईंट-सीमेंट से निर्माण
वर्तमान में घाट पर कई मंदिर ऐसे हैं जिनकी दीवारें एरन पत्थर तो शिखर ईंट-सीमेंट से बने है। दीवार, मंदिर आदि पर कहीं चूना तो कही पेंट किया हुआ है। घाट पर भी अलग- अलग पत्थर लगे हुए हैं। ऐसे कई नए निर्माण हो गए है जो पुराने निर्माण के स्वरूप से मेल ही नहीं खाते हैं। इस विविधता के कारण रामघाट का पौराणिक स्वरूप गुम हो गया है। स्मार्ट सिटी अंतर्गत इन्हीं खामियों को दूर कर रामघाट को पुराने व एकरूप में लाया जाएगा।
वेंडर मैनेजमेंट, वाहन भी प्रतिबंधित
वर्तमान में घाट पर बेतरतीब दुकान-ठेले लगते हैं। इससे घाट की व्यवस्था व खूबसूरती दोनों ही प्रभावित होती हैं। प्रोजेक्ट अंतर्गत बेंडर मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाएगा। इसमें सभी दुकानदारों को एक समान चलित दुकानें देने की योजना है। रामघाट पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। इस सबंध में क्षेत्रीय लोगों से भी चर्चा की गई है। नदी के दोनों तरफ घाट के बाहरी क्षेत्र में पार्किंग सुविधा विकसित की जाएगी।
ऐसे लाएंगे मूल स्वरूप में
रामघाट पर कहीं चूना तो कहीं कलर की अलग-अलग परतें चढ़ी हुई हैं जिससे उसका वास्तविक स्वरूप ही दब गया है। राणौजी की छल्री पर गेरुआ रंग किया हुआ है जबकि पूर्व में यह ऐसी ही थी, ऐसा स्पष्ट नहीं है। प्रोजेक्ट अंतर्गत रामघाट पर जितने भी फसाड निर्माण का बाहरी भाग मंदिर, रिटेनिंग वॉल आदि है, उन्हें एक स्वरूप में लाया जाएगा। दीवार, मंदिर, राणौजी की छत्री आदि के वर्तमान रंग हटाए जाएंगे। इसके बाद पुराने स्वरूप में लौटाने की कार्रवाई होगी। उदाहरण के लिए जहां सेंट स्टोन मिलेगी वहां लाल, जहां बसाल्ट होगी वहां काला रंग उभारा जाएगा। घाट पर नए व पुराने निर्माणों के कारण जो अंतर नजर आता है, उसे भी दूर किया जाएगा।
Published on:
26 Jan 2022 08:07 pm
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