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शिप्रा को साफ करने ट्रीटमेंट प्लांट लगेंगे, डायर्वशन सिस्टम की सफाई होगी, 6 महीने में सीवरेज मिलना बंद करेंगे

कलेक्टर ने जूनी निनौरा से रामघाट तक नदी का दौरा किया: टाटा को जून तक का समय दिया, रोज सुबह कलेक्टर को प्लानिंग देना होगी

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उज्जैन.
शिप्रा शुद्धिकरण के लिए नए सीरे से कवायद हो रही हैं। इसकी शुरुआत में डब्ल्यूआरडी को छोटे-छोटे स्टाप डेम व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट तैयार करने का जिम्मा दिया है। कम क्षमता से चल रहे कान्ह डायवर्शन सिस्टम की सफाई करवाई जाएगी अैर टाटा कंपनी को ३० जून तक सीवरेज प्रोजेक्ट पूरा करने की डेड लाइन मिली है। इसके साथ ही इंदौर-उज्जैन का कम्प्रहेन्सीव प्लान तैयार होगा।

दो दिन पूर्व शहर आए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर तीन जिले इंदौर, उज्जैन व देवास के अधिकारियों की बैठक ली थी। उन्होंने प्रभावी व संयुक्त योजना तैयार करने के निर्देश दिए थे। उज्जैन ने इस पर कार्य शुरू कर दिया है। मंगलवार को कलेक्टर नीरजकुमार सिंह ने जुनी निनौरा से रामघाट तक कान्ह व शिप्रा का करीब १२ किलोमीटर का दौरा किया। निरीक्षण में जिला पंचायत सीइओ मृणाल मीना, निगमायुक्त आशीष पाठक, उज्जैन ग्रामीण एसडीएम अर्थ जैन, कोठी महल एसडीएम एलएन गर्ग व अन्य मौजूद थे। निरीक्षण के बाद कलेक्टर ने शाम को फिर संबंधित विभागों के साथ बैठक की। शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर उज्जैन शुरुआत में तीन स्तर पर कार्य करेगा। इसमें शिप्रा में सीवरेज मिलने से रोकने के साथ ही कान्ह की सफाई पर भी फोकस है।

अभी इस दिशा में प्रयास

१. ट्रीटमेंट प्लांट- कान्ह पर जगह-जगह छोटे स्टॉप डेम बनाए जाएं। इन पर आवश्यकता अनुसार ट्रीटमेंट प्लांट लगाएं ताकि पानी को ट्रीट कर आगे बढ़ाया जाए। जल संसाधन विभाग को योजना तैयार करने का जिम्मा दिया है।
२. कान्ह डायवर्शन- सिंहस्थ-१६ में सौ करोड़ की लागत से कान्ह डायवर्शन प्रोजेक्ट लागू किया था। इसकी ५ एमएलडी की क्षमता है। वर्तमान में प्रोजेक्ट पूरी क्षमता से नहीं चल रहा। इसकी सफाई करवाकर डायवर्शन शुरू करवाएंगे। देखेंगे पुराने प्रोजेक्ट से कितना पानी डायर्वट हो पा रहा है।
३. पांच महीने में सीवरेज प्रोजेक्ट- शहर के नालों को शिप्रा में मिलने से रोकने टाटा कंपनी को जून अंत तक सीवरेज प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य दिया है। कंपनी को रोज सुबह ९.३० बजे कलेक्टर को रिपोर्ट प्लान करना होगा कि आज वे कितनी लाइन बिछाएंगे। वर्तमान में १४० किलोमीटर से अधिक लाइन बिछाना शेष है।

आगे क्या करेंगे

कम्प्रहेन्सीव प्लान- शिप्रा शुद्धिकरण के लिए कम्प्हेंन्सीव प्लान तैयार होगा। इसमें उज्जन के साथ ही इंदौर व देवास की भागीदारी रही। कान्ह में कहां-कहां कितना केमिकल मिलता है, किस प्रकार उसे फिल्टर किया जा सकता है आदि विषय इस प्लान में शामिल रहेंगे। प्लान सीएम के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
सिंहस्थ का प्लान- सिंहस्थ में कितने पानी की आवश्यकता होगी, किस प्रकार साफ पानी की व्यवस्था की जाएगी। पानी की उपलब्धता के क्या-क्या माध्यम हो सकते हैं आदि को लेकर प्लान तैयार होगा। नगर निगम को रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा दिया है।

पानी देख कलेक्टर ने पूछा, क्या इसमें स्नान करवाएंगे

कुछ दिन पूर्व तक रोज प्रवाहमान नर्मदा का दर्शन करने वाले कलेक्टर नीरजसिंह ने मंगलवार को नजदीक से शिप्रा को देखा तो स्थिति काफी अलग मिली। कई जगह नदी में गंदगी थी, डी लेवल का पानी मिला जो पीना तो दूर नहाने के लायक नहीं था। शिप्रा शुद्धिकरण और पर्व स्नान को लेकर किए निरीक्षण में उन्हें नदी की ऐसी स्थिति पर खासी नाराजगी जताई। गऊघाट पर गंदा पानी देखकर उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐसे ही पानी में स्नान करवाते हैं, पहले क्या व्यवस्था अपनाई जाती थी। अधिकारियों ने बताया कि गंदा पानी आगे बहाकर नर्मदा का साफ पानी भरेंगे। उन्होंने कम गति से आ रहे नर्मदा के पानी को लेकर भी एनवीडीए के अधिकारियों को निर्देशित किया।

रामघाट पर आचमन किया

कलेक्टर ने रामघाट पर पहुंच शिप्रा जल से आचमन किया। यह देख सभी अचंभित हो गए। कलेक्टर ने यहां स्नान के लिए आवश्यक सभी व्यवस्था करने के निर्देश दिए।

निरीक्षण में कहां क्या स्थिति

– कलेक्टर सबसे पहले इंदौर रोड जूना निनौरा पहुुंचे, स्टापडेम का निरीक्षण किया। ग्रामीणों ने बताया, स्टापडेम की देखभाल नहीं होती है।
– ग्राम राघौपीपल्या में खान पर बने छोटे पाले का खान डायवर्शन के पाइंट का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने बताया, कान्ह नदी इन्दौर में कबीटखेड़ी में ट्रीटमेंट पाइंट बना है, लेकिन कबीटखेड़ी के बाद मांगल्या, सांवेर होते हुए त्रिवेणी में कान्ह का पानी शिप्रा में मिलता है। रामवासा पर भी कान्ह नदी पर स्टापडेम बना है।
– करोहन में ग्रामीणों ने बताया, तालाब के ओवरफ्लो होने से बांध क्षतिग्रस्त हो रहा है।
– त्रिवेणी संगम पर कान्ह नदी के पानी को रोकने के लिये बन रहे कच्चा पाला का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने बताया, त्रिवेणी के समीप मोती नगर का नाले को शिप्रा में मिलने से रोकने का प्लान तैयार कर रहे हैं।
– मोतीनगर शमशान के समीप स्टापडेम व नर्मदा का पानी शिप्रा में छोड़े जाने वाले पाइंट का निरीक्षण किया। समय पर रामघाट पर पर्याप्त पानी पहुंचाने एनवीडीए को निर्देश दिए।
– हरिफाटक ओवरब्रिज के समीप गऊघाट सीवेज पम्प हाउस पर बताया गया कि यहां नालों का पानी एकत्र कर सदावल ट्रीटमेंट प्लांट भेजते है।
– दो दिन में गऊघाट तक नर्मदा का पानी नहीं पहुंचा। कलेक्टर ने पानी की मात्रा बढ़ाने संसाधन व पीएचई कार्यवाही का कहा।
– रामघाट पर आचमन किया और पानी के लेवल की जानकारी ली।