7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ठंड ने ढहाया सितम, जम गई सब्जियां

दिसंबर के आखिरी दिनों में ठंड के तेवर तीखे हो गए। शुक्रवार रात में ही पारा ६.3 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़ककर 6.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। यह सीजन की सबसे सर्द रात दर्ज रही।

3 min read
Google source verification
Cold collapsed, frozen vegetables

दिसंबर के आखिरी दिनों में ठंड के तेवर तीखे हो गए। शुक्रवार रात में ही पारा ६.3 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़ककर 6.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। यह सीजन की सबसे सर्द रात दर्ज रही।

नागदा. दिसंबर के आखिरी दिनों में ठंड के तेवर तीखे हो गए। शुक्रवार रात में ही पारा ६.3 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़ककर 6.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। यह सीजन की सबसे सर्द रात दर्ज रही। इससे शहरवासी ठिठुर गए। हालांकि, शीतलहर अधिक तेज गति से नहीं चली। इस कारण आलू-प्याज समेत अन्य फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा किंतु खेतों में सफेद चादर बिछ गई। शहर में बिकने आई सब्जियों पर ओंस जमी हुई थी।
मौसम विभाग नए साल की शुरुआत कड़ाके की ठंड से होने का अनुमान लगा रहा है। इस बीच यदि शीतलहर चली तो जनजीवन खासा प्रभावित होगा। शनिवार को दिन का तापमान 22.4 डिग्री दर्ज किया गया। अमूमन जनवरी-फरवरी में ही कड़ाके की ठंड पड़ती है लेकिन इस साल दिसंबर में भी ठंड के तेवर तीखे देखने को मिल रहे हैं। खासकार शुक्रवार रात तापमान जितना दर्ज किया गया, उससे अधिक तो उसमें एक ही दिन में गिरावट हो गई। शुक्रवार रात में पारा 12.5 डिग्री सेल्सियस था, जो शनिवार की रात में लुढ़ककर 6.2 डिग्री सेल्सियस पर जा पहुंचा। यानी एक ही रात में पारे में 6.3 डिग्री की गिरावट हुई। मौसम विभाग की मानें तो बीते सात साल में तीसरी बार है, जब पारे में इतनी गिरावट हुई हो। पिछले साल जरूरी 27 दिसंबर की रात में तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। हालांकि, दिसंबर के अंतिम दिनों में पारा और अधिक गिरने के आसार मौसम विशेषज्ञ जता रहे हैं।
अचानक गिरा ठंड का पारा, ठिठुरे लोग, जनजीवन पर असर
इस माह कड़ाके की ठंड गिर रही है। हालांकि 7.4 डिग्री सेल्सियस तक पारा गिरने के बाद उसमें वृद्धि हो गई थी और वह 11 से 14 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा था। गुरुवार रात में पारा 11.5 डिग्री सेल्सियस था लेकिन एक ही रात में पारा 6.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। अचानक इतना नीचे पहुंचे तापमान की वजह से कंपकंपाने वाली ठंड पड़ी और जनजीवन पर बुरा असर पड़ा। शुक्रवार रात 10 बजे से ही शहर के बाजार वीरान हो गए। शनिवार को देरी से दुकानें खुली। अधिकांश समय लोगों ने गर्म कपड़ों में ही बीताया। ठंड से राहत दे सके, ऐसी खाने-पीने की वस्तुओं का उपयोग किया। मौसम विभाग ने शनिवार व रविवार की रात में भी पारे में गिरावट होने की बात कही है। यानी नए साल की शुरुआत कड़ाके की ठंड के बीच ही होगी। दूसरी और हल्की बारिश होने के आसार भी जताए हैं।
हवा नहीं चलने से फसलों को राहत
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि शुक्रवार रात भले ही तापमान 6.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया हो लेकिन शीतलहर कम तेजी से चली। इससे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा। हालांकि छह डिग्री या इससे कम तापमान होने पर पाला गिरने की आशंका रहती है। कड़ाके की ठंड होने की वजह से पौधों के पत्तों व कोशिकाओं में पानी जमकर बर्फ बन जाता है। शीतलहर चलने की वजह से पत्ते झुलस जाते हैं। सबसे ज्यादा आलू को नुकसान पहुंचता है क्योंकि पत्तों के जरिए ही फल बनता है। पाला गिरने से आलू का उत्पादन भी बुरी तरह से गिरता है।
खेतों में बिछी सफेद चादर
कड़ाके की ठंड के बीच ही शनिवार सुबह शीतलहर चलने से लोग ठिठुर गए। शुक्रवार की तुलना में शनिवार को कोहरा कम रहा। कड़ाके की ठंड की वजह से खेतों में हल्की सफेद चादर जैसी बिछ गई। सुबह सब्जी मंडी में बिकने आई पालक, मैथी आदि सब्जियों में बर्फ देखी गई।
पारा और गिरने के आसार
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार एक ही रात में तापमान में खासी गिरावट हुई है। शीतलहर नहीं चलने से फसलों को ज्यादा नुकसान की खबरें नहीं हैं पर शनिवार रात में तापमान और अधिक गिरावट होने के आसार हैं। रविवार को भी मौसम ठंडा रहेगा।
सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंचा तापमान, फसलों लिए खतरा
गिरे पारे व फसलों पर पाला गिरने की आशंका के चलते कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को जरूरी सलाह दी। उनका कहना है कि यदि किसान पाले से बचाव के तरीके समझेंगे तो फसल पर असर नहीं पड़ेगा।
यह होता है पाला
सर्दी के मौसम में दिसंबर-जनवरी में शीतलहर चलती है और रात का तापमान कम हो जाता है। जब तापमान लगातार पांच से छह डिग्री के नीचे रहता है तो फसलों के अंदर उपस्थित पानी जम जाता है। इससे कोषिकाभित्त फट जाती है और तरल पदार्थ बाहर की तरफ आ जाते हैं व पौधे मुरझा जाते हैं। इसे ही पाला या ठंड से जलना कहते हैं। पाले से पौधा बीज खराब होकर मर जाता है और किसानों को नुकसान होता है। रात और सुबह के समय तेज हवा चलने के दौरान पाला गिरता है।