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चुनाव से पहले मप्र के अतिथि विद्वानों को सरकार ने दे दी सौगात, मिलेगा यह लाभ

वर्ष भर काम करेंगे अतिथि विद्वान, 30 हजार रुपए मिलेंगे

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कॉलेजों के अतिथि विद्वानों को सौगात, उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश

उज्जैन. आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकारी कॉलेजों में कार्यरत अतिथि विद्वानों को शासन की तरफ से बड़ी सौगात मिली है। अब तक कॉलेजों में प्रति कालखंड के आधार पर पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों को अब प्रति दिन के हिसाब से मानदेय मिलेगा। साथ ही मानदेय न्यूनतम 30 हजार रुपए रहेगा। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में वर्ष 2004-05 से रिक्त पद के विरुद्ध अतिथि विद्वान कार्यरत हैं। इन लोगों की विभाग सत्र की शुरुआत में 11 माह के लिए नियुक्ति करता है। अब यह प्रक्रिया बदल गई है। अब अतिथि विद्वानों को वर्ष भर के लिए काम पर रखा जाएग। साथ ही रिक्त पद पर तीन साल के लिए संविदा नियुक्ति मिलेगी। हालांकि रिक्त पद की पूर्ति होने पर अतिथि विद्वानों को हटाया जा सकता है।
पढ़ाई के साथ अकादमिक कार्य
अब तक अतिथि विद्वानों को कॉलेज में काल खण्ड के हिसाब से कक्षा लेनी पड़ती थी। इसके अतिरिक्त आवश्यक होने पर ही काम दिया जाता था, लेकिन अब अतिथि विद्वानों को 7 घंटे कॉलेज में सेवा देनी होगी। कक्षा में विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ एनसीसी, एनएसएस, रूसा, परीक्षा, अन्य काम में भी सेवा ली जाएगी। प्राचार्य प्रशासनिक दृष्टि से अतिथि विद्वानों का उपयोग कर सकेंगे। इसी के साथ अनुशासन व अन्य शर्त भी अतिथि विद्वान पर लागू होगी।
विवि के विद्वानों को आदेश का इंतजार
उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में कार्यरत अतिथि विद्वानों के लिए नई व्यवस्था कर दी है। अब विक्रम विवि संस्थान में कार्यरत अतिथ विद्वानों को भी मासिक मानदेय भुगतान के आदेश का इंतजार है। विश्वविद्यालय के अतिथि विद्वानों को भुगतान का निर्णय मध्यप्रदेश समन्वय समिति की तरफ से होता है। समिति की बैठक में पूर्व में कई बार अतिथि विद्वानों का मानदेय बढ़ाने का प्रकरण आ चुका है। इस पर विचार किया जा रहा है।