बोर्ड एक्जाम : सीबीएसई परीक्षा के कुछ सेंटर पर मनमाफिक नियमों से परीक्षार्थी परेशान, नियम के खिलाफ अपने नियम थोप रहे सेंटर संचालक।
तीन घंटे में पेपर हल करने की चाल घड़ी के कांटों से बनती है, लेकिन वो भी नहीं हो तो परीक्षार्थियों में समय का सामंजस्य नहीं बैठ पाता। यही हाल इस समय सीबीएसई परीक्षा दे रहे छा६ों का हो रहा है।बोर्ड से जारी परीक्षा नियमों में बच्चे हाथों में एनालॉग घड़ी बांधकर जा सकते हैं, लेकिन कुछ सेंटर संचालक अपने नियम थोपकर ये भी उतरवा रहे हैं। इधर, जब परीक्षा हॉल की दीवार पर भी घड़ी नहीं दिखी तो परीक्षार्थियों में तनाव पैदा हो गया। एक ओर जहां सरकारें और विद्यालय संगठन बच्चों का तनाव समाप्त करने के लिए कई कार्यक्रम चला रहे हैं।
वहीं, मध्य प्रदेश के उज्जैन में भविष्य पर परीक्षा की 'घड़ी' भारी पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक, उज्जैन शहर में सीबीएसई की परीक्षा के 14 सेंटर पर 10वीं और 12वीं के करीब 6 हजार बच्चे परीक्षा दे रहे हैं, जिनमें सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों विद्यार्थी शामिल हैं।
सेंटर संचालकों ने नियमों को लांघा
सीबीएसई परीक्षा में नकल पर रोक के कई नियम हैं, जिनमें परीक्षार्थियों को डिजिटल घड़ी ले जाने पर पाबंदी है, लेकिन एनालॉग घड़ी की अनुमति होने के बावजूद कुछ सेंटर संचालक अपने नियम थोपकर परीक्षार्थियों के हाथों से एनालॉग घड़ी भी उतरवा रहे हैं। यह मामला उज्जैन के सेंट मेरी स्कूल में सामने आया, जहां 24 फरवरी को 12वीं के अंग्रेजी पेपर के दौरान परीक्षकों ने बच्चों के हाथ में बंधी एनालाग घड़ी भी उतरवा ली, जबकि परीक्षा हॉल में दीवार पर भी घड़ी नहीं थी। बता दें कि इस सेंटर पर केंद्रीय विद्यालय समेत 4 स्कूल के बच्चे परीक्षा दे रहे हैं। पालकों का कहना है कि बच्चों की हाथों में बंधी एनालॉग घड़ी भी उतरवा लेंगे तो वे प्रश्न-पत्र हल करने में समय का सामंजस्य कैसे जमाएंगे।
समय की घंटी बढ़ाती है बैचेनी
परीक्षा हाल में दीवार पर घड़ी नहीं, हाथ में बंधी एनालॉग घड़ी भी उतरवा ली तो समय का पता घंटा दर घंटा बजने वाली सूचनात्मक घंटी से पता चलता है। परीक्षा के पहले घंटे में जब घंटी बजती है, बच्चे घबरा जाते हैं, क्योंकि उन्हें तब पता चलता है कि एक घंटा हो गया। दरअसल, परीक्षा हॉल व हाथ में घड़ी नहीं होने और परीक्षक से जानकारी नहीं मिलने पर ऐसी स्थिति पैदा होती है। ऐसे में शेष समय में बचे प्रश्नों को हल करने में जल्दबाजी से उनका रिजल्ट भी प्रभावित होगा।
पालक की शिकायत
छात्र के पालक सूरज सिंह का कहना है कि, परीक्षा हॉल में भी घड़ी नहीं और बच्चे के हाथ से भी एनालॉग घड़ी उतरवा ली। ये गलत है। मैंने सीबीएसई परीक्षा के नियम देखे हैं। उसमें एनालॉग घड़ी परमिटेड है। मेरा बेटा सेंटमेरी स्कूल सेंटर पर 12वीं की परीक्षा दे रहा है, जहां उसके हाथ में बंधी घड़ी भी उतरवा ली। परीक्षा नियंत्रक को इस पर ध्यान देना चाहिए।
क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
सीबीएसई परीक्षा के सिटी कोऑर्डिनेटर वीएस जॉब का कहना है कि, आपसे जानकारी मिली है कि, बच्चों के हाथ में बंधी एनालॉग घड़ी उतरवा दी। वैसे परीक्षा हॉल में भी घड़ी होना चाहिए। एनालॉग घड़ी की अनुमति है। इस संबंध में परीक्षा सेंटर संचालक से बात करेंगे।