8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दो खंभों में समाई हैं देवी की प्रतिमाएं, नाम पड़ा चौबीस खंभा

Ujjain News: चौबीस खंभा माता मंदिर में अष्टमी पर कलेक्टर के हाथों कराया जाता है मदिरापान

2 min read
Google source verification
chobis Khamba Mata Temple Ujjain Navratri festival

Ujjain News: चौबीस खंभा माता मंदिर में अष्टमी पर कलेक्टर के हाथों कराया जाता है मदिरापान

उज्जैन. महाकाल की नगरी में ऐसे कई देवी-देवता हैं, जो भांग और मदिरापान करते हैं। महाकाल को प्रतिदिन भांग चढ़ाई जाती है, वहीं कालभैरव दिनभर में कई लीटर शराब पी जाते हैं। इस शहर में देवी का एक मंदिर ऐसा भी है, जहां नवरात्र की महाअष्टमी के दिन कलेक्टर खुद अपने हाथों से उन्हें शराब पिलाते हैं, इसके बाद नगर पूजा के तहत समस्त देवी-देवताओं को यह भोग अर्पण किया जाता है।

चौबीस खंभा मंदिर, जहां विराजमान हैं दो माताएं

नगर का अतिप्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है चौबीस खंभा। यहां महालाया और महामाया दो देवियों की प्रतिमाएं द्वार के दोनों किनारों पर स्थापित हैं। सम्राट विक्रमादित्य भी इन देवियों की आराधना किया करते थे। यह मंदिर महाकालेश्वर मन्दिर के पास स्थित है। 12वीं शताब्दी का एक शिलालेख लगा था, जिसमें लिखा था कि अनहीलपट्टन के राजा ने अवंतिका में व्यापार के लिए नागर व चतुर्वेदी व्यापारियों को यहां लाकर बसाया था। नगर रक्षा के लिए चौबीस खम्बे लगे हैं, इसलिए इसे चौबीस खम्बा दरवाजा कहते हैं। प्राचीन समय में नवरात्र पर्व की अष्टमी पर जागीरदार, इस्तमुरार, जमींदारों द्वारा पूजन किया जाता था। आज भी यह परंपरा जारी है, जिसे कलेक्टर द्वारा निर्वहन किया जाता है।

पैदल चलकर होगी नगर पूजा
शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी ६ अक्टूबर रविवार को मनाई जाएगी, इस दिन नगर पूजा की जाएगी। 24 खंभा माता मंदिर में महामाया व महालाया देवी को मदिरा का भोग लगाया जाएगा। साथ ही शहर के करीब 40 देवी व भैरव मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाएगा। 24 खंभा माता मंदिर पर कलेक्टर शशांक मिश्र पूजन करेंगे, इसके बाद तहसीलदार, पटवारी, कोटवार हाथों में सिंदूर व हांडी लेकर 27 किलोमीटर पैदल यात्रा करेंगे। यात्रा में सभी देवी के मंदिरों में पूजन किया जाएगा। भ्रमण का समापन अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव पर हांडी फोड़कर किया जाएगा। सम्राट विक्रमादित्य की परंपरा का आज भी शहर में निर्वहन किया जाता है। शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर नगर के सभी देवी देवताओं का पूजन किया जाता है।